कौशाम्बी : जिला अस्पताल में मोबाइल के टार्च की रोशनी में हो रहा मरीजो का इलाज

treatment of patients being treated in the light of mobile torch : कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रदेश के अस्पतालों में हाईटेक व्यवस्था करने का दम भरा जा रहा है। लेकिन अस्पतालों में पॉवर बैकअप जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मौजूद है। ऐसी ही एक सच्चाई यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के गृह जनपद कौशाम्बी के जिला अस्पताल में भी सामने आई है।

जहां अस्पताल का ट्रांसफार्मर जल जाने की वजह से अस्पताल परिसर में अंधेरा फैला रहा। जिसकी वजह से जिला अस्पताल में काफी देर तक मोबाइल की रोशनी में मरीजों का इलाज होता रहा। वही इस पूरे मामले में जिले के आलाधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे है।

जनपद मुख्यालय मंझनपुर में 100 बेड का जिला अस्पताल बना हुआ है। जिला अस्पताल में मंगलवार को दोपहर के समय अचानक ट्रांसफार्मर जल गया। जिसकी वजह से मरीजो को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। जिला अस्पताल में पावर बैकअप की भी व्यवस्था है। यहाँ हॉवी जनरेटर सेट के साथ ही के यूपीएस की भी व्यवस्था की गई है।

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लेकिन लापरवाही के चलते बिजली जाते ही पूरी व्यवस्था ठप्प पड़ जाती है। यहाँ की सच्चाई यह है कि लाइट जाने के बाद जनरेटर कब चलेगा इसकी किसी को नहीं पता है। हद तो तब हो गई जब पश्चिम शरीरा थाना क्षेत्र के डिढ़वा गांव के रहने वाले रामसिंह का इलाज मोबाइल की रोशनी में होता दिखा। रामसिंह के परिजन रामभजन के मुताबिक रामसिंह गोराजू अपनी बहन के यहाँ जा रहे थे तभी गांव के बाहर ही साइकिल से गिरकर उनका पैर फैक्चर हो गया है।

जिसके बाद वह लोग एम्बुलेंस से उन्हें जिला अस्पताल इलाज करवाने लाये है। लेकिन यहाँ की हालात यह है कि यह लाइट की कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण उनके मरीज का इलाज मोबाइल के टार्च की रोशनी में किया जा रहा है। इस बारे में जब हम जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी पर तैनात डॉ के.के. मिश्रा से बात करने की कोशिश किया तो वह कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।

सूत्रों के मुताबिक अस्पताल में डीजल का खेल लंबे समय से चल रहा है। डीजल बचाने के चक्कर में जनरेटर या तो देरी से शुरू किया जाता है, या किया ही नहीं जाता हैं। अस्पताल कर्मचारी डीजल खर्च करते हैं, लेकिन सिर्फ कागजों पर। वही इस पूरे मामले में जिले के आलाधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे है। अब सवाल यह उठता है कि जब अस्पताल में मरीजो को लाइट जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ेगा तो प्रदेश कोरोना से जंग कैसे जीतेगा।

 

 

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