गोरखपुर ऑक्सीजन कांड: पुलिस ने दाखिल की चार्जशीट, डॉ. कफ़ील और पूर्व प्राचार्य पर गबन का आरोप

लखनऊ/गोरखपुर।  बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में ऑक्सीजन संकट के कारण बच्चों की मौत के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार सभी नौ लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है.

पुलिस ने चार्जशीट में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्र और तत्कालीन एनएचएम नोडल अधिकारी डॉ. कफ़ील खान पर सरकारी धन के गबन का भी आरोप लगाते हुए आईपीसी की धारा 409 जोड़ा है.

इस अपराध में आजीवन कारावास की सजा है. अन्य सात आरोपियों पर जो धाराएं लगायी गई हैं उनमें पांच वर्ष से कम की सजा का प्रावधान है.

मालूम हो कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त की रात लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो गई थी जो 13 अगस्त की अल सुबह बहाल हो पायी. इस दौरान 10, 11 और 12 अगस्त को क्रमशः 23, 11 व 12 बच्चों की की मौत हुई.

10 और 11 अगस्त को मेडिसिन वॉर्ड में 18 वयस्क मरीजों की भी मौत हुई. प्रदेश सरकार ने शुरू से ही ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत होने से इनकार किया.

उसका कहना था कि लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई जरूर बाधित हुई थी लेकिन जम्बो ऑक्सीजन सिलेण्डर की पर्याप्त व्यवस्था थी जिसके कारण किसी मरीज की मौत नहीं हुई. सरकार द्वारा गठित जांच समितियों ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में सरकार की ही बात तस्दीक की है.

इस मामले में डीएम द्वारा गठित जांच समिति और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित जांच समिति की संस्तुतियों के आधार पर ऑक्सीजन कांड के लिए पूर्व प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्र, नोडल अधिकारी एनएचएम 100 बेड इंसेफेलाइटिस वॉर्ड डॉ. कफ़ील खान, एचओडी एनस्थीसिया विभाग एवं ऑक्सीजन प्रभारी डॉ. सतीश कुमार, चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल, सहायक लेखा अनुभाग उदय प्रताप शर्मा, लेखा लिपिक लेखा अनुभाग संजय कुमार त्रिपाठी, सहायक लेखाकार सुधीर कुमार पांडेय, ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कम्पनी पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनीष भंडॉरी और पूर्व प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्र की पत्नी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला को दोषी ठहराया.

इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार किया गया गया. विवेचना अधिकारी सीओ कैंट अभिषेक सिंह ने सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट अदालत में दाखिल कर दी है. पहले डॉ. राजीव मिश्र और डॉ. कफ़ील खान को छोड़ सात आरोपियों के खिलाफ अक्टूबर माह में चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी.

डॉ. राजीव मिश्र और डॉ. कफ़ील के खिलाफ दो दिन पहले चार्जशीट दाखिल की गई है.

सीओ कैंट अभिषेक सिंह ने बताया कि विवेचना में पूर्व प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्र और डॉ. कफ़ील खान के खिलाफ सरकारी धन के गबन के साक्ष्य मिले हैं. इसलिए दोनों पर आईपीसी की धारा 409 भी लगाया गया है.

दोनों ने सरकारी धन का व्यक्तिगत हित में उपयोग किया. इस धारा में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है.

इसके अलावा डॉ. कफ़ील पर आईपीसी की धारा 308 यानी आपराधिक मानव वध का प्रयास और धारा 120 बी आपराधिक षडयंत्र लगाया गया है. आईपीसी की धारा 308 में अधिकतम पांच वर्ष की सजा का प्रावधान है.

डॉ. कफ़ील खान पर ऑक्सीजन की कमी को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में न लाने, उत्तर प्रदेश मेडिकल काउसिंल में पंजीकृत न होने के बावजूद अपनी पत्नी के नर्सिंग होम में प्राइवेट प्रैक्टिस, मेडिकल कॉलेज में मरीजों के इलाज में अपेक्षित सावधानी और उनके जीवन को बचाने के लिए अपेक्षित प्रयास नहीं करने तथा संचार एवं डिजिटल माध्यम से धोखा देने के इरादे से गलत तथ्यों को संचार माध्यम से प्रसारित करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज किया गया था.

विवेचना में डॉ. कफ़ील पर आईटीएक्ट की धारा 66 में कोई आपराधिक कृत्य का साक्ष्य नहीं मिला इसलिए इसे हटा लिया गया है. प्राइवेट प्रैक्टिस चूंकि क्रिमिनल केस नहीं है, इसलिए इसे भी चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया है.

इस मामले में विभागीय कार्रवाई चल रही है. डॉ. राजीव मिश्र पर भी 409, 308, 120 बी और 7 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा लगाई गई है.

अन्य आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, धोखाधड़ी, रिकार्ड में कूटरचना, आपराधिक षडयंत्र के आरोप लगाए गए हैं. इन आरोपों में अधिकतम पांच वर्ष की सजा हो सकती है.

विवेचना अधिकारी सीओ कैंट अभिषेक सिंह का कहना है कि सभी आरोपियों के खिलाफ विवेचना में पुख्ता साक्ष्य मिले हैं. आरोपी सजा से बच नहीं पाएंगें.

 

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