चंदा कोचर पर लगे वित्तीय अन‍ियमितताओं के आरोपों का पूरा लेखा-जोखा

नई दिल्ली। आईसीआईसीआई बैंक को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने वाली बैंक की सीईओ चंदा कोचर इस बार सवालों के घेरे में खड़ी हैं. उन पर वीडियोकॉन समूह को करीब 4 हजार करोड़ रुपये का लोन देने के मामले में अन‍ियमितता बरतने का आरोप लगा है. आगे समझ‍िए क्या है ये पूरा मामला और अभी तक इसमें क्या-क्या चीजें हुई हैं.

क्या है आरोप?

चंदा कोचर पर वीडियोकॉन ग्रुप को 4000 करोड़ रुपये का लोन देने के मामले में कथित ‘भाई-भतीजावाद’ दिखाने और हितों के टकराव के आरोपों को लेकर उंगली उठ रही है. आईसीआईसीआई  बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप के निवेशक अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कर बैंक के ऋण देने के तौर तरीकों पर सवाल उठाया. उन्होंने चंदा कोचर पर वेणुगोपाल धूत के वीडियोकॉन कारोबारी समूह को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है.

अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री को 15 मार्च 2016 को ये चिट्ठी लिखी थी. गुप्ता का आरोप है कि चंदा कोचर ने वीडियोकॉन को कुल 4000 करोड़ रुपये के दो ऋण मंजूर करने के बदले में गलत तरीके से निजी लाभ लिया. गुप्ता ने चंदा कोचर पर मॉरिशस और केमेन आइलैंड जैसे टैक्स हैवेन देशों में स्थित कंपनियों के जरिये वीडियोकॉन को लोन देने का आरोप लगाया है.

कब दिए गए लोन?

वीडियोकॉन चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और उनके दो अन्य रिश्तेदारों के साथ एक कंपनी शुरू की. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि 3250 करोड़ रुपये के लोन में से 2810 करोड़ रुपये के लोन का भुगतान किया ही नहीं गया था.  ICICI बैंक ने करीब 4000 करोड़ रुपये ऋण के तौर पर वीडियोकॉन ग्रुप को 2010 से 2012 के बीच दिए. अरविंद गुप्ता ने इंडिया टुडे से कहा, “हमें जानने की जरूरत है कि क्यों दीपक कोचर और धूत ने साझा उपक्रम बनाया और फिर धूत ने उसे छोड़ दिया.

दीपक कोचर कौन हैं?

चंदा कोचर के पति दीपक कोचर नूपावर रिन्यूवेबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) के संस्थापक और सीईओ हैं. रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज में दर्ज जानकारी के मुताबिक ICICI  बैंक चीफ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर ने धूत के साथ मिलकर दिसंबर 2008 में नूपॉवर रीन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) के नाम से साझा कंपनी बनाई. इस कंपनी में शेयर जिस तरह एक दूसरे को ट्रांसफर किए गए, उसको लेकर धूत और दीपक कोचर की कारोबारी साझेदारी को लेकर अब गंभीर सवाल उभरे हैं.

शेयरों के ट्रांसफर का चकरा देने वाला तिकड़म

NRPL में धूत परिवार की 50 फीसदी साझेदारी थी और बाकी शेयर दीपक कोचर और उनके परिवार के स्वामित्व वाले पैसिफिक कैपिटल के थे. एक साल बाद ही जनवरी 2009 में धूत ने NRPL के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया और अपने करीब 25,000 शेयर दीपक कोचर को हस्तांतरित कर दिए. इसके अलावा मार्च 2010 में धूत के स्वामित्व वाली एक कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड ने NRPL को 64 करोड़ रुपये का सेक्योर्ड लोन दिया. लेकिन फिर मार्च 2010 तक सुप्रीम एनर्जी ने NRPL का बहुल स्वामित्व अपने हाथ में ले लिया और दीपक कोचर के पास सिर्फ 5 फीसदी स्वामित्व बचा. इसके करीब आठ महीने बाद धूत ने सुप्रीम एनर्जी की अपनी पूरी हिस्सेदारी अपने एक सहयोगी महेश चंद्र पंगलिया को ट्रांसफर कर दी. फिर इसके करीब दो साल बाद पंगलिया ने कंपनी की अपनी पूरी हिस्सेदारी सिर्फ 9 लाख रुपये में दीपक कोचर की कंपनी पिनाकल एनर्जी को ट्रांसफर कर दी.

