केजरीवाल सरकार में कुछ नहीं बदला, वैसे ही हैं समस्याएं

arvind-kejriwal (2)तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऑटोरिक्शा ड्राइवर विनोद कुमार ने बड़े उत्साह से अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया था। भ्रष्टाचार खत्म करने और जरूरी बिलों को कम करने के वादों पर आम आदमी पार्टी शानदार बहुमत के साथ सत्ता में भी आई। केजरीवाल के सत्ता में आए चार महीने हो गए लेकिन विनोद की समस्या खत्म नहीं हुई। दिल्ली के तपते जून में 47 साल के विनोद ने कहा, ‘कुछ भी नहीं बदला है’।
विनोद ने कहा, ‘उन्होंने मुफ्त में पानी का वादा किया था लेकिन हमलोग गर्मी में पानी की भारी कमी से जूझ रहे हैं। हमलोग चाहते हैं कि केजरीवाल केवल दिल्ली पर ध्यान दें न कि अपना वक्त राजनीति में गंवाएं।’ इसी साल फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटों पर जीत मिली थी। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चलाने वाले केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को बुरी तरह से हरा दिया। पिछले साल हुए आम चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पहली हार थी। केजरीवाल की छवि जमीन से जुड़े लोगों के बीच रहने वाले नेता के रूप में बनी थी। वह अपने ट्रेडमार्क मफलर पर एक व्यंग्यात्मक टेलिविजन शो में आने पर भी राजी हुए। लेकिन सत्ता में आने के कुछ ही हफ्ते बाद आम आदमी पार्टी राजनीतिक मुक्केबाजी में लग गई। पार्टी बेमतलब के दावे करने लगी कि वह दूसरों से अलग है। फर्जी डिग्री के मामले में केजरीवाल को अपने दूसरे कार्यकाल में कानून मंत्री से हाथ धोना पड़ा। जब सफाई कर्मचारी सैलरी नहीं मिलने के कारण हड़ताल पर गए तो नए मुख्यमंत्री केजरीवाल समस्याओं से घिर गए। बदबूदार कूड़ों का सड़क पर ढेर लग गया। सुनील उन हजारों में से एक हैं जिन्होंने केजरीवाल को वोट किया था। उनका कहना है, ‘मैंने केजरीवाल को इसलिए वोट दिया था कि वह राजनीति से पहले पब्लिक को तवज्जो देंगे। सुनील का कहना है कि केजरीवाल के पहले कुछ महीने बेहद निराशाजनक रहे हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार का नाम केवल विवादित खबरों में आया और उन्होंने हमारे लिए कुछ भी नहीं किया। दिल्ली के सफाईकर्मियों की हड़ताल से उपजी समस्या को सुलझाने में केजरीवाल नाकाम रहे। ऐसा इसलिए कि सिविक बॉडी पर बीजेपी का कब्जा है। दिल्ली को स्पेशल स्टेटस मिला है। यह पूर्ण राज्य नहीं है। ऐसे में कई अहम ताकतों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है। इनमें पुलिस भी शामिल है। ऐसे में सिविक बॉडी पर किसी दूसरी पार्टी का नियंत्रण होने से दिल्ली सरकार की परेशानी और जटिल हो जाती है। इस हालत में किसी को राजनीति मोहरा बनाना और आसान हो जाता है। चुनाव बाद केजरीवाल से प्रधानमंत्री मोदी ने भरपूर समर्थन देने का वादा किया था। लेकिन इनकम टैक्स ऑफिसर से राजनीतिक कैंपेनर बने केजरीवाल ने बीजेपी पर दिल्ली में काम नहीं करने देने के गंभीर आरोप लगाए। केजरीवाल ने एनडीटीवी से कहा था, ‘बीजेपी दिल्ली में चुनाव हारने के बाद से बदला लेना चाहती है। यह बिल्कुल ठीक नहीं है।’राजनीति का बड़ा केंद्र मुख्यमंत्री के रूप में यह केजरीवाल का दूसरा कार्यकाल है। पहला टर्म इनका दिसंबर 2013 में शुरू हुआ था और राष्ट्रीय राजनीति में धमाका करने की आकांक्षा के साथ इन्होंने 49 दिनों में ही इस्तीफा दे दिया था। केजरीवाल का यह कदम आत्मघाती साबित हुआ। पिछले साल हुए आम चुनाव में आम आदमी पार्टी हाशिए पर चली गई। केजरीवाल ने मोदी को बनारस जाकर चुनौती दी लेकिन वह फिर से दिल्ली लौटने पर मजबूर हुए। राजनीतिक एक्सपर्ट समीर सरन का मानना है कि केजरीवाल ने प्रधानमंत्री से कड़वी प्रतिद्वंद्विता को पर्याप्त जगह दी। ऐसा प्रभुत्व के लिए किया गया लेकिन इसका नुकसान दिल्ली के लोगों का हो रहा है। दिल्ली स्थित ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सीनियर रिसर्च फेलो समीर सरन का मानना है कि पिछले कुछ महीनों को केजरीवाल ने व्यर्थ टकराव में गंवाया। उन्होंने कहा कि जहां काम होने चाहिए थे वहां राजनीति का बड़ा अड्डा बन गया। केजरीवाल श्रेष्ठ बन सकते थे लेकिन उन्होंने खुद को भटकाया।
केजरीवाल सरकार ने पिछले महीने बजट के जरिए अपने समर्थकों को साधने की कोशिश की है। दिल्ली सरकार ने सोशल सर्विस पर बजट का हिस्सा बढ़ाया। गरीबों के लिए पानी और बिजली पर भी सब्सिडी दी। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह बजट आम आदमी का है और हमने कोशिश की है कि दिल्ली के लोगों की जरूरतें और हसरतों को छू पाऊं। हालांकि दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित का कहना है कि केजरीवाल सरकार न तो गवर्नेंस को समझना चाहती है और न ही समझ रही है। 15 सालों तक दिल्ली की सीएम रहने वाली शीला दीक्षित ने कहा, ‘यहां तक कि हमलोग के भी दूसरी अथॉरिटीज से मतभेद होते थे लेकिन हमलोग इसे आंदोलन और शोर के जरिए नहीं सुलझाते थे।’ आप समर्थक और दिल्ली के इलेक्ट्रिशन राजू सिंह ने कहा, ‘केजरीवाल ने अभी तक शहर की जरूरत और प्रतिबद्धता के हिसाब से प्रदर्शन नहीं किया है। हालांकि राजू का कहना है कि वह पारंपरिक राजनेताओं के मुकाबले अच्छे हैं। राजू ने कहा, ‘हमलोग उनका समर्थन करते हैं और उम्मीद है कि वह यहां रहकर बदलाव लाएंगे।

 

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