केजरीवाल बचना चाहते हैं तो हाजिर हों: इलाहाबाद हाई कोर्ट

arvind-kejriwal28तहलका एक्सप्रेस

लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कथित आपत्तिजनक भाषण देने के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है। अदालत ने कोई राहत नहीं देते हुए शुक्रवार को कहा कि अगर वह चार हफ्ते के भीतर अमेठी की संबंधित अदालत में पेश होकर अपना पक्ष रख देते हैं तो उनके खिलाफ किसी तरह की ‘उत्पीड़नात्मक कार्रवाई’ नहीं की जाएगी।

जस्टिस ए. एन. मित्तल की बेंच ने अमेठी की स्थानीय अदालत द्वारा पिछले 12 अगस्त को पारित आदेश को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर यह फैसला सुनाया। अदालत ने इस मामले में सुनवायी गुरुवार को पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। आम आदमी पार्टी (आप) नेता केजरीवाल की तरफ से दायर याचिका में अमेठी के न्यायिक मैजिस्ट्रेट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें उन्हें पिछले साल अमेठी में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कथित आपत्तिजनक भाषण देने के मामले में व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने को कहा गया था।

अदालत ने कहा कि जहां तक इस मामले में पूरी आपराधिक कार्यवाही को स्थगित करने की याचिकार्ता की प्रार्थना का सवाल है, तो अदालत को ऐसा लगता है कि इस पर रोक लगाने का पर्याप्त आधार नहीं है। इसके पहले पिछले तीन अगस्त को हाई कोर्ट ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत 31 जुलाई को दायर केजरीवाल की एक याचिका को निस्तारित करते हुए पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी जिले में बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ कथित आपत्तिजनक भाषण देने के मामले में ‘आप’ नेता के खिलाफ जारी जमानती वॉरंट पर चार हफ्ते के लिये रोक लगा दी थी।

 केजरीवाल ने याचिका दायर करके मामले की पूरी कार्यवाही को चुनौती देते हुए मामले में दायर आरोपपत्र और वॉरंट को निरस्त किए जाने के आदेश देने का आग्रह किया था।अदालत ने केजरीवाल के वकील से दिल्ली के मुख्यमंत्री को मैजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश होने से छूट देने के संबंध में नई याचिका दाखिल करने के निर्देश देते हुए संबंधित निचली अदालत को मामले के त्वरित निस्तारण के आदेश भी दिये थे। केजरीवाल के वकील महमूद आलम ने अदालत से कहा था कि अमेठी में एक चुनावी सभा के दौरान ‘आप’ नेता द्वारा दिया गया भाषण ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के दायरे में आता है।

लिहाजा इसमें कोई अपराध नहीं बनता, वहीं राज्य सरकार के वकील रिशाद मुर्तजा ने इस दलील का यह कहते हुए विरोध किया था कि खुद को जाहिर करने की आजादी की अपनी सीमाएं हैं और केजरीवाल ने उस सीमा को लांघा है, लिहाजा यह मामला बनता है। केजरीवाल के खिलाफ मई 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी के औरंगाबाद गांव में कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषण देने के आरोप में लोकप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। साबित होने पर इस मामले में तीन साल तक की सजा अथवा जुर्माना या फिर दोनों ही हो सकते हैं।

 

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