कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण से पहले राहुल गांधी के सामने हैं ये 3 चुनौतियां

बेंगलुरु/नई दिल्ली। कर्नाटक सरकार के कप्तान के तौर पर एचडी कुमारस्वामी के नाम का ऐलान हो गया है, लेकिन उप-कप्तान समेत टीम के बाकी सदस्यों के नाम अभी फाइनल नहीं हो पाए हैं. हालांकि, इसके लिए दिल्ली से लेकर बेंगलुरु तक कोशिशें चल रही हैं, लेकिन कोई अंतिम नतीजा नहीं निकल पाया है.

सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मीटिंग करने के बाद जेडीएस नेता और भावी मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के साथ भी बैठक की. बावजूद इसके कुमारस्वामी कैबिनेट पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है.

इस बीच कांग्रेस के सामने कल होने वाले शपथ-ग्रहण समारोह से पहले तीन प्रमुख चुनौतियां मुंह-बाएं खड़ी हैं, जो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के लिए चिंता का सबब बनी है.

पहली चुनौती: कांग्रेस नेतृत्व के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि शपथ-ग्रहण के दौरान उसकी ताकत नजर आए. ऐसा इसलिए क्योंकि 78 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और वह जेडीएस (38 सीट) से काफी आगे है. बावजूद इसके कांग्रेस जेडीएस को सीएम पद दे चुकी है और खुद जूनियर की भूमिका में खड़ी दिखाई दे रही है. ऐसे में मिशन 2019 के साथ आगे बढ़ रहे कांग्रेस हाईकमान भले ही यह तस्वीर रास आ जाए, लेकिन स्थानीय नेतृत्व और कांग्रेस विधायकों के लिए इसे पचा पाना उतना आसान नहीं होगा.

दूसरी चुनौती: हालांकि, अब तक ये बात सामने आ रही है कि कांग्रेस को 20 और जेडीएस को 14 मंत्री पद का फॉर्मूला तैयार हुआ है, लेकिन आधिकारिक तौर पर कोई घोषणा नहीं हुई है. ऐसे में कांग्रेस के 78 विधायकों में से मंत्रिमंडल की चाह रखने वाले विधायकों को एकजुट रखना भी कांग्रेस नेतृत्व के लिए बड़ी चिंता का विषय है. आज की मीटिंग में अगर कैबिनेट पर कोई फैसला हो जाता है, तो कल (बुधवार) होने वाले शपथ-ग्रहण से पहले यह परेशानी और गंभीर रूप ले सकती है.

तीसरी चुनौती: डिप्टी सीएम का पद कांग्रेस के खाते में आने की काफी संभावनाएं हैं. इस फेहरिस्त में कांग्रेस के कई दिग्गजों के नाम हैं, लेकिन कतार में सबसे आगे दलित नेता जी. परेमश्वरा खड़े नजर आ रहे हैं. ऐसे में एमबी पाटिल, देशपांडे, डी.के शिवकुमार और शमनूर शंकरप्पा जैसे लिंगायत समर्थित कांग्रेस के बड़े नेताओं को साधे रखना भी बड़ा टास्क होगा, क्योंकि डिप्टी सीएम की पोस्ट के लिए ये नेता भी दावेदार माने जा रहे हैं. सूबे के सबसे बड़े समुदाय लिंगायत से जुड़ा एक संगठन एक लिंगायत कांग्रेस विधायक को डिप्टी सीएम बनाने की मांग भी कर चुका है.

इन तमाम परीक्षाओं के बीच आज बेंगलुरु में कांग्रेस और जेडीएस विधायकों की संयुक्त बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में दोनों पार्टी के शीर्ष नेता भी हिस्सा लेंगे. कांग्रेस के कर्नाटक चुनाव प्रभारी के.सी वेणुगोपाल समेत दूसरे कांग्रेसी नेता शाम में जेडीएस नेताओं के साथ बैठक करेंगे और हर मुमिकन विवाद का समाधान तलाशने की कोशिश करेंगे.

ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि निर्दलीयों और अन्य को मिलाकर दोनों पार्टियों के पास कुल 117 ही सीटें हैं, जो बहुमत के आंकड़े से महज 6 ही ज्यादा है. ऐसे में दो-तीन विधायकों की नाराजगी भी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को बड़ा झटका दे सकती है और सदन में किरकिरी झेल चुकी बीजेपी को एक गोल्डन चांस.

 

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