केजरीवाल सरकार को झटका, केंद्र ने लौटाया विधायकों की सैलरी 400% बढ़ाने वाला बिल

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने सत्ता में आने के कुछ महीनों बाद विधायकों की सैलरी को कम बताते हुए इसमें भारी-भरकम इजाफा करने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास करके केंद्र की मंजूरी के लिए भेजा था, लेकिन केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने दिल्ली की सरकार को करारा झटका देते हुए उपराज्यपाल अनिल बैजल के जरिये दिल्ली सरकार के विधायकों की तनख्वाह में इजाफा करने से जुड़े बिल को वापस लौटा दिया है। इस बिल में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के विधायकों का वेतन करीब 400 प्रतिशत बढ़ाने की मांग की थी। गृह मंत्रालय ने उपराज्यपाल के माध्यम से इस बिल को यह कहते हुए वापस भेज दिया है कि दिल्ली सरकार ‘वैधानिक प्रक्रिया’ के तहत इस बिल को दोबारा सही फॉर्मेट में भेजे।

केंद्र ने पिछले साल अगस्त में दिल्ली सरकार से इस बिल के संदर्भ में कई सवाल किए थे। केंद्र ने दिल्ली सरकार से इतनी ज्यादा बढ़ोतरी का व्यवहारिक पक्ष जानना चाहा था। बिल लौटाए जाने के बाद केंद्र और दिल्ली के सीएम के बीच विवाद और गहराने के आसार दिखाई दे रहे हैं। फिलहाल आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मनीष सिसोदिया ने कहा है कि ‘डेढ़ दो साल पहले जितने बिल हमने भेजे थे, सबके साथ यही खेल खेलते हैं, उनको रोक रखा है। वे विधायक की तनख्वाह नहीं बढ़ा सकते हैं, लेकिन जो एमएलए करप्शन करते हैं, उनको खुली छूट दे रखी है। हमारे विधायक करप्शन नहीं करते हैं।

इसके साथ ही सिसोदिया ने कहा कि हम तो कह रहे हैं कि विधायकों की तनख्वाह 12 हजार रुपये है, उसे बढ़ाकर 40-50 हजार रुपये कर दो, ताकि वे ठीक-ठाक जिंदगी जी लें’। मनीष सिसोदिया यहीं नहीं रुके। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी के एमएलए स्कूटर पर आते हैं, और उसके बाद बड़े-बड़े महल बना लेते हैं और बड़ी-बड़ी गाड़ियों से उतरते हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी के विधायक भ्रष्टाचार नहीं करते। केजरीवाल सरकार ने जब विधायकों की सैलरी में बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया था उस वक्त कहा गया था कि विधायकों के पास इतने पैसे भी नहीं होते कि वो ढंग का जीवन जी सकें और अपनी सहायता के लिए जिन लोगों को रखते हैं उन्हें वेतन दे सकें। इसके अलावा भी बहुत कुछ कहा गया था।

उसी दौरान एक एक विधायक ने तो पैसे नहीं होने की वजह से अपने बेटे की फीस नहीं दे पाने की भी बात कही थी जिसकी वजह से उनके बच्चों का नाम स्कूल से कट भी गया था। आपको बताते चलें कि वर्ष 2015 में दिल्ली विधानसभा ने विधायकों की सैलरी में संशोधन संबंधी यह विधेयक पास किया था। इसमें विधायकों की ग्रॉस सैलरी 88 हजार से बढ़ाकर2.10 लाख रुपये करने का प्रस्ताव दिया था। इसके साथ ही, विधायकों का यात्रा भत्ता भी50,000 रुपये से बढ़ाकर तीन लाख सालाना करने का प्रावधान किया था। इस विधेयक के अनुसार, दिल्ली के विधायकों को बेसिक सैलरी 50,000 रुपये, परिवहन भत्ता 30,000 रुपये, संचार भत्ता 10,000 रुपये और सचिवालय भत्ते के रूप में 70,000 रुपये प्रति महीने का प्रावधान था।

 

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