केरल बाढ़: 10 लाख लोग राहत शिविरों में, महामारी का खतरा, 3000+ मेडिकल कैंप लगाए गए

नई दिल्ली। केरल में आए जल प्रलय से मची तबाही रुकने का नाम नहीं ले रही है. रविवार को बारिश थमने से आखिरकार लोगों ने थोड़ी राहत की सांस जरूर ली, मगर इससे पहले भारी बारिश के कारण आई बाढ़ से मची त्रासदी ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया और सैकड़ों की जानें ले लीं.

बाढ़ पीड़ितों के लिए 5,645 राहत शिविर बनाए गए हैं. बाढ़ की त्रासदी ने 370 जिंदगियां लील लीं. वहीं केंद्रीय मंत्री के. जे. अल्फॉन्स का कहना है कि अभी भी करीब 10 लाख लोग राहत कैंप में रह रहे हैं. सभी जिलों में जिलाधिकारी व्यवस्था पर नजर बनाए हुए हैं. उन्होंने कहा कि इस मुसीबत के समय में मछुआरे सबसे बड़े हीरो बनकर उभरे हैं. बचाव अभियान के दौरान उन्होंने अपनी करीब 600 बोट मदद के लिए दी.

इस बीच केंद्रीय मंत्री के.जे. एलफॉन्स का कहना है कि बाढ़ के कारण किसी भी घर में बिजली नहीं है, ना ही किसी और तरह की सुविधाएं हैं. अभी सबसे ज्यादा वहां पर इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, कारपेंटर की जरूरत है. अभी वहां खाना और कपड़े की जरूरत नहीं है.

केरल में इस बीच कई दिनों के बाद विमान सेवा शुरू हुई है. कोच्चि एयरपोर्ट बाढ़ के पानी की वजह से पूरी तरह डूब गया था, जिसके बाद अब नेवल एयर स्टेशन पर विमान सेवा को शुरू किया गया है. अब लगातार कमर्शियल फ्लाइट सेवा जारी रहेगी, अधिकतर फ्लाइट बेंगलुरु और कोयंबटूर से उड़ान भरेंगी.

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: First commercial flight lands at INS Garuda Kochi Naval Air Station after Cochin International Airport got affected due to floods.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि केंद्र की ओर से केरल को पूरी मदद दी जा रही है. राज्य में करीब 3757 मेडिकल कैंप लगे हैं, जिसमें 90 किस्म की दवाईयां भेजी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि महामारी ना फैले उसकी पूरी तैयारी की जा रही है.

बाढ़ से आई आफत के बीच राहत की खबर ये है कि सभी जिलों में जारी किया गया रेड अलर्ट अब वापस ले लिया गया है. मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भारी बारिश से राहत का दावा जरूर किया है. लेकिन आपदा के इस दौर से केरल में जान-माल का जो नुकसान हुआ है, उससे केरल और वहां के रहने वालों का जीवन पटरी पर लौटने पर काफी समय लग सकता है. जबकि इडुक्की, कोजीकोड, कन्नूर में येलो अलर्ट जारी है.

रेस्क्यू पर फोकस

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमारी सबसे बड़ी चिंता लोगों की जान बचाने की थी. लगता है कि इस दिशा में काम हुआ.” केरल में आखिरकार बाढ़ के सबसे विनाशकारी दौर समाप्त होने के संकेत मिले और कई शहरों व गांवों में जलस्तर में कमी आई. मुख्यमंत्री ने कहा, “शायद यह अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी है, जिससे भारी तबाही मची है. इसलिए हम सभी प्रकार की मदद स्वीकार करेंगे.” उन्होंने बताया कि 1924 के बाद प्रदेश में बाढ़ की ऐसी त्रासदी नहीं आई.

विजयन ने कहा कि बचाव कार्य का अंतिम चरण जारी है. कई व्हाट्सएप ग्रुप पर मदद की मांग की जा रही है, खासतौर से अलप्पुझा से मदद मांगी जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे 22,034 लोगों को बचाया गया है.

गौरतलब है कि केरल में 29 मई को आई पहली बाढ़ के बाद से लोगों की मौत का सिलसिला जारी है. बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित अलाप्पुझा, एर्नाकुलम और त्रिशूर में बचाव कार्य जारी है. अधिकारियों ने इन तीन जिलों में जारी किए गए रेड अलर्ट को वापस ले लिया है.

सर्वाधिक प्रभावित स्थानों जहां लोग पिछले तीन दिनों से भोजन या पानी के बिना फंसे हुए हैं, उनमें चेंगन्नूर, पांडलम, तिरुवल्ला और पथानामथिट्टा जिले के कई इलाके, एर्नाकुलम में अलुवा, अंगमाली और पारावुर में शामिल हैं. अलाप्पुझा में बचाव कार्य में मदद के लिए आए फंसे मछुआरों के एक समूह ने अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी होने की शिकायत की. केरल सरकार ने बाढ़ से कुल 19,500 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया है.

 

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