गुजरात की हार को नैतिक जीत कह रहे हैं कांग्रेसी नेता, हार के लिए राहुल गांधी नहीं मैं जिम्मेदार

नई दिल्ली। लो भाई जिसका इंतजार था वो शुरू हो गया है, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं, हिमाचल प्रदेश में तो कांग्रेस बुरी तरह से हार गई वहीं गुजरात में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के बाद कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। जैसा की कांग्रेस की रवायत है, परंपरा है, कांग्रेस के नेताओं ने बयान देना शुरू कर दिया है। खास तौर पर गुजरात की हार के बाद प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अशोक गहलोत का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि चुनाव का नतीजा चाहे जो भी हो राहुल गांधी ने बहुत मेहनत की, प्रदेश प्रभारी होने के नाते वो जिम्मेदारी ले रहे हैं हार की। बहुत खूब गहलोत जी, काश आप राहुल का ट्वीट पढ़ लेते तो ये बयान ना देते।

दरअसल कांग्रेस के नेताओं की आदत है, कोई भी चुनाव हो, अगर पार्टी जीत गई तो राहुल गांधी की जय जय और अगर हार गई तो जिम्मेदारी लेने के लिए नेताओं की एक पूरी फौज खड़ी हो जाती है, ना जी हम राहुल को कुछ नहीं होने देंगे, हार के जिम्मेदार तो हम हैं, भले वो नेता उस राज्य में प्रचार के लिए गया हो या नहीं, लेकिन हार की जिम्मेदारी लेने को तत्पर रहता है। साथ ही गांधी परिवार के प्रति कांग्रेसियों की आस्था का एक और सबूत अशोक गहलोत ने दिया। उन्होंने कहा कि राहुल ने अच्छा प्रचार किया, राहुल ने उस तरह से चुनाव प्रचार किया जैसा इंदिरा गांधी किया करती थीं। उनको देख कर इंदिरा जी की याद आ गई। इस बयान के लिए गहलोत जी को 4 नंबर जनता की तरफ से दिए जाएं, आखिर इतनी मेहनत जो कर रहे हैं इसके लिए।

इंदिरा गांधी से राहुल की तुलना कर दी, शायद भूल गए कि इंदिरा गांधी के लिए राजनीति पार्ट टाइम बिजनेस नहीं था। उनके जैसे नेता विरले ही होते हैं, अगर राहुल में अपनी दादी का 10 परसेंट भी होता तो कांग्रेस गुजरात में आसानी से जीत जाती। अशोक गहलोत यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि राहुल ने मुद्दों के आधार पर प्रचार किया था। राहुल ने जो मुद्दे उठाए उनका जवाब बीजेपी की तरफ से नहीं मिला। पीएम मोदी ने मुद्दों से अलग हो कर प्रचार किया, वो भावनात्मक प्रचार कर रहे थे। वो लोगों से गुजरात का होने की अपील कर रहे थे। गहलोत ने कहा कि मोदी ने गुजरात की जनता को दुहाई दी कि वो गुजरात के बेटे हैं इसलिए उनको वोट दिया जाए। गहलोत ने कहा कि ये कांग्रेस की नैतिक जीत है कि राहुल के कारण अपने गृहराज्य में बीजेपी 100 सीटें भी नहीं जीत पाई।

अशोक गहलोत ने बयान तो बहुत शानदार दिया, लेकिन क्या वो ये कहना चाह रहे हैं कि राहुल गांधी ने मंदिरों के मुद्दे पर चुनाव लड़ा, प्रचार के हर दिन राहुल किसी ना किसी मंदिर गए, जातिगत समीकरणों को साधने के लिए हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश मेवाणी को साथ लिया। जनेउ दिखाई, कांग्रेस के ही मणिशंकर अय्यर ने मोदी के लिए नीच शब्द का इस्तेमाल किया। इन सारे मुद्दों से पहले राहुल ने विकास को पागल कहा था। खैर ये कांग्रेस की परंपरा रही है, गांधी परिवार के हर शख्स का बचाव करना। वही अब हो रहा है। गुजरात की हार को नौतिक जीत बता रहे हैं और हिमाचल में सरकार होते हुए करारी हार पर कोई कुछ बोल ही नहीं रहा है। वहां की हार नैतिकता के किस पैमाने पर है ये भी बता दें कि कांग्रेस के नेता।

 

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