गन्ना किसानों को 8000 करोड़ की राहत देगी सरकार, किसान बोले-चुनावी स्टंट

नई दिल्ली। गन्ना किसानों के लिए 8 हजार करोड़ के राहत पैकेज का प्रस्ताव केंद्रीय कैबिनेट को भेजा गया है. खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा है कि इस पर फैसला जल्द होगा. उधर भारतीय किसान यूनियन ने बेल आउट पैकेज को चुनावी स्टंट बताया है.

अकेले उत्तर प्रदेश में ही गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया हो चुका है. इसके समाधान के लिए कल आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (कैबिनेट कमेटी ऑन इकनॉमिक अफेयर्स) में चर्चा की जाएगी और गन्ना किसानों के लिए 8000 करोड़ रुपये के पैकेज का एलान किया जा सकता है जैसे कि सरकार ने संकेत दिए हैं.  मोदी सरकार के इस पैकेज को एनसीपी नेता और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार की सिफारिश के बाद तैयार किया गया है.

चीनी का बनेगा बफ़र स्टॉक
बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार चीनी को लेकर कई बड़े फ़ैसले कर सकती है. इसमें सबसे अहम फैसला चीनी के बफर स्टॉक बनाने का है. सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट लगभग 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाए जाने की योजना को मंज़ूरी दे सकती है. बफर स्टॉक बनाने में 1200 करोड़ रुपए लगने की संभावना है. बफर स्टॉक बनने से चीनी की मांग और आपूर्ति के अंतर को मिटाने के साथ-साथ उत्पादित चीनी क खरीद भी सुनिश्चित हो सकेगी.

एथेनॉल उत्पादन नीति में भी बदलाव
देश में एथेनॉल की क्षमता बढ़ाने के लिए भी सरकार कोई फैसला ले सकती है. लगभग 4400 करोड़ रुपए के इस पैकेज के तहत एथेनॉल के उत्पादन के लिए गन्ना का उपयोग बढ़ाने पर बल दिया जाएगा. इसके लिए खाद्य मंत्रालय ने पेट्रोलियम मंत्रालय ने नीति में समुचित बदलाव करने की ग़ुज़ारिश की है.

मिल से निकलने वाली चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य तय होगा
बफ़र स्टॉक और एथेनॉल के अलावा सरकार कुछ अन्य उपायों पर भी फ़ैसला ले सकती है. सरकार मिल से निकलने वाली चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य तय कर सकती है. न्यूनतम मूल्य 30 रूपये प्रति किलो के आस पास हो सकता है. इसका मतलब ये होगा कि चीनी मिल इस क़ीमत से कम पर चीनी नहीं बेच सकेंगे.

सरकार पहले भी कर चुकी है एलान
पहले भी केंद्र सरकार चीनी पर आयात शुल्क 100 फीसदी और निर्यात शुल्क शून्य फ़ीसदी करने के साथ-साथ गन्ना किसानों को प्रति टन 5.50 रुपए सब्सिडी देने का भी ऐलान कर चुकी है.

किसान यूनियन का विरोध 

हालांकि उत्तर प्रदेश में किसानों के सबसे बड़े संगठन ने इसे झुनझुना बताया है. किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा ‘इस से गन्ना किसानों को कोई फ़ायदा नहीं होने वाला है”. किसान यूनियन का कहना है कि यूपीए राज में 6 हज़ार करोड का बेल आउट पैकेज आया था. एनडीए सरकार भी पहले 15 सौ करोड़ का पैकेज दे चुकी है लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं हुआ है.

वहीं भारतीय किसान यूनियन ने गन्ना किसानों की बेहतरी के लिए केन्द्र से 6 मांगे भी रखी है.

1. चीनी की बिक्री दो तरह से हो जैसे कुकिंग गैस का है. घरेलू इस्तेमाल की चीनी 25 रुपए किलो और कमर्शियल चीनी 100 रुपए बाज़ार में मिले
2. देश में चीनी का बफर स्टॉक बनाया जाए.
3. पेट्रोलियम में 25 फीसदी तक इथेनॉल ब्लेंड किया जाए. ब्राज़ील की तरह गन्ने के रस से इथेनॉल बने.
4. चीनी के निर्यात पर सब्सिडी दी जाए.
5. देश में शुगर केन फ़ंड बने. गन्ना देने के बदले किसानों को 24 घंटे में इस फ़ंड से भुगतान हो. समय पर पेटेंट न करने वाली मिलों से ब्याज वसूला जाए
6. चीनी आयात पर ड्यूटी लगाई जाए

 

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