गुजरात विधान सभा चुनाव में ‘तुरूप का इक्का’ साबित होंगे कोविंद?

नई दिल्ली। केन्द्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा के अकबर रोड वाला आवास एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का नया अस्थायी पता होगा. उच्च सूत्रों के मुताबिक कोविंद 17 जुलाई को राष्ट्रपति पद के चुनाव तक करीब एक महीने लुटियंस दिल्ली के 10 अकबर रोड बंगले में रहेंगे.

कोविंद के पक्ष में समर्थन का स्तर देखते हुए उनका राष्ट्रपति बनना तय नजर आ रहा है. लेकिन सभी आम से खास तक में मन में यह सवाल उठ रहा है कि रामनाथ कोविंद एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार कैसे बने? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामनाथ कोविंद को ही क्यों चुना ? बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और संघ की पहली पंसद रामनाथ कोविंद ही क्यों बने ? राजनीतिक पंडितों के मुताबिक रामनाथ कोविंद को दलित होने का फायदा मिला और बीजेपी ने दलित कार्ड चलते हुए उन्हें अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया. काफी हद तक ये बात सही भी है लेकिन इसके पीछे एक बड़ा राज है जिसपर कम ही लोगों की नजर पड़ी है. वो है रामनाथ कोविंद का गुजरात कनेक्शन.

रामनाथ कोविंद का गुजरात कनेक्शन?
रामनाथ कोविंद रहने वाले उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के हैं, राज्यपाल वो बिहार के रहे तो कनेक्शन गुजरात से कैसे हुआ? गुजरात से सीधा-सीधा और गहरा कनेक्शन है.

– रामनाथ कोविंद दलितों के कोली समाज से आते हैं
– लेकिन गुजरात में ‘कोली’ की गिनती अन्य पिछड़ा वर्ग यानि OBC में होती है
– गुजरात में कोली आबादी करीब 20 प्रतिशत है
– गुजरात के 33 जिलों में 12 में कोली समाज का प्रभाव है
– गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से 31 पर कोली सीधे-सीधे जीत-हार तय करने का माद्दा रखते हैं

इससे पहले कई चुनावों में मौजूदा पीएम और तब के सीएम नरेंद्र मोदी के लिए कोविंद गुजरात में प्रचार कर चुके हैं. कोविंद की खासियत रही है कि बिना किसी शोरगुल और तामझाम के वो अपना काम करते रहे हैं.

इसी साल के अंत में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं, बीजेपी ने इस बार 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है और ये तभी संभव है जब कोली जैसा एक बड़ा वोट बैंक बीजेपी के साथ खड़ा दिखे. गुजरात में पाटिदार बीजेपी के पारंपरिक वोट माने जाते थे, लेकिन आरक्षण आंदोलन के बाद पटेल बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. गुजरात में पटेल करीब 14 प्रतिशत है. ऐसे में अगर बीजेपी पटेलों को मनाने में कामयाब नहीं हो पाती तो रामनाथ कोविंद के जरिए कोली समाज को अपने खेमे में करने की तैयारी है.

 

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