क्या मेजबान होना रूस की फीफा विश्वकप में दावेदारी मजबूत कर पाएगा?
नई दिल्ली। रूस में 14 जून से शुरु होने वाले फीफा विश्व कप-2018 का फीवर धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है. इस विश्वकप में मेजबान के तौर पर रूस ने क्वालीफाई तो कर लिया है लेकिन इस शानदार और बड़े मौके को सफलता में बदलकर क्या वह अपना पहला विश्व कप जीत पाएगा? ये एक बड़ा सवाल है. विश्वकप विजेताओं में कुल आठ में से केवल छह टीमें ही ऐसी हैं जो मेजबान रहते हुए फीफा विश्वकप जीत चुकी हैं.
लेकिन रूस की डगर कठिन है. इसके कई कारण हैं. बीते मैचों में रूस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. उसने यूरो कप-2016 से अब तक 19 अंतरराषट्रीय मैच खेले हैं लेकिन सिर्फ छह में जीत हासिल की है. वहीं कंफेडेरेशन कप में भी अपने बुरे प्रदर्शन के सिलसिले को नहीं तोड़ पाया था.
कंफेडेरेशन कप में रूस ग्रुप दौर से ही बाहर हो गई थी और सिर्फ एक मैच में ही उसे जीत मिली थी. ऐसे में उसके खिताब जीतने की संभावनाएं तो न के बराबर है लेकिन आसान ग्रुप के चलते वो ग्रुप दौर की बाधा को पार कर सकता है. रूस को ग्रुप-ए में उरुग्वे, साउदी अरब और मिस्र के साथ रखा गया है. इनमें से सिर्फ उरुग्वे ही उससे बेहतर और दमदार टीम है. संभवत: यह दोनों टीमें ही अगले दौर में प्रवेश करेंगी.
रूस के लिए अपनी मेजबानी में विश्व कप की राह किसी तरह से आसान नहीं होगी. विश्व कप की शुरुआत से पहले ही उसे परेशानियां शुरू हो गई हैं. उसके दो मजबूत डिफेंडर विक्टर वासिन और जॉर्जी झिकिया के अलावा फॉरवर्ड एलेक्जेंडर कोकोरिन चोट के कारण टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं.
डिफेंस है सबसे कमजोर
कोच चेरचेशोव की टीम की सबसे बड़ी कमजोरी उसका डिफेंस ही है और मुसीबत यह है कि विक्टर और झिकिया के चोटिल होने के बाद उनके पास कोई ऐसा बड़ा नाम नहीं है जो डिफेंस को मजबूत कर सके. डिफेंस के कमजोर रहते मिडफील्ड और आक्रामण पंक्ति की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. आक्रमण पंक्ति ही एक जगह है जो कुछ हद तक रूस की ताकत कही जा सकती है. यहां सबसे ज्यादा जिम्मेदारी फेडोर स्मोलोव के कंधों पर है. हालांकि यहां साथ देने के लिए उनके साथ एलान ड्जागोव और एलेक्जेंडर गोलोविन जैसे खिलाड़ी हैं.
इन तीनों के अलावा आक्रमण पंक्ति में एलेक्सी मिरानचुक के ऊपर पर भी सभी की निगाहें होंगी. वह रूस प्रीमियर लीग के बीते दो सीजनों में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी थे. इन सबसे ज्यादा जिम्मेदारी कोच की रहेगी जो कोशिश करेंगे की टीम की आक्रमण पंक्ति और डिफेंस एक लय में मिलकर काम करे.
पहला मैच साउदी अरब से है रूस का
पहली बार इतने बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी करना और अपने प्रशंसकों के सामने इतिहास को बदलने का दवाब बेशक टीम पर रहेगा. ऐसे में रूस कितना आगे जा पाता है यह देखने वाली बात होगी. रूस को अपने पहला मैच साउदी अरब के खिलाफ 14 जून को मास्को खेलना है. दूसरे मैच में वो 19 जून को सेंट पीटर्सबर्ग में मिस्र के खिलाफ खेलना है. इसके बाद वो अपने आखिरी ग्रुप मैच में 25 जून को उरुग्वे से भिड़ेगा.
टीम :
गोलकीपर: इगोर एकिन्फीव, व्लादिमीर गैबुलोव, सोस्लान ड्झानाएव, एंड्री ल्यूनेव.
डिफेंडर : व्लादिमीर ग्रेनाट, रुस्लान कंबोलोव, फेडर कुद्रीशोव, इल्या कुटेपोव, रोमेन नोइशेटेडर, कॉन्स्टेंटिन रोश, आंद्रे सेम्योनोव, इगोर स्मोलनिकोव, मारियो फर्नांडेज.
मिडफील्डर: युरी गाजिंस्की, एलेक्जेंडर गोलोविन, एलन ड्झागोव, एलेक्जेंडर इरोखिन, युरी झिर्कोव, रोमन जोबिन, डालेर कुज्येव, एंटोन मिरंचुक, एलेक्जेंडर सामेडोव, एलेक्जेंडर ताश्एव डेनिस चेरीशेव,
फॉरवर्ड : अर्टयोम डज्युबा, एलेक्सी मिरांचुक (लोकोमोटिव मॉस्को एफसी), फेडर स्मोलोव (क्रास्नोडार एफसी), फेडर चालोव.
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