गोरखपुर अस्‍पताल हादसा : सीएम योगी आदित्‍यनाथ से छिपाई गई थी यह बड़ी बात

लखनऊ/गोरखपुर। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज (BRD Medical College) में कथित तौर पर ऑक्‍सीजनल की कमी से हुई बच्चों की मौतों के मामले में अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि अस्‍पताल में एक महीने से ऑक्सीजन संकट की खबर स्थानीय मीडिया में दी जा रही थी, लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी. हैरानी की बात तो यह है कि सीएम योगी ने खुद दो दिन पहले इस अस्पताल का दौरा किया था लेकिन उन्हें भी इस बारे में नहीं बताया गया.

दो चिट्ठियों के खुलासे से बवाल

अस्पताल की लापरवाही पर दो चिट्ठियों के खुलासे ने भी सवाल खड़े किए हैं. अस्पताल के बाल रोग विभाग को इसकी सूचना चिट्ठी के जरिए दी गई थी. चिट्ठी में कहा गया था कि अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी है. जान गंवाने वाले बच्चों में 5 नवजात भी थे. मौतों की वजह आधिकारिक तौर पर भले ही नहीं बताई जा रही हो लेकिन कहा जा रहा है कि इसके पीछे ऑक्सीजन की कमी ही कारण है.

Dept handling oxygen supply wrote to authorities on 3&10 Aug to infrm of shortge as Pushpa Sales stoppd supply ovr pending paymnt 

पहली चिट्ठी तीन अगस्त की है, जो अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर सप्लाई करने वाली कंपनी ने लिखी थी. इसमें लिखा गया है कि वे सिलिंडर की सप्लाई नहीं कर पाएंगे क्योंकि 63 लाख रुपए से ज्‍यादा का बकाया हो गया है. ये चिट्ठी बीआर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के साथ साथ गोरखपुर डीएम और उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा विभाग महानिदेशक को भेजी गई है. दूसरी चिट्ठी 10 अगस्त की है जो ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी के कर्मचारियों ने लिखी थी. ये कर्मचारी अस्पताल में सिलिंडर देने का काम करते थे. ये चिट्ठी अस्पताल के बाल रोग विभाग के प्रमुख को संबोधित करते हुए लिखी गई थी जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई कम होने की जानकारी दी गई है.

दरअसल अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन तो गुरुवार से ही बंद थी और शुक्रवार को सारे सिलेंडर भी खत्म हो गए. इंसेफेलाइटिस वार्ड में मरीजों ने दो घंटे तक अम्बू बैग का सहारा लिया. हॉस्पिटल मैनेजमेंट की बड़ी लापरवाही के चलते पिछले 48 घंटों में 33 बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ऑक्सीजन सप्‍लाई करने वाली फर्म का 69 लाख रुपये का भुगतान बकाया था. हालांकि इस बारे में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा गैस एजेंसी की ओर से बकाए की बात से इनकार किया गया है.

पुष्पा सेल ने भुगतान नहीं होने पर आपूर्ति बंद कर दी थी. सरकार ने इस मामले पर अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी रोगी की मौत नहीं हुई है. मेडिकल कॉलेज में भर्ती 7 मरीजों की विभिन्न चिकित्सीय कारणों से 11 अगस्त को मृत्यु हुई. घटना की मजिस्ट्रेटियल जांच के आदेश दे दिए गए हैं. वहीं डीएम ने 5 सदस्यीय टीम गठिक की जो कि आज अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

आपको बता दें कि गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में 11 वर्षीय बच्‍चे की मौत के बाद मरने वाले बच्‍चों की संख्‍या 63 हो गई है. पिछले 48 घंटों में ही 33 बच्चों की मौत हुई है. जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने शुक्रवार को 30 बच्‍चों की मौत होने की बात कही थी. रौतेला ने पिछले दो दिन में हुई मौतौं का ब्‍योरा देते हुए बताया था कि ‘नियो नेटल वार्ड’ में 17 बच्चों की मौत हुई जबकि ‘एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिन्ड्रोम यानी एईएस’ वार्ड में पांच तथा जनरल वार्ड में आठ बच्चों की मौत हुई है.

इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर पार्टी के चार वरिष्‍ठ नेता गुलाम नबी आजाद, राज बब्बर, संजय सिंह और प्रमोद तिवारी गोरखपुर पहुंच गए हैं. कांग्रेस ने घटना के लिए राज्‍य सरकार पर हमला बोला और कहा कि इस दुखद घटना के लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेदार है. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह राज्य सरकार की नाकामी का नतीजा है. मुख्यमंत्री को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए. जांच के लिए सांसदों की टीम बने. राज्‍य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री को घटना की नैतिक जिम्‍मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए.

हेल्‍थ मिनिस्‍टर सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा है कि बच्‍चों की मौत पर विपक्ष राजनीति न करें. ताजा अपडेट के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन भी गोरखपुर जा रहे हैं. सीएम के साथ दोनों मांत्रियों की बैठक हुई है. वहां से आने के बाद दोनों मंत्री सीएम को घटना की पूरी रिपोर्ट देंगे. उत्‍तर प्रदेश के डिप्‍टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार लोगों को सुविधाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है, दोषियों के खिलाफ सख्‍त से सख्‍त कार्रवाई की जाएगी.

 

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