केरल लव जिहाद केस : SC ने पूछा- क्या ऐसा कोई कानून है कि किसी अपराधी से साथ बालिग लड़की प्यार या शादी नहीं कर सकती

नई दिल्ली। केरल के लव जिहाद केस में  सुप्रीम कोर्ट ने लड़की हादिया को कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है. इसके साथ ही अदालत ने एनआईए से पूछा है कि क्या कोई ऐसा कानून है कि किसी अपराधी से साथ बालिग लडकी प्यार नहीं कर सकती या शादी नहीं कर सकती. हाईकोर्ट कैसे हैबियस कारपस याचिका पर शादी को शून्य करार दे सकती है. इसके साथ ही अदालत ने हादिया के पिता से भी पूछा है कि वह एक बालिग को बंधक बनाकर रख कैसे सकते हैं. मुख्य न्यायाधीश ने ये बात उस वक्त कही जब जांच एजेंस की ओर से कहा गया कि कई संगठन काम कर रहे हैं जो बालिगों को भी निशाना बना रहे हैं. ये केस आम केस नहीं है. जांच में पाया गया है कि ये संगठन कई मामलों में शामिल रहे हैं.  गौरतलब है कि पिछली बार सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को उस समय सुनने से इनकार कर दिया था जब हदिया के पति ने सुनवाई के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम ले लिया था. हदिया के पति शफ़ीन के वक़ील दुष्यंत दवे ने आरोप लगाया कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने हाल में हो केरल में रैली की है वो इस मुद्दे को उठा रहे हैं.

वक़ील का आरोप था कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी केरल जिहाद का मामला उठाया था.  जिस सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने हदिया के पति शफ़ीन के वक़ील दुष्यंत दवे को कहा कि आप अपना केस खुद खराब कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि हम आपको इस बात की इजाजत नही दे सकते क्योंकि उनका इस मामले से कोई संबंध नहीं है. कोर्ट ने साफ कहा कि ये मामला पूरी तरह कानूनी है. आपके बहस का ये तरीका स्वीकार नहीं है. हमें बस ये तय करना है कि क्या हाईकोर्ट का शादी रद्द करने का फैसला सही था या नहीं.  हालांकि कोर्ट ने कहा कि वो केवल कानून मसले पर सुनवाई करेंगे.

इससे पहले केरल लव जिहाद मामले में तीन अर्जियां सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर इस पूरे मामले की एनआईए से जांच कराने की मांग की गई थी. एक अर्जी बिंदू संपत की तरफ से दाखिल की गई है, बिंदू संपत की बेटी निमिषा ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर मुस्लिम युवक से शादी की थी और 2016 से वो गायब है जब वो आतंकवादी संगठन आईएसआईएस जॉइन करने गई थी. दूसरी अर्जी महाराष्ट्र की रहने वाली सुमिता आर्या ने दाखिल की है जिन्होंने आरोप गया है कि उनके पिता और पति द्वारा ज़बरन धर्मांतरण करा कर इस्लाम धर्म स्वीकार करने पर मजबूर किया गया. तीसरी अर्जी तीन वकीलों ने दायर की है शीला देवी, कीर्ति सोलोमन और विष्णु जयपालन. इन्होंने अपनी अर्जी में कहा है कि हदिया का धर्म परिवर्तन का मामला अकेला नहीं है ऐसे कई मामले में जहाँ धर्म परिवर्तन किया गया है. ऐसे में इस मामले की एनआईए से जांच कराई जाए.इससे पहले केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर कर कहा है कि इस मामले में एनआईए जांच की जरूरत नहीं थी. केरल सरकार ने कहा कि इस मामले में हर पहलुओं पर केरल पुलिस की एसआईटी ने जांच की थी.

क्या है पूरा मामला
दरअसल एक मुस्लिम युवक की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट यह सुनवाई कर रहा है. हाईकोर्ट ने उसकी शादी को रद्द करते हुए उसे ‘लव जिहाद’ की संज्ञा दी थी, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया है. केरल में एक हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन कर निकाह हुआ. हाईकोर्ट ने शादी को अवैध करार दिया और इसे लव जिहाद की संज्ञा देते हुए लड़की को उसके घरवालों के पास भेज दिया था.

 

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