केंद्र पर फिर भड़के CJI कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के सामने ही लगायी जमकर फटकार
नई दिल्ली। केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच एक बार फिर तकरार देखने को मिली। आज केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के अखिल भारतीय सम्मलेन में अपने संबोधन के दौरान चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने जजों की कमी और प्राधिकरणों की खस्ताहाल हालत बयां कीं। उन्होंने कहा कि कोर्ट खाली हैं और उसमें जज जा नहीं रहे हैं। इस सम्मेलन में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और पीएमओ में राज्य मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे।
चीफ जस्टिस ने अपने भाषण में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज रिटायर्ड होने के बाद किसी भी ट्रिब्यूनल का हेड बनने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि सरकार उन्हें न्यूनतम सुविधा के तौर पर एक आवास तक मुहैया नहीं करवा पा रही है। उन्होंने कहा कि कोर्ट रूम है, लेकिन जज नहीं। नए ट्रिब्यूनल के बनने से न्यायपालिका को कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि वे अदालतों का बोझ कम करते हैं, लेकिन इनमें मूलभूत सुविधाएं तो होनी ही चाहिए। क्यों कई ट्रिब्यूनल खाली हैं?
चीफ जस्टिस के भाषण के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी इस पर अपनी असहमति जताई। कानून मंत्री ने कहा कि वो चीफ जस्टिस की बात से सहमत नहीं हैं। सरकार नियुक्ति भरने और सुविधा मुहैया करवाने का भरपूर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड हो रहे सभी जजों को एक ही साइज का आवास देना संभव नहीं है।
कानून मंत्री ने कहा कि इस साल कुल 120 जजों की नियुक्ति हुई है जो कि अबतक का दूसरा सर्वोच्च नियुक्ति का रिकॉर्ड है। जिला अदालतों में 5000 पद खाली हैं, लेकिन इन्हें भरने में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है। गौरतलब है कि जजों की नियुक्ति और ट्रिब्यूनलों के जजों को बेहतर सुविधा देने के मामले में पहले भी अदालत अपनी चिंता जाहिर कर चुकी है।
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