धूत ने आरोपों को बेबुन‍ियाद बताया?

धूत ने अपने शेयर बेचे जाने को सही ठहराया है. उन्होंने इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है. धूत ने कहा है कि उन्होंने अपनी भागीदारी इसलिए बेची थी, क्योंकि वह ग्रुप के अपने दूसरे काम में बिजी हो गए थे.

ICICI बैंक ने किया बचाव

आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी सीईओ का बचाव किया है. बैंक ने कहा है कि बैंक का कोई भी व्यक्ति अपने पद पर इतना सक्षम नहीं है कि बैंक की क्रेडिट से जुड़े फैसलों को प्रभावित कर सके. शेयर बाजार को भेजी सूचना में बैंक ने कहा कि बोर्ड ने ऋण मंजूरी की बैंक की आंतरिक प्रक्रियाओं की भी समीक्षा की है और उन्हें ठोस पाया है. बैंक ने कहा, ‘बोर्ड इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि कथित अफवाहों में लाभ के लिए कर्ज देने या हितों के टकराव का जो आरोप लगाया गया है, उसका सवाल ही नहीं उठता.’

‘कर्ज देने में कोई गड़बड़ी नहीं’

वीडियोकॉन समूह को कर्ज के बारे में बैंक ने कहा है कि यह ऋण बैंकों के गठजोड़ की व्यवस्था के तहत दिया गया था. बैंक ने कहा कि इस गठजोड़ में आईसीआईसीआई प्रमुख बैंक नहीं था. बैंक ने सिर्फ अपने हिस्से की ऋण सुविधा दी जो करीब 3,250 करोड़ रुपये बैठती है. यह अप्रैल, 2012 में गठजोड़ की कुल ऋण सुविधा का 10 प्रतिशत से भी कम बैठता है.

बोर्ड ने बताया कि चंदा कोचर उस क्रेडिट कमिटी की सदस्य थी, जिसने वीडियाकॉन ग्रुप को लोन दिया. उन्होंने इसके साथ ही बताया कि  वीडियोकॉन ग्रुप और इसकी सब्स‍िडरी कंपन‍ियों के 40 हजार करोड़ रुपये के डेट कंसोलिडेशन प्रोग्राम में बैंकों के कंसोर्टियम ने हिस्सा लिया था. इसकी प्रमुखता एसबीआई ने की थी. इसमें आईसीआईसीआई बैंक की हिस्सेदारी महज 10 फीसदी से भी कम थी.

इसलिए उठ रहा सवाल

धूत और दीपक कोचर की कारोबारी साझेदारी और एक डूबती कंपनी को ICICI द्वारा दिए गए कर्ज को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं. इस मामले में शि‍कायत करने वाले वीडियोकॉन के इन्वेस्टर अरविंद गुप्ता ने इंडिया टुडे को बताया, ‘हम यह जानना चाहते हैं कि दीपक कोचर और धूत ने संयुक्त उद्यम क्यों बनाया और धूत इससे बाहर क्यों हुए.

गुप्ता के संदेह का कारण NRPL को उसी समय विदेशी फंड का बहुतायत में मिलना है, जब ICICI बैंक ने धूत की कंपनी को लोन दिए थे. बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को करीब 4000 करोड़ रुपए के लोन 2010 से 2012 के बीच दिए और डीएच रीन्यूएबल्स ने इसी दौर में 325 करोड़ और 66 करोड़ रुपए NRPL में डाले.

जिन सवालों के अभी नहीं मिले जवाब?

– आईसीआईसीआई बैंक जब वीडियोकॉन समूह को लोन दे रहा था, तो उसी समय दीपक कोचर की कंपनी में बाहर से इतना पैसा क्यों आ रहा था?

– वीडियोकॉन ने आईसीआईसीआई को लोन के बदले क्या गारंटी दी?

– बैंक ने जब लोन मंजूर किया तो कंपनी का क्रेडिट स्कोर क्या था?

– क्या चंदा कोचर ने बैंक बोर्ड को अपने पति के साथ धूत के कारोबारी रिश्तों की जानकारी दी थी?

 

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