खुलासा: CBI ने किया था याकूब मेमन से सुरक्षा का वादा

नई दिल्ली।1993 के मुंबई ब्लास्ट केस में मौत की सजा पा चुके याकूब मेमन को भारत लाने के पीछे कई कहानियां हैं। अब सीबीआई के पूर्व अधिकारी ने खुलासा किया है कि याकूब को भारत लाने के पीछे सीबीआई का अहम किरदार था।
सीबीआई के शीर्ष अधिकारी रहे शांतनु सेन ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए बताया कि सीबीआई ने पाकिस्तान में अपने सभी सूत्रों की मदद से मेमन परिवार को यह यकीन दिलाया था कि उनकी सेफ्टी भारत में ही मुमकिन है। 1993 में मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट्स के एक साल बाद जब याकूब मेमन को मुंबई की एक कोर्ट में पेश किया गया तो यह साफ नहीं था कि उसने नेपाल में सरेंडर किया या उसे नई दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। शांतनु उस वक्त सीबीआई की स्पेशल टास्क फोर्स के हेड थे और यही फोर्स मुंबई हमले की जांच कर रही थी। शांतनु के मुताबिक, ‘हमारे सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान में बसने को लेकर मेमन परिवार में ही एकमत नहीं था। उस वक्त याकूब और उसका भाई टाइगर दोनों ही कराची में थे। टाइगर ने कथित तौर पर याकूब ने भारत लौटने से मना किया था।’


याकूब मेमन की लेटेस्ट तस्वीर

शांतनु ने यह भी बताया कि याकूब के परिवार में कुछ लोग वहां अनसेफ महसूस करते थे। उन्हें वहां घुटन होने लगी थी। शांतुन के मुताबिक, ‘उन्हें डर था कि वे उस माहौल में सर्वाइव नहीं कर पाएंगे और पाकिस्तानी उन पर भरोसा नहीं करेंगे।’
शांतनु ने यह भी बताया कि भारत की ही कई एजेंसियां अपने स्तर पर मेमन परिवार से संपर्क में थीं। इंटेलिजेंस ब्यूरो और रॉ दोनों ही इसमें शामिल थीं। उन्होंने बताया, ‘हमनें उन्हें भारत के महान न्याय का भरोसा दिलाया। पहले दिन से ही उनकी हर हलचल पर हमारी नजर थी। हमारे सूत्र थे, हमें यह भी पता था कि वे कैसे आना था और कब और कहां की भी पक्की जानकारी थी। जहां भी वे आते, हम उन्हें अरेस्ट करने के लिए तैयार थे।’ शांतनु ने यह भी बताया कि मेमन परिवार से कोई झूठा वादा नहीं किया गया था, न ही उन्हें धोखा दिया गया। याकूब ने लौटने के बाद अपने परिवार को भी वापस लाने में मदद की। इसमें उसके दो भाइयों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। शांतनु के मुताबिक, ’11 लोगों में से सिर्फ चार लोगों को सजा सुनाई गई है। बाकी किसी को सजा नहीं सुनाई गई।’ हालांकि, कहा यह भी जाता है कि जब याकूब भारत लौटा तो बी रमन रॉ के टॉप अफसर थे। उन्होंने लिखा था कि याकूब ने जांच एजेंसियों की पूरी मदद की थी, इसलिए उसे मौत की सजा नहीं दी जानी चाहिए। याकूब के वकील श्याम केसवानी ने भी दावा किया था कि सीबीआई के एक अफसर ओपी चटवाल ने परिवार से वादा किया था कि अगर वह जमानत के लिए अर्जी डालेगा तो उसका विरोध नहीं किया जाएगा लेकिन बाद में एजेंसी ने धोखा दे दिया। हालांकि, चटवाल ने इसका खंडन करते हुए कहा था कि उनपर मेमन की मदद करने का कोई दबाव नहीं था।

 

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