कांग्रेस का ख़त्म होना देश हित में जरुरी……

दिग्विजय सिंह 1993 से 2003 तक मप्र के मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान मप्र को बर्बाद करने में दिग्विजयसिंह ने कोई कसर बाकी नहीं रखी। चाहे उद्योग धंधे हों, सड़कें हों, बिजली पानी की व्यवस्था हो, इन सबसे दिग्विजयसिंह को कोई सरोकार ही नहीं था। मप्र की सड़कों पर तो अनेक चुटकुले बन चुके थे। धीरे के झटके भी ज़ोर ज़ोर से लगने लगते और लोग नींद में भी समझ जाते कि मप्र की सीमा में प्रवेश हो गया है।

रोज़ सुबह 8 से 12 बिजली गुल होने का तय कार्यक्रम था इसके अलावा भी कभी भी घँटों तक बिना सूचना के बिजली गायब रहती थी। ये स्थिति शहरों की थी, गाँवों की स्थिति और भी बदतर थी। गाँवों में बिजली आना एक महत्वपूर्ण घटना हो गई थी। गाँवों में बमुश्किल 3 से 5 घंटे बिजली रहती। ठंड हो, गर्मी हो, बारिश हो हर मौसम में बिजली का यही आलम था। इंदौर के नईदुनिया अखबार ने तो बिना हेडलाइन के ख़बर छापी थी और ख़बर का शीर्षक पाठकों को चुनने को कहा गया जब एक बार शाम 6 बजे से भी बिजली गुल करने का फरमान जारी कर दिया गया।

सड़कों पर गड्ढे इतने थे कि सड़क ढूंढ ढूंढकर गाड़ी चलानी पड़ती थी। इस सबके कारण ट्रांसपोर्ट और परिवहन बुरी तरह प्रभावित हुआ, जगह जगह राजमार्गों पर ट्रक, बसें, कारें पलट जाया करतीं थी, दुपहिया वाहनों से भी लोग गिरकर घायल होते या मौत के मुँह में समा जाते। दंगे फ़साद भी खूब हुए जन धन की भी खूब हानि होती थी। जनता त्राहि त्राहि करती रही लेकिन दिग्विजयसिंह के कानों पर जूँ नहीं रेंगी तो नहीं रेंगी। भ्रष्टाचार और कांग्रेस का तो चोली दामन का साथ है तो वो ज़रूर खूब फला फूला।

ये मप्र की हक़ीक़त थी जिसे कोई प्रदेशवासी याद भी करता है तो सिहर उठता है। आज जो कांग्रेस विकास, किसानों की हित की बात करती है ये उसकी असलियत है। 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में यहाँ भाजपा की सरकार बनी, उसके बाद शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बने तबसे लेकर आज तक पूरे प्रदेश में सड़कों का जाल बिछ चुका है, बिजली पानी की व्यवस्था पहले से कई गुना बेहतर है। कानून व्यवस्था भी बहुत बेहतर है।

आज बहुत से लोग हम भक्त हैं गुलाम नहीं बोलकर अथक परिश्रमी, बेहद ईमानदार मोदी की मंशा पर ही सवाल उठाते हैं। कुछ मित्रों को तो मोदी सरकार में सिर्फ कमियाँ ही नज़र आती हैं, हर किसी को अपने अपने हिसाब से अपने कामों की प्राथमिकता है। नहीं तो नोटा दबाने की धमकी, 2019 में देख लेने की धमकी या वोट तो मोदी जी को ही देंगे लेकिन आलोचना भी करेंगे। दूसरी तरफ कुछ लोग ये मानते हैं कि मोदी काम अच्छा कर रहे हैं कुछ परेशानी है लेकिन ठीक है आने वाला समय अच्छा होगा ये विश्वास रखते हैं।

अंग्रेज़ों की तरह ही कांग्रेस की भी नीति है ‘फूट डालो और राज करो’ जिसका ताज़ा उदाहरण हम गुजरात में देख चुके हैं। दिग्विजयसिंह के कारनामों की खबर आलकमान को नहीं थी ऐसा नहीं था बावजूद इसके कभी कोई एक्शन नहीं लिया गया। दिग्विजयसिंह जाते जाते कांग्रेस को मप्र में पूरी तरह से दफन करके गए हैं। कांग्रेस मप्र में कम से कम 25-30 या और ज़्यादा समय तक सत्ता में नहीं आ पाएगी या आएगी भी तो हमारी पीढ़ी वो देखने के लिए इस दुनिया में नहीं होगी।

केंद्र में कांग्रेस राज के कारनामें सबको पता है, मप्र की ही तरह कांग्रेस को केंद्र में भी दफन करके रखना ज़रूरी है वरना कांग्रेस वो राक्षस है जो देश, प्रदेश और जनता को निगलने में ज़रा भी संकोच नहीं करती है। मोदी पर भरोसा रखो, यही वो आदमी है जो कांग्रेस को दफन कर सकता है और देश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ा सकता है।

 

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