गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी UP का CM बनने दौड़ में शामिल

rajnath-singhwww.tahalkaexpress.com लखनऊ। दिल्ली और बिहार की गलती यूपी में अगले साल 2017 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी नहीं दोहराना चाहती है। जिसके चलते बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में सीएम कैंडिडेट के साथ चुनाव मैदान में प्रचार शुरू करने का फैसला किया है।
पार्टी के जानकर सूत्र बताते है कि जो प्लान बनाया गया है वह थोड़ा अजीब है. इस प्लान के मुताबिक शुरुआत में सीएम कैंडिडेट से पहले प्रचार समिति का गठन किया जायेगा, जिसमें बीजेपी एक नहीं बल्कि चार चेहरों के साथ प्रचार शुरू करेगी.यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने अपना ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है।
बताया जाता है कि बीजेपी इसके लिए 4 चेहरों को चुने जाने का मन बना रही है। पार्टी के जानकर सूत्रों का कहना है कि सीएम की दौड़ में जो चेहरे शामिल हैं। उनमें केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री महेश शर्मा, रेल राजयमंत्री मनोज सिन्हा शामिल है। और तो और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी इस दौड़ में पीछे नहीं है. लेकिन वह खुलकर सामने नहीं आ रहे है।
बताया जाता है कि यूपी का मुख्य्मंत्री राजनाथ सिंह फिर से बनना चाहते है। लेकिन वह इस मौके कि तलाश में है कि उनका नाम खुद लिया जाये। इसके आलावा लखनऊ के मेयर डॉ दिनेश शर्मा और लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी इस दौड़ से अछूते नहीं है।
कई बार विधायक चुने जा चुके वाजपेयी साफ सुथरी छवि वाले नेता हैं। इसलिए वह भी इस दौड़ से पीछे नहीं है। इतना ही नहीं लखनऊ के मेयर डॉ शर्मा पीएम मोदी के काफी करीबी भी है और उनको मोदीजी ने गुजरात का प्रभारी भी बना रखा है। इसलिए वह भी सीएम कैंडिडेट बन्ने कि कोशिश में है।

सूत्रों के मुताबिक इन चेहरों में से ही बीजेपी किसी को अपना सीएम उम्मीदवार बना सकती है। बताया जाता है कि इन चेहरों में से चार चेहरों को बीजेपी यूपी के चुनाव प्रचार की कमान पहले सौंपेगी बाद में इनमें से अधिक जिसकी लोकप्रियता होगी उसे सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया जायेगा।

फिलहाल अब यह साफ हो गया है कि यूपी में बीजेपी बिना सीएम के चेहरे के चुनाव नहीं लड़ेगी,  इसके बाद जो बीजेपी का फार्मूला है वह लोकप्रियता का है। बताया जाता है कि इन चारों में से जो सबसे अधिक लोकप्रिय होगा। उसको पार्टी आलाकमान सीएम कैंडिडेट घोषित करेंगे।

बताया जाता है कि बीजेपी के इस ब्लू प्रिंट पर संघ अपनी मुहर लगा चुका है। फिलहाल बीजेपी का यह दांवपेंच यूपी में अगले साल होने वाले चुनाव में कितना कारगर साबित होगा. यह तो वक्त ही बताएगा।

 

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