खतरे में NSA मीटिंग: अजीत डोभाल पर ही आरोप लगाएगा PAK, बनाया डोजियर

doval_14तहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि
नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच 23-24 अगस्त को होने वाली नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर्स (एनएसए) लेवल की मीटिंग खतरे में है। पाकिस्तान के अड़ियल रवैए के कारण मीटिंग कैंसिल हो सकती है। आतंकवाद को लेकर होने वाली बातचीत में पाकिस्तान भारत पर आरोप लगाने की तैयारी में है। यही नहीं एनएसए अजीत डोभाल के खिलाफ भी पाकिस्तान डोजियर बना रहा है। अगर बातचीत होती है तो भारत के आरोपों को खारिज करने के लिए पाकिस्तान के एनएसए सरताज अजीज इसी तैयारी के साथ सकते हैं।
 आज क्या हो सकता है?
* इस्लामाबाद में दोपहर एक बजे वहां के एनएसए अजीज सरताज प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। जानकारी के मुताबिक, इसी दौरान वह पाकिस्तान का रुख स्पष्ट कर सकते हैं कि बातचीत को लेकर आगे क्या होगा।
 * शुक्रवार की शाम पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय भारत की वार्निंग को दरकिनार कर चुका है। पाकिस्तान का कहना है कि इस हालात में बातचीत का कोई महत्व नहीं है। शनिवार को विदेश मंत्रालय बयान जारी कर सकता है।
 * पाकिस्तान का अंतिम स्टैंड देखने के बाद भारत एनएसए लेवल की मीटिंग कैंसिल कर सकता है। पिछले साल भी अगलाववादियों से पाकिस्तान की बातचीत के कारण भारत ने विदेश सचिव स्तर की बातचीत कैंसिल कर दी थी।
 आगे क्या-क्या हो सकता है?
* अजीज विजीट कैंसिल करें। दिल्ली बातचीत को कैंसिल करे या उफा के दौरान तय आगे की बातचीत (डीजीएमओ मीटिंग) पर फोकस करे।
 * अजीज दिल्ली आएं और हुर्रियत से मिलने की जिद करें। दिल्ली में भारत अगर हुर्रियत नेताओं को अरेस्ट करता है तो अजीज अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं।
 * अजीज बातचीत को कैंसिल करें। भारत इसका विरोध दर्ज कराए। लेकिन ऐसा होने पर अजीज प्रोपेगैंडा का लाभ उठा सकते हैं।
 * बातचीत के दौरान अजीज कश्मीर का मुद्दा उठाएं। डोभाल दिल्ली पर बातचीत करने से इनकार करेंगे और फिर अजीज आगे किसी मुद्दे पर बातचीत नहीं करना चाहेंगे और उठ जाएंगे।
* अजीज प्रेस कॉन्फ्रेंस में कश्मीर मुद्दा उठाएंगे। इस अवस्था में भारत मीडिया ब्रीफिंग में अपनी अलग पोजिशन रख सकता है।
क्या है मामला?
भारत के एनएसए अजीत डोभाल और पाकिस्तानी एनएसए सरताज अजीज के बीच 23-24 अगस्त को दिल्ली में बातचीत होनी है। पाकिस्तानी हाई कमिश्नर अब्दुल बासित ने मंगलवार रात कश्मीरी अलगाववादियों को न्योता भेजकर 23 अगस्त को दावत पर बुलाया है। यानी पाकिस्तान उसी दिन कश्मीरी अलगाववादियों से मिलना चाहता है जिस दिन डोभाल की अजीज के साथ मीटिंग होगी।
क्यों टारगेट पर हैं डोभाल?
दोनों देशों में बढ़ी खींचतान के बावजूद भारत की तरह पाकिस्तान बातचीत कैंसिल करने को लेकर नहीं सोच रहा है। इस्लामाबाद के सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान का एक ही फोकस है, डोभाल की बातों का काउंटर करना। डोभाल के पिछले बयानों को अजीज ‘एंटी-पाकिस्तान’ के तौर पर पेश करने की योजना रहे हैं। बता दें कि पाकिस्तान पर रणनीति को लेकर पूर्व में डोभाल कई बार खुलेआम बात कर चुके हैं। डोभाल के बयानों की पाकिस्तानी मीडिया में खूब चर्चा भी होती रही।
क्या है अजीत डोभाल का पुराना बयान?
