गुजरात में कहीं भाजपा के लिए मजबूरी का नाम तो नहीं हैं विजय रूपाणी?

नई दिल्ली। आखिरकार भाजपा ने कोई रिस्क लिए बगैर जो चला आ रहा था उसे ही कायम रखा और किसी तरह का अप्रत्याशित फैसला लेने की जगह गुजरात में पुरानी राह पर चलने का फैसला लिया.

तो क्या पुरानी राह पर चलना 22 साल से राज्य में सत्तारुढ़ रही भारतीय जनता पार्टी के लिए विजय रूपाणी के नाम पर सहमति जताना राजनीतिक मजबूरी थी. पार्टी को मालूम है कि इस बार की जीत पिछली 5 जीतों से कहीं मुश्किल भरी रही है. इस बार कांग्रेस ने काफी दम लगाया और उम्मीद से कहीं ज्यादा सीटें लेकर आई. विधानसभा में भी विपक्षी दल काफी मजबूत है.

दूसरों को असंतुष्ट नहीं करना

पार्टी का विजय रूपाणी के नाम पर सहमति का मुख्य आधार तो यही बनते दिखता है कि चुनाव में उतरने के दौरान रूपाणी ही मुख्यमंत्री थे और पार्टी में उनके नाम पर लगभग सहमति थी. साथ ही प्रदेश की जनता को भी उनसे खास नाराजगी नहीं थी. रूपाणी जैन समुदाय से आते हैं और राज्य में इनकी संख्या बहुत कम (2%) है, ऐसे में अन्य जातियों को नाराज किए बगैर उन पर दांव चलना पार्टी के लिए सेफ गेम खेलने जैसा है. राज्य में ठाकुर (8%), मुस्लिम (10%) के अलावा अनुसूचित जाति (12%), अनुसूचित जनजाति (13%), पटेल (15%) और ओबीसी (35%) अच्छी पोजिशन में हैं, ऐसे में इन किसी भी समुदाय से मुख्यमंत्री बनाना मतलब बाकी जातियों को नाराज करना होता.

दबाव से परे पार्टी

ऐसे में जब केंद्र के साथ-साथ 19 राज्यों में भाजपा की सरकार चल रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहनगर में किसी सीटिंग सीएम को हटाकर किसी नए चेहरे को राज्य की कमान सौंपना बताता कि पार्टी खासी दबाव में है. ऐसे में मोदी और भाजपा की छवि ही गिरती. इस लिहाज से किसी नए चेहरे के बजाए पुराने चेहरे पर दांव चलना उनकी राजनीतिक मजबूरी हो सकती है.

बार-बार बदल रहे नेता

इस फैसले से शायद भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि वो किसी के दबाव में नहीं झुकने वाली. वैसे भी जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात छोड़कर दिल्ली आए हैं वहां भाजपा की पकड़ कमजोर हुई है, जो हालिया चुनाव में भी दिखा. मोदी के जाने के बाद आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन कमजोर होती पकड़ को देखते हुए उन्होंने इस्तीफा दिया और विजय रूपाणी मुख्यमंत्री बने. साढ़े 3 साल में तीसरी बार मुख्यमंत्री का चेहार बदलने पर यह संदेश जाता कि पार्टी एक योग्य सीएम भी नहीं चुन पा रही. ऐसे में थोड़ा नफा और थोड़ा नुकसान के साथ रूपाणी ही मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा की पहली और आखिरी पंसद बने.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button