कैंप से 1KM दूर ही आतंकियों ने औरंगजेब को किया था किडनैप, ड्राइवर ने बताई पूरी कहानी

श्रीनगर। रमज़ान के दौरान लागू किए गए सीज़फायर से एक ही दिन पहले आंतकियों द्वारा सेना के जवान औरंगजेब को अगवा कर मार दिया गया. औरंगजेब की शहादत पर हर किसी ने उन्हें सलाम किया, पूरा देश उनके परिवार के साथ खड़ा दिखा.

औरंगजेब जब ईद की छुट्टियों पर अपने घर लौट रहे थे, तभी आतंकियों ने उन्हें मार गिराया. बताया जा रहा है कि उस दौरान औरंगजेब बिल्कुल अकेले थे जो कि सेना द्वारा लागू किए गए एसओपी यानी Standard operating procedure का पालन सही तरीके से नहीं हुआ था.

14 जून की शाम को औरंगजेब का शव पुलवामा जिले के गुस्सो गांव में बरामद हुआ था. ये कलमपोरा गांव से करीब 30 किलोमीटर दूर था, जहां उन्हें किडनैप किया गया था.

ड्राइवर ने बताई कहानी

औरंगजेब जब छुट्टी पर जा रहे थे, तब उन्होंने एक गाड़ी वाले से लिफ्ट मांगी और जाने लगे. लेकिन कुछ दूरी पर आतंकियों ने उस गाड़ी को घेर लिया और उन्हें किडनैप किया. गाड़ी के ड्राइवर फारुक ने बताया कि सेना के जवान उसे कैंप में लाए और मुगल रोड तक के लिए लिफ्ट मांगी.

ये करीब उनके कैंप से 6 किमी. दूर थी, इसलिए वह मना नहीं कर सकते थे. उन्होंने बताया कि जब हम कैंप से करीब 1 किमी. दूर थे, तब एक मारुति कार में तीन बंदूकधारी लोग आए और उस जवान को जबरदस्ती लेकर चले गए. इस दौरान उन्होंने मेरा फोन छीना और तोड़ दिया.

क्यों निशाने पर थे औरंगजेब?

औरंगजेब जम्मू-कश्मीर की लाइट इन्फेंट्री JAKLI का हिस्सा थे, जो कि 44 राष्ट्रीय रायफल्स के साथ काम कर रही थी. बताया जा रहा है कि औरंगजेब शोपियां में 44RR की कोर टीम का हिस्सा थे. 2017 में 44 RR की अगुवाई में ही सेना ने जम्मू-कश्मीर में करीब 260 से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतारा. जिसमें करीब तीस तो दक्षिण कश्मीर में ही थे.

जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर के भतीजे महमूद भाई को जिस सेना की टीम ने मारा था, औरंगजेब उसी टीम का हिस्सा रहे. वहीं हिज्बुल कमांडर समीर टाइगर के खिलाफ चले ऑपरेशन में भी वह मेजर शुक्ला के साथ थे. यही कारण रहा है कि आतंकियों के निशाने पर 44RR थी.

जब से समीर टाइगर के खिलाफ मेजर शुक्ला ने ऑपरेशन चलाया था, उस क्षेत्र में उनका काफी नाम हुआ. और क्योंकि औरंगजेब लोकल था इसलिए वह सबसे ज्यादा नज़रों में आया.

औरंगजेब के मामले में जिस तरह SoP का पालन नहीं हो पाया, इस पर अब सेना ने दोबारा विचार करना शुरू कर दिया है. जब भी कोई लोकल जवान छुट्टी पर जाएगा तब उसे सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी. औरंगजेब के मामले में कहां पर चूक हुई इसके लिए सेना जांच शुरू कर दी है और SoP में जरूरी बदलाव की भी बात कही जा रही है.

 

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