कॉन्डम फेल, अब बांग्लादेश में रोहिंग्याओं की होगी नसबंदी!

पालोंगखाली। बांग्लादेश ने वहां रह रहे शरणार्थी रोहिंग्याओं के लिए नसबंदी कराने की योजना बनाई है। बताया जा रहा है कि रोहिंग्याओं की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के सभी तरीकों में विफल होने के बाद यह योजना बनाई है। बीते महीने बांग्लादेश ने रोहिंग्याओं के कैंप में कॉन्डम भी बांटे थे, लेकिन उसका कोई खास असर नहीं दिखा। बता दें कि म्यांमार में हिंसा के बाद करीब 6 लाख से ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं।

म्यांमार से आए इन शरणार्थियों को भोजन और साफ पानी जैसी सुविधाओं के लिए भी जूझना पड़ रहा है। कुछ अधिकारियों को डर है कि ऐसी स्थिति में यदि इनकी संख्या पर नियंत्रण नहीं लगाया गया तो स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है। जिस जगह रोहिंग्याओं के कैंप लगे हैं, उस जिले में फैमिली प्लानिंग सर्विस के प्रमुख पिंटू कांती भट्टाचार्जी का कहना है कि रोहिंग्याओं के बीच जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जागरूकता की कमी है।

एएफपी से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘पूरे समुदाय को जानबूझकर पीछे छोड़ दिया गया है।’ उन्होंने कहा कि रोहिंग्याओं के बीच शिक्षा का अभाव है, ऐसे में उनके बीच जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी जागरूकता की कमी है। भट्टाचार्जी ने बताया कि रोहिंग्या कैंपों में बड़े परिवार का होना आम सी बात है। कुछ लोगों के 19 से ज्यादा बच्चे भी हैं और बहुत से रोहिंग्याओं की एक से ज्यादा पत्नी हैं।

जिला परिवार नियोजन अधिकारियों ने गर्भनिरोधक बांटने के लिए एक अभियान शुरू किया था, लेकिन उनके बीच अब तक सिर्फ 550 कॉन्डम पैकेट ही बांटे जा सके हैं, जबकि ज्यादातर लोग इसके इस्तेमाल को लेकर अनिच्छुक हैं। भट्टाचार्जी ने बताया कि इसलिए उन्होंने सरकार से रोहिंग्या पुरषों और महिलाओं नसबंदी का अभियान चलाने की इजाजत मांगी है, लेकिन इसे लेकर भी संघर्ष करना पड़ सकता है।

कई शरणार्थियों ने बातचीत में कहा कि बड़ा परिवार कैंपों में उनके रहने में मदद करता है। जहां पानी और खाने को लेकर काफी संघर्ष है, ऐसे में बच्चे इस काम को बेहद आसानी से कर पाते हैं। रोहिंग्याओं के शरणार्थी कैंपों में काम करने वाली एक फैमिली प्लानिंग वॉलंटियर फरहाना सुल्ताना ने बताया कि कई महिलाएं सोचती हैं कि जन्म दर को कम करना ‘पाप’ है। सुल्ताना ने बताया, ‘ये लोग म्यांमार में भी फैमिली प्लानिंग क्लीनिक में नहीं जाते थे क्योंकि इन्हें डर था कि कहीं म्यांमार अथॉरिटी इन्हें कोई ऐसी दवा न दे दे जो इनके और इनके बच्चों के लिए नुकसानदायक हो।’

कैंप में रह रही 7 बच्चों की मां सबुरा ने बताया कि उनके पति का मानना है कि वे दोनों मिलकर बड़े परिवार को पाल सकते हैं। सबुरा ने बताया, ‘मेरे पति कहते हैं कि हमें बड़े परिवार को लेकर डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि म्यांमार में हमारे पास प्रॉपर्टी है। इसलिए हमारे बच्चों को कभी कोई दिक्कत नहीं होगी।’

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button