किसान आत्महत्या रोकने के लिए खुलेंगे मानस उपचार केंद्र, मिलेगी राहत

bबेबाक राशिद सिद्दीकी

नागपुर। किसान आत्महत्या विदर्भ सहित महाराष्ट्र में बड़ा मुद्दा बन रहा है। इस पर रोक लगाने के सरकार के तमाम प्रयास विफल हुए हैं। मौजूदा सरकार ने कुछ और कदम उठाए हैं। पिछले दिनों आत्महत्याग्रस्त गांवों में तनावग्रस्त परिवारों का समुपदेशन करने का निर्णय लिया था। इससे एक कदम और आगे जाते हुए सरकार ने इन गांवों में मनोचिकित्सालय (मानसोपचार) केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। इन केंद्रों में मनोचिकित्सक की नियुक्ति करने सहित आशा वर्करों को भी प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है। फिलहाल सरकार, किसान परिवारों की मनोदशा को समझने पर ज्यादा जोर दे रही है।

उन्हें समुपदेशन कर आत्महत्या से रोकने के प्रबंध कर रहे हैं। पिछले 2-3 सालों में सूखा, पानी संकट, ओलावृष्टि, बेमौसम बारिश सहित अनेक संकट से किसान दो-चार हो रहा है। ऐसे में आत्महत्या भी बड़े पैमाने पर बढ़ी है। पहले यह विदर्भ का बड़ा केंद्र था। किन्तु इस बार मराठवाड़ा से भी बडे़ पैमाने पर किसान आत्महत्याओं की खबरें आ रही हैं। 1972 से भी बड़ा सूखा माना जा रहा है। जलाशयों में 8 प्रतिशत से भी कम बारिश है। इससे निपटने राज्य सरकार ने पिछले दिनों इन जिलों में अनाज बांटने का निर्णय लिया था। अनाज पैदा करने वाले किसानों को सरकार ने अनाज बांटने का काम शुरू किया है। इसके बाद इन जिलों में तनावग्रस्त परिवारों को समुपदेशन करने का फैसला किया गया था। कुल 14 जिलों का इसके लिए चयन किया गया था।

नागपुर विभाग के वर्धा जिले समेत अमरावती विभाग के अमरावती, अकोला, बुलढाणा, यवतमाल सहित औरंगाबाद, जालना, परभणी, हिंगोली, बीड, नांदेड, उस्मानाबाद, लातूर जिले शामिल हैं। फिलहाल इन सभी 14 जिलों के उपजिला रुग्णालय में मानसोपचार केंद्र शुरू करने का निर्णय हुआ है। इन सभी केंद्र में ठेका पद्धित पर एक-एक मनोचिकित्सक विशेषज्ञ की नियुक्ति भी की जाएगी। इसके अलावा आशा वर्कर्रों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा। इन केंद्रों के लिए सरकार ने 7.66 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है। प्रशासन से त्वरित इन केंद्रों को शुरू करने को कहा गया है।

 

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