* नेपोलियन कहता था-मरना एक बार है। चाहे तलवार से मरो या एटम बम से। एटमी युद्ध हुआ भी तो हम इतने बच जाएंगे कि दुनिया में पहचान बना लें। लेकिन पाकिस्तान एक देश के रूप में खत्म ही हो जाएगा।
 * आप (पाकिस्तान) हम पर सौ पत्थर फेंकोगे तो शायद 90 पत्थरों से हम खुद को बचा लें। लेकिन 10 फिर भी हमें लगेंगे। आप इसी का फायदा उठा रहे हैं। हमें आक्रामक होना होगा। उन्हें साफ कर देना चाहिए कि आप एक और 26/11 करोगे तो बलूचिस्तान खो दोगे।
 पाक मीडिया में चर्चा- अजीज की आवाज ही नहीं निकलती, डोभाल तो जेम्स बॉन्ड हैं
सरताज साहब को घर पर ही बिठाएं, हमारे बुजुर्ग हैं। उन्होंने कौम की बड़ी खिदमत की है। लेकिन ये वक्त नहीं है। आपको पता है, इंडिया के नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर ने सात साल लाहौर में किसी और भेष में बैठकर जासूसी की है। पाकिस्तान में रहा है। रॉ का अधिकारी है। उसने इस्लामाबाद में जॉब की है। वो अपने देश के नेशनल डिफेंस कॉलेज में स्पीच देते हैं। सोशल मीडिया में उनका वीडियो भी चल रहा है। उसमें वे कह रहे हैं कि पाक को इस तरह घुटने पर लेकर आना है। आप देखें कि भारत का कितना शानदार नेशनल एडवाइजर है। और अपना कौन है… सरताज अजीज साहब। उनकी हालत यह है कि भारत की ओर से हुई फायरिंग पर हमारे साथी उनकी टिप्पणी लेने के लिए फोन करते हैं, तो वो कहते हैं कि अगर आप मुझे न लेकर आएं तो अच्छा है। मेरा अंदाज धीमा है। बोलूंगा तो लोग कहेंगे कि यह सख्त नहीं है। कुछ सख्त बोल गया तो सरकार के कुछ लोग कहेंगे कि भारत के खिलाफ इतना बोलने की जरूरत क्या थी। वह तो नौकरी बचा रहे हैं।
 क्या है एक्सपर्ट की राय?
विदेश मामलों के एक्सपर्ट डॉ. रहीस सिंह ने कहा- भारत की कूटनीतिक चाल में पाकिस्तान बुरी तरह फंस गया है। पहले-उफा में कश्मीर के बिना बात को राजी हुआ। फिर सीजफायर उल्लंघन, आतंकी हमले के बावजूद भारत ने बातचीत कैंसिल नहीं की। आखिरकार पाकिस्तान ने आखिरी कार्ड के रूप में हुर्रियत दांव चला। लेकिन अपने ही दांव में वो उलझ गया। अब अगर बातचीत टूटती है तो सारा दोष पाकिस्तान पर जाएगा। और बिना हुर्रियत की शर्त पर चर्चा करता है तो उसे आतंकवाद पर बात करनी होगी। यानी कश्मीर पाकिस्तान के प्राइम एजेंडे से बाहर। पाकिस्तान किसी सूरत में नहीं चाहेगा कि बातचीत का फोकस आतंकवाद हो। क्योंकि आतंकवाद पर बात करने का मतलब होगा खुद का चेहरा बेनकाब करना। आतंकी नावेद के कबूलनामे समेत भारत ने डोजियर के रूप में लंबा चिट्ठा इकट्ठा कर रखा है। इसलिए पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और कट्टरपंथी जमातें चाहती हैं कि किसी भी तरह बैठक रद्द हो जाए।
दिनभर सरगर्मी दिल्ली से इस्लामाबाद वाया श्रीनगर
भारत का सख्त बयान
सुबह: भारत का सख्त बयान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप बोले-पाक को 18 अगस्त को बता दिया था कि बैठक से पहले या बाद में हुर्रियत नेताओं से बात करना सही नहीं होगा।
पाक का जवाब आया
दोपहर: नवाज शरीफ और सरताज अजीज आर्मी चीफ राहिल शरीफ से मिले। फिर पाक ने कहा हम भारत की शर्तों पर बात नहीं करेंगे। बैठक से पहले हुर्रियत से बात करने की परंपरा रही है।
