क्या मोदी सरकार को नीचा दिखाने के लिए केरल को UAE के 700 करोड़ का झूठ बोला गया?

नई दिल्ली। सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम लट्ठा! आपने ये कहावत ज़रूर सुनी होगी. इसका अर्थ ये है कि कोई चीज़ हो भी न और उसकी दावेदारी के लिए जंग छिड़ जाए. ठीक ऐसा ही हुआ है केरल के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए यूएई की तरफ से कथित तौर पर ऑफर किए गए 700 करोड़ रूपए के साथ. जिसे लेने से भारत की सरकार ने मना कर दिया क्योंकि भारत की नीति, भारत का स्वाभिमान इस बात की मंज़ूरी नहीं देता कि वो अपनी आपदा में विदेशी मदद ले. जिस पैसे को लेकर भारत की पार्टियों में तलवारें खिंच गईं, जिस पैसे के लिए राजनीतिक दल अपने ही देश की सरकार को नीचा दिखाने पर उतारू हो गए, वो पैसे असल में यूएई ने कभी ऑफर ही नहीं किया था. यूएई ने साफ़ कहा है कि हमने सिर्फ मदद की पेशकश की है. 700 करोड़ रुपए का आंकड़ा कहां से आया , हमें नहीं पता.

यूएई से 700 करोड़ रुपए मिलने की बात सबसे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कही. उनके दफ्तर की तरफ से 21 अगस्त की रात 9 बजकर 56 मिनट पर एक प्रेस रिलीज़ फेसबुक पर पोस्ट की गई, जिसमें उन्होंने यूएई के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन ज़ायद अल नाहयान का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया कि उन्होंने केरल के लिए 700 करोड़ रुपए की मदद का ऐलान किया. यही प्रेस रिलीज़ केरल के मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल से ट्वीट भी की गई.

22 अगस्त को यूएई के प्रिंस नाहयान की तरफ से भी ट्वीट हुआ. इस ट्वीट में उन्होंने संकट की इस घड़ी में भारत की हर संभव मदद का भरोसा दिया. लेकिन इसमें कहीं नहीं लिखा था, कि यूएई केरल के बाढ़ पीड़ितों के लिए 700 करोड़ रुपए दे रहा है. ट्वीट में उन्होंने ये भी लिखा कि भारत के प्रधानमंत्री से बात करके उन्होंने अपनी पेशकश उनके सामने रख दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से भी प्रिंस के ट्वीट के जवाब में धन्यवाद ट्वीट किया गया. उस ट्वीट में भी कहीं इस बात का ज़िक्र नहीं था कि यूएई ने 700 करोड़ रुपए की मदद का ऐलान किया है. अलबत्ता केरल के सीएम की तरफ से ही ये बात सामने आई कि यूएई के मलयमाली उद्योगपति ने उनको 700 करोड़ रुपए यूएई की तरफ से मिलने की जानकारी दी है.

इस खबर के बाद केरल में सरकार चला रही लेफ्ट पार्टियों के नेताओं ने देश की सरकार चला रही बीजेपी पर ये कहकर निशाना साधना शुरू कर दिया कि अपने देश की सरकार ने सिर्फ 600 करोड़ रुपए ही दिए, जबकि यूएई की सरकार ने 700 करोड़ रुपए की मदद का ऐलान कर दिया. बात इससे भी आगे तब बढ़ गई, जब भारत ने यूएई से किसी भी तरह की आर्थिक मदद लेने से मना कर दिया और लेफ्ट ने आरोप लगाया कि सरकार केरल के साथ भेदभाव कर रही है, इसलिए मदद का ऑफर ठुकरा दिया गया.

इस बात पर अब भारत में यूएई के राजदूत ने साफ़ कर दिया है कि उनकी तरफ से भारत को मदद का भरोसा ज़रूर दिया गया, लेकिन 700 करोड़ रुपए का आंकड़ा कहां से आया, उन्हें नहीं पता. हैरानी की बात है कि जो पैसा कभी दिया ही नहीं गया, उसे लेकर राजनीतिक पार्टियां अपने ही देश को नीचा दिखाने पर उतर आई. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या केरल के सीएम ने 700 करोड़ रुपए पर झूठ बोला?

 

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