कांग्रेस की घटिया राजनीति, शास्त्रीजी व संजय गांधी की मौत संदिग्ध नही लेकिन जस्टिस लोया की मौत संदिग्ध

जस्टिस लोया की मृत्यु के बाद उनकी मौत को हत्या का रूप देने का अनायास प्रयास  कांग्रेस पार्टी द्वारा किया जा रहा है। कारण सिर्फ यह कि उनका एक फैसला अमित शाह से जुड़ा  था i पूर्व में उठाये गये तथ्यों की पुष्टि न हो पाने के बाद अब कोर्ट के माध्यम से इसकी जांच कराए जाने की मांग की जा रही है । कांग्रेसी प्रवक्ताओ के अनुसार जस्टिस लोया की मौत संदिग्ध बाई जा रही है । गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायमूर्तियों द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद जस्टिस लोया के पुत्र अनुज ने तुरंत ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह स्पष्ट कर दिया था कि उनके पिता की मौत हार्ट अटैक से हुई थी और उनका परिवार इस बात से सहमत है।

उनके पुत्र अनुज लोया ने विवाद को यह कहकर विराम देने की कोशिश की कि उन्हें पूरा यकीन है कि मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। जस्टिस लोया के बेटे ने कहा कि परिवार को उनकी मौत की वजह पर कोई संदेह नहीं। उन्होंने कहा कि हमें इस विवाद की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अनुज ने कहा, ‘पहले जरूर संदिग्ध लगा था, लेकिन अब मुझे किसी पर कोई शक नहीं है। इसलिए जांच की मांग नहीं की है।’

अब सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि कांग्रेस पार्टी के ही पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में हुई मौत को तथा विमान हादसे में संजय गांधी की मौत को संदिग्ध मृत्यु की नज़र से कांग्रेस पार्टी नज़रअंदाज़  करती क्यो चली आ रही है।समय समय पर इसकी मांग उठी तो उसे दबा दिया गया। बाद में संजय गांधी के परिवार के साथ क्या हुआ सबने देखा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जस्टिस लोया की मौत के मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई 22 जनवरी को की जाएगी। जस्टिस अरुण कुमार मिश्र व एमएम शांतनागोदार की बेंच ने 16 जनवरी को मामले की सुनवाई के लिए स्वीकृति दे दी थी, लेकिन दिन व तारीख का एलान नहीं किया गया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच ने शुक्रवार को कहा कि सुनवाई 22 को सुप्रीम कोर्ट की सक्षम बेंच करेगी।

गौरतलब है कि इस मामले में कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला व पत्रकार बीएस लोन ने याचिकाएं दायर की थीं। सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने कांफ्रेस में जस्टिस लोया की मौत को चीफ जस्टिस दीपक मिश्र से तकरार का एक कारण बताया गया था।

लोया की मौत के मामले में नागपुर पुलिस का कहना कि उनकी मौत हार्टअटैक की वजह से हुई थी। सरकारी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की थी। हालांकि पुलिस ने उसके बाद फारेंसिक लैब में भी उनके विसरे की जांच कराई, लेकिन हिस्टोपैथोलॉजी रिपोर्ट में जहर की पुष्टि नहीं की गई थी। उसके बाद सदर पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 174 की कार्यवाही करते हुए मामले को बंद करने का फैसला लिया था।

बता दें कि जस्टिस लोया सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आरोपी थे। उन्हें बरी किया गया था। उनके साथ राजस्थान के मंत्री गुलाबचंद कटारिया, उद्यमी विमल पाटनी, गुजरात के पूर्व डीजीपी पीसी पांडेय, एडीजीपी गीता जौहरी के साथ पुलिस अफसरों अभय चूडास्मा व एनके अमीन को भी सीबीआइ कोर्ट ने बरी किया था।

जस्टिस लोया की जांच हो या न हो पर पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री और संजय गांधी की अप्राकृतिक मौतों की जांच पर बल न दिया जाना देश की राजनीति में कही न कही किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है।

 

 

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