केंद्र के ये त्रिदेव जो कश्मीर में हर मोर्चे पर रखेंगे नजर

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार गिरने के बाद राज्यपाल शासन लागू हो गया है। ऐसे में राज्य में आतंकी घटनाओं और उपद्रव को रोकने के लिए केंद्र ने तीन आला अफसरों की टीम को वहां भेजा है। इनमें छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम, पूर्व आइपीएस अधिकारी बीबी व्यास और नक्सलरोधी अभियानों के विशेषज्ञ के विजय कुमार शामिल हैं। केंद्र के ये त्रिदेव कश्मीर में हर मोर्चे पर नजर रखेंगे। तीनों अपने-अपने क्षेत्र के धुरंधर हैं और केंद्र को भरोसा है कि इनकी मौजूदगी से वहां हिंसा और आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगेगा।

बीवीआर सुब्रमण्यम

– छत्तीसगढ़ काडर के लोकसेवा अधिकारी हैं।

– फिलहाल छत्तीसगढ़ में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) हैं।

– इन्हें जम्मू-कश्मीर का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है।

– आंतरिक सुरक्षा मसलों के विशेषज्ञ हैं।

– पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान 2004-2008 तक उनके निजी सचिव रहे।

– जून, 2008 से सितंबर, 2011 के बीच विश्व बैंक के साथ काम किया।

– मार्च, 2012 में मनमोहन सरकार में दोबारा अपनी सेवाएं दीं।

– मई, 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वह मार्च, 2015 तक प्रधानमंत्री कार्यालय में ही रहे। इसके बाद अपने काडर राज्य छत्तीसगढ़ लौट गए। पीएमओ का इनका अनुभव इस काम में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है।

बीबी व्यास

– जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्य सचिव है।

– राज्यपाल एनएन वोहरा के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है।

– राज्यपाल के भरोसेमंद सिपाहियों में गिने जाते हैं।

– 60 वर्ष के हैं। लिहाजा 31 मार्च, 2018 को सेवा की अवधि एक वर्ष बढ़ा दी गई।

– उन्हें सेवा में बनाए रखने के लिए कार्मिक मंत्रालय ने अपने नियमों में बदलाव किया।

– राज्य के मुख्य सचिव की सेवानिवृत्ति की उम्र अब तक 60 वर्ष थी।

– उन्हें पिछले साल नवंबर में सेवानिवृत्त हो जाना था, लेकिन उन्हें दो बार तीन-तीन महीने के लिए सेवा विस्तार दिया गया।

के विजय कुमार

– तमिलनाडु काडर के आइपीएस अधिकारी।

– इन्हें भी राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया गया है।

– 1998-2001 के दौरान जब सीमा सुरक्षा बल सक्रियता से आतंकरोधी अभियानों को अंजाम दे रही थी, तब कश्मीर घाटी में बीएसएफ के इंस्पेक्टर जनरल के रूप में अपनी सेवाएं दीं।

– अक्टूबर, 2004 में चंदन तस्कर वीरप्पन के खात्मे के लिए गठित की गई स्पेशल टास्क फोर्स का सफल नेतृत्व किया।

अलगाववादी नजरबंद

कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों की कार्रवाई, आतंकरोधी अभियानों और पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या के खिलाफ गुरुवार को अलगाववादियों के बंद व हड़ताल से सामान्य जनजीवन लगभग ठप हो गया। इस दौरान, अलगाववादियों के प्रदर्शन व जुलूसों को नाकाम बनाने के लिए पुलिस ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के चेयरमैन यासीन मलिक को एहतियातन हिरासत में ले लिया। साथ ही कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी, उदारवादी हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज मौलवी उमर फारूक, तहरीके हुर्रियत के चेयरमैन मोहम्मद अशरफ सहराई और पीपुल्स पॉलिटीकल पार्टी के चेयरमैन हिलाल अहमद वार समेत सभी प्रमुख अलगाववादियों को उनके घरों में नजरबंद रखा।

प्रतिबंध लगाया

केंद्र सरकार ने अल कायदा और आइएस जैसे आतंकी संगठनों की नई शाखाओं पर आतंक विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत पाबंदी लगा दी है। इस संबंध में जारी आदेश के मुताबिक, भारतीय क्षेत्र में अल कायदा (एक्यूआइएस) और आइएस से संबंधित अफगानी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड शाम-खोरासन (आइएस-के) को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी घोषित कर दिया है। सरकारी आदेश में कहा गया है कि आइएस-के को खोरासन प्रांत में इस्लामिक स्टेट (आइएसकेपी) / आइएस विलायत खोरासन के रूप में भी जाना जाता है। एक्यूआइएस अल कायदा से संबद्ध एक आतंकी संगठन है।

 

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