क्या धूल की तरह हवा में घुलकर बाद में भी संक्रमित कर सकता है कोरोना, जानें सच्चाई

corona dissolve in air अगर कोविड-19 मरीज पार्क में टहलकर चला गया हो तो क्या वहां जाने से हो सकती है महामारी? अगर नहीं तो वैज्ञानिक क्यों कह रहे हैं कि कोविड-19 वायुजनित (एयरबोर्न) महामारी है? आइए समझते हैं…

दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) शुरू से ही कह रहा है कि कोविड-19 महामारी मरीज की सांसों से भी फैलती है। हालांकि, यह समझना जरूरी है कि आप अगर किसी मरीज के करीब कई मिनटों तक साथ रहते हैं तभी उसकी सांसों के जरिए आपको भी कोरोना का संक्रमण हो सकता है।
corona dissolve in air अगर आप मरीज से 6 फूट दूर हैं और मास्क पहने हैं तो मरीज के खींसने या छींकने के बाद भी आप सुरक्षित हैं क्योंकि मुंह या नाक से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स हवा में बेहद कम दूरी तय कर पाते हैं और तुरंत जमीन पर गिर जाते हैं।

​दो उदाहरण जब काम नहीं आई WHO की सलाह:-

  • कई बार यह सलाह काम नहीं आती है।
  • एक चीनी रेस्त्रां में एसी से निकल रही दूषित हवा से तीन अलग-अलग टेबल पर बैठे लोगों को संक्रमित कर दिया।
  • अमेरिका में गायकों के एक समूह (Choir) के 52 सदस्य कोविड-19 महामारी के शिकार हो गए
  • क्योंकि उन्होंने एक हॉल में साथ में ही अभ्यास किया था।
  • दूसरे देशों में भी इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं
  • और ऐसा लगने लगा है कि मानो कोरोना वायरस हवा में टिका रह सकता है।

​WHO ने मानी एयरबॉर्न स्प्रेड की आशंका:-

  • पिछले महीने 239 वैज्ञानिकों और इंजनियिरों ने खुली चिट्ठी लिखकर डब्ल्यूएचओ से कोविड के एयरबॉर्न स्प्रेड की आशंका स्वीकार करने की मांग की।
  • उसके बाद डब्ल्यूएचओ ने सहमति दे दी
  • और कहा कि बेहद करीब में हवा के जरिए कोरोना वायरस का संक्रमण (short-range aerosol transmission) संभव है।
  • इसका मतलब है कि कुछ परिस्थितियों में आप किसी मरीज से सटे बिना या मरीज के छींकने या खांसने के बिना भी सिर्फ करीब होने के कारण संक्रमित हो सकते हैं।
  • ध्यान रखिए कि डब्ल्यूएचओ ने यह नहीं कहा कि यह कोरोना के संक्रमण का मुख्य जरिया है.
  • बल्कि इसकी सिर्फ आशंका जताई।

​समझें क्या हैं ड्रॉपलेट्स और एयरोसॉल्स:-

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस सलाह में कई शर्तें हैं।
  • इसमें कहा गया है कि अगर कमरों में हवा गुजरने (वैंटिलेशन) की व्यवस्था नहीं हो
  • या अच्छी व्यवस्था नहीं हो और वहां लोगों की भीड़ ज्यादा वक्त तक इकट्ठी रहे
  • तो एक से दूसरे में कोरोना का संक्रमण हो सकता है।
  • डब्ल्यूएचओ ने एयरोसॉल ट्रांसमिशन की बात भी की है।

एयरोसॉल का मतलब क्या होता है?

  • आधुनिक वैज्ञानिक ड्रॉपलेट्स और एयरोसॉल्स को एक ही मानते हैं।
  • एयरोसॉल हवा में घुला ठोस पदार्थ का एक कण होता है
  • और एक ड्रॉपलेट हवा में घुला एक तरल पदार्थ का एक कण होता है।
  • लेकिन डब्ल्यूएचओ कहता है कि किसी ड्रॉपलेट को एयरोसॉल तभी कहा जा सकता है.
  • जब वो आकार में 5 माइक्रोन्स से छोटा हो।
  • एक माइक्रोन एक मिलिमीटर का हजारवां भाग होता है।
  • हालांकि, इसी आकार में 10 कोरोना वायरस एक-दूसरे से चिपके रह सकते हैं।
  • इंसान के बाल की चौड़ाई करीब 50 माइक्रोन होती है।

 

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