हुर्रियत का हौसला बढ़ा
दोपहर: हुर्रियत का हौसला बढ़ा श्रीनगर: शब्बीर शाह ने कहा कि वह शनिवार को दिल्ली रवाना होंगे। इधर गृह मंत्रालय ने संकेत दिया कि अगर अलगाववादी दिल्ली पहुंचे तो हवाईअड्डे पर ही गिरफ्तारी होगी
पाक ने फिर उकसाया
शाम: विदेश सचिव एजाज अहमद ने कहा कि पाक हुर्रियत को ही जम्मू-कश्मीर का सच्चा प्रतिनिधि मानता है। और उफा में दोनों देश आतंकवाद समेत बाकी सभी मुद्दों पर भी बात करने को लेकर राजी हुए थे।
भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता पर वर्ल्ड मीडिया में क्या है चर्चा
द नेशन- बात शुरू करते हैं बिगाड़ने के लिए ही
पाकिस्तान द्वारा हुर्रियत नेताओं को न्यौता देना निश्चित ही सख्त कदम है। यह रणनीति की जगह भावुक होकर लिया गया फैसला है। जब मोदी सत्ता में आए थे तब उन्होंने पाक को न्यौता दिया था। वह भी यह जाने बगैर कि पाक और हुर्रियत की बातचीत हो रही है। दोनों देशों में तनाव नहीं घटा तो बात और बिगड़ेगी।
पाकिस्तान- न्यूज इंटरः उम्मीदें कायम
दोनों देशों को तनाव कमकरने के उपाय तलाशने होंगे। इसके लिए भारत को सकारात्मक पहल दिखानी होगी। शुरुआत पीएम मोदी को करनी होगी, क्योंकि वे शांति की बात तो करते हैं लेकिन उस पर अमल नहीं करते।
द वाशिंगटन पोस्ट- नीति का अभाव
एनएसए वार्ता की राह में रोड़े पड़ गए है। हुर्रियत और पाक को बातचीत से रोकना यह दर्शाता है कि भारत के पास पाक को लेकर स्पष्ट नीति नहीं है। मोदी दिखाना चाहते हैं कि वेजरा हटकर हैं और पाक के प्रति सख्त रवैया रखते हैं।
द वॉल स्ट्रीट जर्नल- पाक का अड़ियल रुख
यह पहला मौका नहीं है जब नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन द्वारा हुर्रियत को बुलाने पर बातचीत अटकी हो। विशेषज्ञों का कहना है कि इस्लामाबाद को जम्मू कश्मीर की सरकार से बात करनी चाहिए। इससे पहले राष्ट्रमंडल बैठक में पाक ने जम्मू-कश्मीर की सरकार को न्यौता नहीं देकर अड़ियल रुख अपनाया था।
इस मामले से जुड़े शुक्रवार के 10 डेवलपमेंट्स :
1. पाकिस्तान सरकार के सूत्रों के मुताबिक 24 अगस्त की सुबह एनएसए सरताज अजीज हुर्रियत नेता एसएएस गिलानी से मुलाकात करेंगे।
2. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने साफ किया कि भारत को नई शर्तें मंजूर नहीं हैं। पाकिस्तान की नई शर्तों के साथ बातचीत संभव नहीं है। पाकिस्तान ऊफा में तय हुए बातचीत के एजेंडे से पीछे हट रहा था। भारत अब भी पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए तैयार है।
3. मोदी सरकार के सूत्रों ने बताया कि अलगाववादी नेताओं को दिल्ली नहीं आने दिया जाएगा। एहतियातन उन्हें अरेस्ट भी किया जा सकता है। भारत पाकिस्तान से सिर्फ आतंकवाद पर बात करेगा।
4. इस्लामाबाद में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारतीय हाई कमिशन को बताया कि अलगाववादियों से मुलाकात नहीं करने की भारत की सलाह हम नहीं मानेंगे। असल मुद्दा तो कश्मीर है जो विवादित है। हुर्रियत के नेता ही कश्मीरी आवाम के असली नुमाइंदे हैं। हमने भारत को बातचीत का एजेंडा बता दिया है। रूस के उफा में मोदी-नवाज के बीच रजामंदी से तय मुद्दों पर बात होगी, जिनमें कश्मीर जैसे पेंडिंग मुद्दे भी शामिल हैं।
5. पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता काजी खलीलुल्लाह ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीरी लोगों से बातचीत जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि यह पुरानी परंपरा है कि पाकिस्तानी हाई कमीशन अलगाववादी नेताओं को बुलाता रहा है। उनसे राय-मशविरा होता रहा है।
6. पाकिस्तान ने कहा, “हम भारत की नहीं सुनेंगे। डिप्लोमेसी में हमें शर्त नहीं चाहिए। हम भारत से ‘डिक्टेशन’ नहीं लेंगे। तय शेड्यूल के मुताबिक अलगाववादियों से रविवार को ही मुलाकात होगी।”
7. भारत ने पाकिस्तान को मैसेज भिजवाया था कि उसके एनएसए सरताज अजीज जब बातचीत के लिए भारत आएं, तो उन्हें हुर्रियत नेताओं से मुलाकात नहीं करनी चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने शुक्रवार को अपने ट्वीट्स में इसकी जानकारी दी। भारत ने कहा है कि अजीज का हुर्रियत नेताओं से मिलना ठीक नहीं होगा।
8. एनएसए लेवल की बातचीत से पहले पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने आर्मी चीफ राहिल शरीफ और आईएसआई चीफ रिजवान अख्तर के साथ मीटिंग की है। इससे बातचीत में पाकिस्तानी आर्मी और आईएसआई का एजेंडा हावी रहने के आसार हैं।
9. अलगाववादी नेता शब्बीर शाह ने भी कहा कि वह अपने डेलीगेशन के साथ शनिवार को दिल्ली पहुंचेंगे और रविवार को सरताज अजीज से मुलाकात करेंगे।
10. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दो अलगाववादी नेताओं सैयद अली शाह गिलानी और शब्बीर शाह को हिरासत में ले लिया।
आखिर डोभाल से इतना घबराया हुआ क्यों है पाकिस्तान?
– 6 साल पाकिस्तान में रहे हैं अंडरकवर एजेंट : 1968 की केरल बैच के आईपीएस अफसर अजीत डोभाल 6 साल पाकिस्तान में अंडरकवर एजेंट रहे हैं। वे पाकिस्तान में बोली जाने वाली उर्दू सहित कई देशों की भाषाएं जानते हैं। एनएसए बनने के बाद वे सभी खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों से दिन में 10 बार से ज्यादा बात करते हैं।
– म्यांमार में जवाबी कार्रवाई के आर्किटेक्ट : डाेभाल की सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मणिपुर में उग्रवादी हमले के बाद डोभाल ने पीएम के साथ बांग्लादेश दौरा ऐन वक्त पर रद्द कर दिया था। डोभाल मणिपुर में इंटेलिजेंस इनपुट्स पर नजर रख रहे थे। उन्हीं ने सेना के साथ मिलकर बॉर्डर पार जाकर म्यांमार में मिलिट्री एक्शन का प्लान तैयार किया था।
– कश्मीरी उग्रवादियों का सरेंडर : जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और अमन चाह रहे लोगों के बीच काम करते हुए डोभाल कई आतंकियों को मेनस्ट्रीम में शामिल करा चुके हैं। भारत विरोधी उग्रवादी कूकापर्रे को भारत का सपोर्टर बनाना डोभाल के बड़े अचीवमेंट्स में शामिल है।
