गार्डन के लिए आरक्षित भूखंडों के बदलेंगे दिन!

gardenमुंबई। आने वाले समय में मुंबई के तमाम पार्कों का ठीक ढंग से रख-रखाव किया जा सकेगा। मुंबई महानगरपालिका ऐक्ट, 1988 के सेक्शन 61 के तहत हेल्थ, प्राथमिक शिक्षा, पानी सप्लाई, रास्ता दुरुस्त करने जैसी मूलभूत सेवाएं देना बंधनकारक है।

डिवेलपमेंट प्लान के तहत मैदान के लिए आरक्षित भूखंड को कब्जे में लेकर उन पर मनोरंजन, खेल के मैदान, उद्यान विकसित करना सेक्शन 63 के तहत ऐच्छिक श्रेणी में आता है। जिसके चलते डीपी में आरक्षण के बावजूद तमाम मैदान विकसित नहीं हो पाते हैं। इनके विकास का केवल 20 से 22 प्रतिशत काम ही किया गया है। ऐसे में, आरक्षित भूखंड के विकास का काम सेक्शन 61 में लाकर इसे भी बंधनकारक किया जाए, जिससे हर साल बजट में कमिश्नर इस संबंध में आवश्यक निधि जारी कर सकें। विधानसभा में बीजेपी सदस्य आशीष शेलार, पराग अलवणी द्वारा इस संबंध में उठाए गए मुद्दे पर नगरविकास राज्य मंत्री डॉ. रणजीत पाटील ने आ‌वश्यक बदलाव करने का भरोसा दिया। पाटील ने कहा कि इस संबंध में मंत्रिमंडल की आगामी बैठक में प्रस्ताव पर चर्चा कर अगले सत्र में जरूरी बदलाव करने की पहल होगी।

अगर यह बंधनकारक श्रेणी में लागू हो जाता है तो मुंबईकरों को आने वाले दिनों में नए मैदान उपलब्ध हो सकेंगे। साथ ही, इनका ठीक ढंग से रख-रखाव भी होगा। गौरतलब है कि मुंबई में 1068 आरक्षित भूखंड का क्षेत्रफल करीब 1,200 एकड़ है। ऐसे में, इनके सही विकास से मुंबईकरों को न केवल अच्छी खेल सुविधाएं मिलेंगी बल्कि उनके लिए नए खुले मैदान भी उपलब्ध होंगे। इन पर करीब 150 करोड़ रुपये का खर्च आने की उम्मीद है।

पिछले दिनों मुंबई के खुले मैदान, गार्डन का प्राइवेट पार्टियों द्वारा रख-रखाव करने का मुंबईकरों ने जोरदार विरोध किया था। मामला मुख्यमंत्री के पास पहुंचा, उनके निर्देश पर कमिश्‍नर ने इन्हें वापस देने की प्रक्रिया शुरू की। बीएमसी ने 74 प्लॉट वापस ले भी लिए लेकिन बड़े प्लॉट वापस लेने की प्रक्रिया रख-र‌खाव कर पाने में होने वाली असमर्थता के चलते नहीं हुई। इन मैदान के रख-रखाव के लिए 247 करोड़ रुपये के टेंडर निकालकर ठेकेदार की नियुक्त करने के बाद फिर बड़े प्लॉट वापस लिए जाएंगे।

 

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