क्या महिला की झूठी तहरीर पर मुकदमा दर्ज करना पुलिस की है मजबूरी?

महिला की झूठी तहरीर पर मुकदमा दर्ज करना पुलिस की है मजबूरी

फर्जी मुकदमा लिखाए जाने के प्रमाणिकता के बाद भी पुलिस झूठे वादी पर नहीं करती 182 की कार्यवाही

कौशाम्बी : अबला कही जाने वाली महिला भी अब चाहे जिसकी जहां और जब इज्जत उतार ले। पुलिस को झूठी तहरीर देकर चाहे जिस मर्यादित व्यक्ति पर छेड़खानी और रेप का मुकदमा दर्ज करा दे।

पुलिस यह जानते हुए भी कि महिला की तहरीर झूठी है लेकिन उसे इज्जत दार व्यक्ति के विरुद्ध महिला की झूठी तहरीर पर मुकदमा दर्ज करना पुलिस की मजबूरी है।

यदि पुलिस ने महिला की तहरीर पर मुकदमा नहीं दर्ज किया तो आला अधिकारी थाना पुलिस पर ही कार्यवाही कर उन्हें दंडित करने पर आमादा हो जाते हैं।

जिससे विवश होकर थानेदार महिलाओं की तहरीर पर झूठा मुकदमा दर्ज कर अपना पीछा छुड़ा लेते हैं। इन कारनामों के चलते सभ्य समाज के पुरुषों का जीवन जीना मुहाल हो गया है।

झूठा मुकदमा लिखाये जाने के बाद पुरुष समाज से सौदेबाजी भी होती है और नोट की मोटी गड्डी लेकर मुकदमे में समझौते भी किए जा रहे हैं। मजबूर पुरुष महिलाओं के इस ब्लैकमेल के धंधे को सहजता से स्वीकार कर जेल और अदालत के फैसले से बचना चाहते हैं।

जिससे चालबाज औरतों के हौसले बुलंद है और उन्होंने इसे एक माध्यम बना लिया है और जब कभी किसी मामले में समाज विरोधी उनकी कारगुजारी उजागर हुई तो किसी की आवाज दबाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाना उन महिलाओं के लिए आम बात हो गयी हैं।

छेड़खानी रेप की तहरीर देने वाली इन महिलाओं की आड़ में महिलाओं के परिजन अपराध चोरी भी करते हैं लेकिन पुलिस अपराधिक प्रवृति के लोगों पर इन्ही महिलाओं की वजह से शिकंजा नहीं कस पा रही है। जिले में इस तरह के मामले आए दिन सुनाई पड़ रहे हैं। इसी तरह का एक मामला कोखराज थाना क्षेत्र का प्रकाश में आया है।

जहां भरवारी कस्बे के मेहता अस्पताल में रहने वाली एक महिला ने 9 जुलाई 2018 को भरवारी पुलिस चौकी में छेड़खानी का मुकदमा दर्ज कराया जबकि उसके पति पर नलकूप के सामान चोरी करने का आरोप था।

छेड़खानी का मुकदमा दर्ज कराते ही उसके पति के ऊपर लगे चोरी का आरोप पीछे छूट गया इसी छेड़खानी के मामले में महिला ने अदालत में बयान दिया है कि उसका आरोपी व्यक्ति से नोकझोंक हुई थी। आरोपी युवक ने उसके साथ किसी प्रकार की छेड़खानी नहीं की है। उसने गांव वालो के कहने पर छेड़खानी का झूठा मुकदमा लिखाया है।

मुकदमा झूठा पाए जाने के बाद भी पुलिस ने उक्त महिला के विरुद्ध धारा 182 के तहत फर्जी मुकदमा दर्ज कराए जाने का मामला अभी तक नहीं दर्ज किया है।

इसी महिला ने तीन दिनों पूर्व भरवारी कस्बे के एक सम्मानित व्यक्ति के खिलाफ फिर छेड़खानी का आरोप लगाकर कोखराज थानेदार को तहरीर दी है। इस बार भी महिला के पति को यह देव स्थान से चोरी करने के आरोप में पुलिस पकड़ कर ले गई थी लेकिन महिला के ड्रामेबाजी के बाद पुलिस को आरोपी चोर को छोड़ना पड़ा।

महिला को आशंका है कि सम्मानित व्यक्ति ने ही उसके पति के चोरी की मुखबिरी कर उसके पति को पुलिस ने पकड़वाया है। पुलिस की मदद करने के नतीजे में महिला ने सम्मानित व्यक्ति के विरुद्ध फिर छेड़खानी की तहरीर दे दी है।

पुलिस इस पूरे प्रकरण को बखूबी जानती है लेकिन महिला का मामला है और यदि महिला आला अधिकारियों के पास पहुंच गई तो झूठे छेड़खानी के मुकदमे को न दर्ज करने के आरोप में थाना पुलिस को दंडित होना पड़ सकता है। इसलिए सब कुछ जानते हुए भी कोखराज पुलिस इस झूठे मामले में निर्दोष व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर अपना पीछा छुड़ा लेना चाहती है।

आखिर कब तक साजिश रच कर सम्मानित लोगों के खिलाफ पुलिस थानों में मुकदमे दर्ज होते रहेंगे यह पूरी व्यवस्था पर बड़ा सवाल है और इस पर अधिकारियों को गहन मंथन करना होगा वरना निर्दोष पर जुल्म अत्याचार होते रहेंगे।

 

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