क्या बेटी और दूसरी पत्नी के बीच संपत्ति विवाद है भय्यू जी की आत्महत्या की वजह!

नई दिल्ली। आध्यात्मिक संत भय्यू जी महाराज ने आज खुद को गोली मार कर खुदकुशी कर ली. उनके कमरे से जो सुसाइड नोट बरामद हुआ है उसमें लिखा है कि वो तनाव में थे. बेहद सक्रिय और चर्चा में रहने वाले भय्यू जी की खुदकुशी पर पूरा देश सन्न रह गया है.

कांग्रेस ने की खुदकुशी की जांच की मांग

हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा देने की नाकाम कोशिश की थी. ऐसे में राज्य कांग्रेस के नेताओं ने उनकी खुदकुशी की जांच की मांग शुरू कर दी है. हालांकि बताया जा रहा है कि वो पारिवारिक तनाव से जूझ रहे थे. अंत तो सबका तय है कि मगर जो अध्यात्म को जीता हुआ दिखता रहा हो उसके इस हश्र पर यकीन नहीं होता.

कोई मेरे परिवार की जिम्मेदारी उठा ले

मध्य प्रदेश के हाईप्रोफाइल संत भय्यू जी महाराज ने इंदौर के सिल्वर स्प्रिंग कॉलोनी के घर में खुद को गोली मारकर जिंदगी खत्म कर ली. गोली भय्यू जी के लाइसेंसी रिवॉल्वर से चली. बाद में शहर के बॉम्बे अस्पताल के डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित किया. एक आध्यात्मिक संत का सुसाइड जितना चौंकाता है उससे भी कहीं ज्यादा चौंकाता है उनका सुसाइड नोट. इसमें उन्होंने लिखा है कि कोई मेरे परिवार की जिम्मेदारी को उठा ले. मैं जा रहा हूं, बहुत तनाव में हूं. ऊब चुका हूं.

50 साल के भय्यू जी ने की थी दूसरी शादी

भय्यू जी महाराज एक संत थे. लेकिन सांसारिक भी थे. पहली पत्नी की मौत के बाद पिछले साल 50 साल के भय्यू जी ने दूसरी शादी की थी. सूत्र बताते हैं कि भय्यू जी की पत्नी आयुषी जो पेशे से डॉक्टर हैं, उनकी और भय्यू जी की पहली पत्नी की बेटी के बीच संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है, जिससे भय्यू जी के घर में कलह थी. भय्यू जी जैसे प्रभावशाली व्यक्ति की खुदकुशी के बाद पुलिस के लिए जल्द से जल्द इसकी वजह का पता लगाने की चुनौती आ खड़ी हुई है.

ठुकरा दिया था राज्यमंत्री पद का ऑफर

भय्यू जी महाराज अभी कुछ महीनों पहले चर्चा में थे क्योंकि मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा देने का फैसला किया था. हालांकि भय्यू जी ने शिवराज सरकार का ये ऑफर ठुकरा दिया था. लेकिन विपक्ष ने सवाल उठाया था कि चूंकि भय्यू जी कुछ संतों के साथ मिलकर नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने वाले थे, इसलिए शिवराज सरकार ने उन्हें राज्य मंत्री पद पर बैठाने का लालच दिया था. और अब जब भय्यू जी ने खुदकुशी की है तो मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता मानक अग्रवाल ये कहने से नहीं चूक रहे कि भय्यू जी पर शिवराज सरकार का दबाव था, लिहाजा उनकी सुसाइड की सीबीआई जांच हो.

अन्ना-मोदी का तुड़वाया था अनशन

भय्यू जी संत थे लेकिन उनका नेताओं से करीबी का नाता था. 2011 में समाजसेवी अन्ना हजारे का अनशन तुड़वाने के लिए तत्कालीन मनमोहन सरकार ने भय्यू जी की मदद ली थी. 2013 में प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने सद्भावना उपवास किया तो उसे तुड़वाने की जिम्मेदारी भी भय्यू जी ने उठायी थी.

महंगी घड़ी-गाड़ियों का था शौक

खुद को आध्यात्मिक गुरु के तौर पर पेश करने से पहले भय्यू जी ने पोस्टर मॉडलिंग भी की थी. संत बनने के बाद भी महंगी घड़ी और गाड़ियों का शौक उन्हें था.

उदयसिंह देशमुख से बने भय्यू जी महाराज

भय्यू जी को बहुत कुछ विरासत में मिला था. भय्यू जी नाम अपनाने से पहले उन्हें उदयसिंह देशमुख नाम से जाना जाता था. उनके पिता महाराष्ट्र कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिने जाते थे.

स्कॉलरशिप से लेकर खाद-बीज तक बांटता है ट्रस्ट

भय्यू जी का ट्रस्ट सदगुरु दत्त धार्मिक ट्रस्ट गरीब बच्चों को स्कॉलरशिप बांटने से लेकर किसानों को खाद और बीज बांटता रहा है. लेकिन जिंदगी भर की ये सारी कमाई उनके इन आखिरी शब्दों में आकर दम तोड़ गई कि मैं जा रहा हूं, बहुत तनाव में हूं, ऊब चुका हूं.

 

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