कारगिल की कहानियां : उधार के हथियारों से लड़ रही थीं कई बटालियन

नई दिल्ली। कारगिल की लड़ाई इस तरह अचानक हुई उस समय भारतीय सेना पूरी तरह तैयार नहीं थी. एक तरफ सेना के पास हथियारों की कमी थी तो दूसरी तरफ बोफोर्स कंपनी पर प्रतिबंध लगा हुआ था. कई बटालियन के पास अपने हथियार नहीं थे.

उन हालात को बयान करते हुए तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने बताया, ‘हां हथियारों की काफी शॉर्टेज थी. हमने राष्ट्रीय राइफल्स की कई नई यूनिट बनाई थीं, लेकिन उनके हथियारों के लिए मंजूरी नहीं आई थी, तो उनको दूसरी बटालियन से हथियार इकट्ठे करके हमने दिए थे. तो हमारे पास जरूरत की क्षमता के हिसाब से हथियार नहीं थे. इसके अलावा बोफोर्स तोप के पुर्जे हमारे पास नहीं थे, गोला बारूद कम था. काफी दिक्कतें थी.’

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कारगिल विजय दिवस
19 साल पहले भारत ने पाकिस्तान को कारगिल युद्ध में धूल चटा दी थी. इस दिन से भारत कारगिल विजय दिवस मनाता आ रहा है. कारगिल विजय दिवस पर बुधवार (26 जुलाई) को सारा देश युद्ध में जान न्यौछावर करने वाले शहीदों को याद कर रहा है. पूर्व सेनाध्यक्ष वीपी मलिक कारगिल युद्ध के समय सेना का नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने इस यु्द्ध के अपने अनुभवों पर एक किताब लिखी- ‘कारगिल एक अभूतपूर्व विजय.’

 

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