कॉन्ट्रैक्ट बेस पर काम कर रहे कर्मचारियों को सरकार बड़ा झटका देने जा रही है
नई दिल्ली। केंद्र सरकार कॉन्ट्रैक्ट वर्कर के तौर पर काम कर रहे लाखों लोगों को झटका देने की तैयारी में हैं। सरकार कानून में बदलाव के जरिये स्थाई और कॉन्ट्रैक्ट बेस पर काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन में अंतर करने जा रही है।
सरकार कांट्रैक्ट लेबर (रेगुलेशन एंड एबोलिशन) सेंट्रल रूल्स, 1971 के सेक्शन 25 को खत्म करने पर विचार कर रही है। सेक्शन 25 में ही समान काम के लिए समान वेतन देने का प्रावधान है। हालाँकि इस पर लेबर मिनिस्ट्री ने 28 जून को सभी स्टेक होल्डर्स की बैठक बुलाई है। इस बैठक में ट्रेड यूनियन के शामिल होने की संभावनाएं।
सूत्रों की माने तो नीति आयोग ने सेक्शन 25 को ख़त्म करने की सिफारिश की है। इसके बाद कॉन्ट्रैक्ट वर्कर को स्थाई वर्कर के बराबर सुवधाएं नहीं देनी पड़ेगी। गौरतलब है कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने देश में काम कर रहे सभी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर को प्रॉविडेंट फंड बेनेफिट देने का आदेश दिया था। ईपीएफओ का यह आदेश सरकारी और प्राइवेट तौर पर काम करने वालों के लिए था।
हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने, कैजुअल या डेलीवेज वर्कर अगर स्थाई कर्मचारी वाला ही काम कर रहा है तो वेतन भी सामान होना चाहिए।
सरकार के इस कदम का भारतीय मजदूर संघ ने विरोध किया है। नीति आयोग का कहना है कि हम नौकरियों पर नीति आयोग की नीतियों का विरोध कर रहे हैं। इसको लेकर पिछले दो दिनों से देश के अलग अलग हिस्सों में हमारा विरोध प्रदर्शन जारी है।
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