गुजरात : शंकर सिंह वाघेला का दांव-कांग्रेस को झटका, बीजेपी की बल्‍ले-बल्‍ले, जानें 5 बातें

अहमदाबाद। एक जमाने में गुजरात में बीजेपी के दिग्‍गज नेता और अब कांग्रेसी शंकर सिंह वाघेला शुक्रवार को अपने 77वें जन्‍मदिन पर अहम घोषणा कर सकते हैं. माना जा रहा है कि वह कांग्रेस को छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं. इसी नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यदि वह ऐसी घोषणा करते हैं तो कांग्रेस की राज्‍य यूनिट में विभाजन हो सकता है. पिछले दो दशक से राज्‍य की सत्‍ता से बाहर कांग्रेस की इस बार सत्‍ता में लौटने के मंसूबों पर पानी फिर सकता है. इस पृष्‍ठभूमि में पांच अहम बातें :

1. 1990 के दशक में गुजरात के मुख्‍यमंत्री रह चुके शंकर सिंह वाघेला गुजरात के उन नेताओं में गिने जाते हैं, जिनका अपना जनाधार है. पूरे गुजरात में उनके समर्थक फैले हुए हैं और पूरे राज्‍य में इस दौर के ‘बापू’ के नाम से वह मशहूर हैं. अपनी इसी छवि के चलते वह चाहते थे कि इस बार के चुनावों में कांग्रेस उनको मुख्‍यमंत्री पद का उम्‍मीदवार घोषित कर दे. लेकिन कांग्रेस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.

2. कांग्रेस आलाकमान से अंतिम मुलाकात के भी वांछित नतीजे नहीं निकले. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक उनको स्‍पष्‍ट कर दिया गया कि यदि उनको कांग्रेस की तरफ से सीएम उम्‍मीदवार घोषित कर दिया गया तो राज्‍य के दिग्‍गज कांग्रेसी नेता अंसतुष्‍ट हो सकते हैं. यानी कांग्रेस राज्‍य पार्टी चीफ भर‍त सिंह सोलंकी और दो पूर्व नेता प्रतिपक्ष शक्ति सिंह गोहिल और अर्जुन मोढवाडिया को नाराज नहीं करना चाहती.

3. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस से अलग होने की स्थिति में वाघेला एक तीसरे मोर्चे का गठन कर सकते हैं. इसमें नेशनलिस्‍ट कांग्रेस पार्टी, जदयू और सियासी फलक पर उभरते हुए नए सितारे हार्दिक पटेल, अल्‍पेश ठाकुर और जिग्‍नेश मेवानी को शामिल किया जा सकता है. इन उभरते हुए नेताओं का क्रमश: पाटीदारों, ठाकुर और दलित समुदाय में अच्‍छा जनाधार है. उल्‍लेखनीय है कि वाघेला ने 17 साल पहले बीजेपी से अलग होने के बाद गठित अपनी राष्‍ट्रीय जनता पार्टी (आरजेपी) का विलय कांग्रेस में कर दिया था.

4. पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह से वाघेला के मधुर संबंध हैं. कुछ समय पहले गुजरात विधानसभा में शाह के साथ वाघेला की मुलाकात भी हुई थी. उस मुलाकात के आने वाले विधानसभा चुनावों के लिहाज से राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे थे. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि वाघेला राजनीति से रिटायर होने की घोषणा कर सकते हैं. यह भी बीजेपी के लिए बेहद फायदेमंद होगा. बदले में बीजेपी उनके बेटे को राज्‍यसभा भेज सकती है.

5. कांग्रेस से अलग वाघेला की किसी भी योजना का सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा. ऐसा इसलिए क्‍योंकि बीजेपी राज्‍य में हाल में हुए पाटीदार आंदोलन, दलितों से संबंधित ऊना कांड के बाद थोड़ा बैकफुट पर रही है. माना जा रहा है कि इन वजहों से बीजेपी के वोटबैंक पर चुनावों में असर पड़ सकता है. ऐसे में वाघेला के अलग होने के बाद कांग्रेस उसका पूरी तरह से सियासी फायदा नहीं उठा सकेगी. ऐसे में बीजेपी के लिए चुनावी राह आसान हो जाएगी. वैसे भी 193 सदस्‍यीय विधानसभा में बीजेपी अबकी बार 150 सीट जीतने के लक्ष्‍य के साथ उतर रही है.

 

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button