कावंड़ियों के उत्पात पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, कहा- ‘दूसरों का नुकसान करने वाले अपना घर जलाएं’

नई दिल्ली।  कांवड़ियों के उत्पात के खिलाफ आम जनता के गुस्से ने सुप्रीम कोर्ट में भी दस्तक दी. सुप्रीम कोर्ट ने विरोध प्रदर्शन और धार्मिक समूहों के उत्पात और कानून तोड़ने की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने मामले पर चिंता जताई.

महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने कांवड़ियों द्वारा गत दो दिनों में किए गए उत्पात के बारे में उल्लेख किया, जिसमें हमला करने की घटनाएं और वाहनों को पटलने के हिंसक कार्य शामिल हैं. वेणुगोपाल ने कहा कि इस गुंडागर्दी पर तबतक रोक नहीं लगाया जा सकता, जबतक जिला पुलिस अधीक्षक(एसपी) को निजी या सरकारी संपत्ति को जानबूझकर बर्बाद करने के प्रयास से निपटने के लिए व्यक्तिगत तौर पर जवाबदेह नहीं बनाया जाएगा.

वेणुगोपाल कांवड़ियों की हरकतों का उल्लेख कर रहे थे, तभी न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि इलाहाबाद को वाराणसी से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को इन शिव भक्तों ने बाधित कर दिया था. घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए, प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “जो दूसरे की संपत्ति जलाते हैं, वे अपने घरों को क्यों नहीं जलाते. आप अपने घर जलाएं.”

सुप्रीम कोर्ट के 2009 के दिशानिर्देश के अनुसार विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रदशर्नकारी के नेता को जवाबदेह बनाने के आदेश दिए गए थे.  इस आदेश की ओर इशारा करते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि उन्होंने गौरक्षक समूहों द्वारा लिंचिंग की घटना से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं और किसी के भी द्वारा तोड़-फोड़ की घटना के लिए भी ऐसे ही दिशानिर्देश लागू होंगे.

अदालत ने कहा कि वह भीड़ या जिस भी प्रतीक के हैं, उनसे निपटने के लिए ऐसे ही दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे. फैसले को सुरक्षित रखते हुए, अदालत ने याचिकाकर्ता कोडुनगल्लौर फिल्म सोसायटी और महान्यायवादी से इन घटनाओं से निपटने के लिए दिशानिर्देश के लिए सुझाव मांगे. अदालत में जिन घटनाओं का जिक्र हुआ, उनमें मुंबई में मराठा आंदोलन, एससी/एसटी अधिनियम को कमजोर करने के आदेश के खिलाफ एससी/एसटी समूहों द्वारा हिंसा, ‘पद्मावत’ की रिलीज के समय करणी सेना के प्रदर्शन शामिल हैं.

महान्यायवादी ने कहा, “भारत में हर सप्ताह कुछ न कुछ बड़ी घटनाएं होती हैं. इन घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं होती.” उन्होंने कहा कि क्या कोई भी सभ्य समाज इन चीजों को सहन करेगा. जिन्होंने इस तरह का डर फैलाया है, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील पी.वी. दिनेश ने कहा, “कुछ भी नहीं हो रहा है, इसलिए यह इस तरह की छवि बन रही है कि यहां पूरी तरह से अराजकता है. आम लोगों का कहना है कि देश में कहीं भी कानून-व्यवस्था नहीं है.”

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button