कांग्रेस की सोच संसद में हंगामा करॊ, दोनों सदनों को स्थगित करॊ और देश के पैसे को बरबाद करॊ

जनता अपना कीमती वोट राजनेताओं को इसलिए देती है कि वे देश के लिए काम करे। जनहित से जुड़े बिल बनाए और सदन में सर्वानुमती से पारित कर देश में जल्द से जल्द उसे लागू करवाए। लेकिन राजनेताओं को जनता या देश की नहीं पड़ी है। देश के विकास में सत्तारूड़ पक्ष का जितना महत्व होता है उतना ही महत्व विपक्ष का भी होता है। सत्ताधारी पक्ष के गलतीयों को सुधार कर यॊजनाओं को बनाने में और उसे सदन में जल्द से जल्द पारित करने में विपक्ष की भूमिका बहुत अहम है।

2014 के लोकसभा चुनावों में जनता द्वारा बुरी तरह से पिटने के बाद भी कांग्रेस की अकल ठिकाने नहीं आई है। वो आज भी अपनी सत्ताधारी अड़ियल मनस्थिती से बाहर नहीं निकल पाई है। आज कांग्रेस की हैसियत विपक्ष की भूमिका निभाने लायक भी नहीं है। लेकिन वह अपने जलन के स्वभाव को छोड़ कर देश के हित में निर्णय लेने को राज़ी नहीं है।

पिछले तीन साल से हम देखते आ रहे हैं की कांग्रेस छॊटी छॊटी बातों का बतंगड़ बनाकर संसंद में हंगामा करती है। सदन की कार्यवाही को भंग करवाती है और सदन को लंबे समय तक स्थगित करवाती है। कांग्रेस और भाजपा में मत भॆद हो सकते हैं जिसे आपस में चर्चा द्वारा सुलझाया जा सकता है। सत्तारूड भाजपा इस बात को हमेशा कहता आया है कि वह चर्चा के लिए सदैव तय्यार है। लेकिन कांग्रेस जानबूझ कर हंगामा करती है और सदन से बाहर चली जाती है। उसका विरॊध मॊदी जी और भाजपा से है तो उसकी सज़ा कांग्रेस जनता को क्यों दे रही है।

क्या कांग्रेस को पता नहीं कि ऐसा करने से देश का करोड़ों का नुकसान होता है। पिछले तीन साल से राष्ट्रपति, लॊक सभाध्यक्ष, राज्य सभाध्यक्ष और प्रधानमंत्री जी ने कांग्रेस से बार बार निवेदन किया है कि सदन को चलने दीजिए लेकिन कांग्रेस के कानों में जू तक नहीं रेंगती। 60 साल से कांग्रेस सत्ता में रही है और वह भली भांती जानती है कि संसद को चलाने में कितना खर्चा आता है।

देश में कुल तीन संसद सत्र चलते हैं: पहला बजट सत्र, दुसरा मान्सून सत्र और तीसरा शीतकालीन सत्र। लोकसभा और राज्यसभा के कार्यवाही लगभग 80-100 दिनों तक चलती है। प्रतिदिन 6-8 घंटे संसद में कार्यवाही चलती है। संसद की कलापों की खर्चा 2.5 लाख रुपए प्रति मिनट है। इसके अलावा सांसदों को तनख्वा के तौर पर दी जानी वाली रकम कुल 177-200 करॊड रूपए हैं जो भारत के जनता के टेक्स से इनको दी जाती है। अनुमान लगाइए कि संसद का एक एक मिनट कितना कीमती है। सदन की कार्यवाही बार बार स्थगित होने से सांसदों को कॊई नुकसान नहीं होता। सदन चले या रुके उनको तो उनकी तनख्वा मिलती है।

हर सांसद को 1,40,000 रूपए की तनख्वा हर माह मिलती है। साल में 34 मुफ़्त के हवाई यान और जब चाहे तब मुफ़्त की रेल और बस का सफर भी इनको प्राप्त है। भ्रष्ठचार और रिश्वत खॊरी कर के जो कमाते हैं वो अलग। इतना तनख्वा लेने के बाद भी सदन को चलने नहीं देते हैं। काम कुछ नहीं करते, सदन को चलने नहीं देते, लोगों के हित से जुडे निर्णय सदन में पारित नहीं करवाते लेकिन महीने के अंत में तनख्वा ज़रूर लेते हैं।

यह राजनेता तो इतने बेशरम है कि बिना कुछ काम किए अपनी तनख्वा को बढ़ाने की मांग करते हैं। जब तनख्वा बढ़ाने की बात आती है तो सारे एक जुट हो जाते हैं तब न इन में मत भॆद होता है और ना मन भेद। ये सारे सांसद बिना कुछ काम किए लाखों रुपए जेब में उतार लेते हैं। संसद में सांसदों की तनख्वा को बढ़ाने की मांग बहुत पहले ही उठी है। अगर यह प्रस्ताव पारित हुआ तो हर सांसद की तनख्वा 1.4 लाख से बढ़कर 2.8 लाख हो जायेगा।

ये अच्छा है, जनता का पैसा मुफ़्त में डकारो और जनता से जुडे मुद्दों को सदन में लटकाए रखो। सदन में हंगामा करॊ और सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दो। कांग्रेस के नेता अपनी चुनावी भाषणॊं मे बडी बडी बातें करते हैं। जनता को होनेवाली तकलीफों को लेकर कांग्रेस को इतनी ही चिंता है तो वो सदन को चलने क्यों नहीं देती? बार बार सदन की कार्यवाही में रुकावट डालकर वह क्या जताना चाहती है? कांग्रेस को देश की इतनी ही चिंता है तो अपने अडियल स्वाभव को छोडकर देश हित में सॊचे और सदन को चलने दे।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button