– नॉर्थ ईस्ट का एक्सपीरियंस : डोभाल जब आईबी में थे, तब उन्हें 1986 में नॉर्थ ईस्ट में उग्रवादियों के खिलाफ खुफिया अभियान चलाने का एक्सपीरियंस है। उनका अंडरकवर ऑपरेशन इतना जबर्दस्त था कि लालडेंगा उग्रवादी समूह के 7 में से 6 कमांडरों को उन्होंने भारत के फेवर में कर लिया था। बाकी उग्रवादियों को भी मजबूर होकर भारत के साथ पीस एग्रीमेंट करना पड़ा था। हाल ही में नगालैंड में हुए पीस एग्रीमेंट में भी उनका रोल रहा।
– स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लैक थंडर : ऑपरेशन ब्लूस्टार के 4 साल बाद 1988 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एक और अभियान ऑपरेशन ब्लैक थंडर को अंजाम दिया गया। मंदिर के अंदर दोबारा कुछ आतंकी छिप गए थे। बताया जाता है कि डोभाल ने आतंकियों को भरोसा दिलाया कि वे आईएसआई एजेंट हैं और मदद के लिए आए हैं। डोभाल ने आतंकियों के पास मौजूद हथियार और बाकी चीजों का मुआयना किया। बाद में पंजाब पुलिस को बाकायदा नक्शा बनाकर दिया। इस ऑपरेशन में डोभाल की भूमिका के चलते उन्हें देश के दूसरे बड़े वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से नवाजा गया।
– कंधार प्लेन हाईजैक : 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान को जब हाईजैक कर कंधार ले जाया गया था तब पैसेंजर्स की रिहाई की कोशिशों के पीछे डोभाल का ही दिमाग था। आतंकी अपने 40 साथियों को छोड़ने की मांग कर रहे थे। डाेभाल नेगोशिएट कर आतंकियाें की मांग को 40 से 3 पर ले आए।
क्या इस स्ट्रैटजी पर काम करते हैं डोभाल?
मोदी सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनने से तीन महीने पहले फरवरी 2014 में अजीत डोभाल ने नानी पालखीवाला मेमोरियल लेक्चर में बताया था कि देश की सिक्युरिटी के लिए तीन तरह की स्ट्रैटजी पर काम होना चाहिए – डिफेंसिंग, डिफेंसिंव-ऑफेंस और ऑफेंसिव। जानिए, पिछले एक साल में सिक्युरिटी के प्रति देश की पॉलिसी में यह स्ट्रैटजी कैसे दिखाई दी-
1. डिफेंसिव : लोकसभा चुनाव के बाद जून 2014 से पाकिस्तान ने एलओसी पर फायरिंग तेज कर दी। जवाब में भारत भी डिफेंसिव फायरिंग करता रहा। भारत ने दुनिया को यह मैसेज देने की पूरी कोशिश की कि वह अपनी तरफ से संयम बरत रहा है।
2. डिफेंसिव-ऑफेंस : जब पाकिस्तान ने अक्टूबर में एलओसी पर सीजफायर तोड़ा तो भारत ने भी फायरिंग तेज कर दी। बताया जाता है कि इस स्ट्रैटजी के पीछे भी डोभाल का ही दिमाग था। केंद्र ने इस बारे में खुलकर कुछ नहीं बताया। लेकिन पाकिस्तान सकते में आ गया। इसका उदाहरण इस बात से मिलता है कि भारी फायरिंग झेल रहे पाकिस्तान ने अपनी तरफ हो रहे नुकसान का कवरेज कर रहे मीडिया पर तुरंत रोक लगवा दी। अाईएसआई ने पाकिस्तानी चैनलों से कहा कि वे अगले ऑर्डर तक एलओसी के नजदीक हो रहे नुकसान का कोई भी फुटेज नहीं दिखाएंगे।
3. ऑफेंसिव : 4 जून को मणिपुर में के आतंकियों के हमले के बाद महज 5 दिन के अंदर इंडियन आर्मी ने म्यांमार सीमा के अंदर जाकर जवाबी कार्रवाई की। बाद में पाकिस्तान को कड़ा मैसेज भेजने के लिए 4 मंत्रियों ने आक्रामक बयान दिए। घबराए पाकिस्तान ने जवाबी बयानबाजी की। इस तरह पाकिस्तान ने खुद ही दुनिया को बता दिया कि भारत के अगले निशाने पर वही है।
 

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