चीफ जस्टिस ने बृजगोपाल से कहा-सौ करोड़ ले लो, सोहराबुद्दीन केस में सबको क्लीन चिट दे दो

नई दिल्ली। सोहराबुद्दीन केस की सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बृजगोपाल की मौत में एक और बड़ा खुलासा अंग्रेजी पत्रिका कारवां ने किया है। रिपोर्टर निरंजन टकले ने जज की बहन अनुराधा के हवाले से सनसनीखेज खुलासा किया है। मुंबई के चीफ जस्टिस पर बहन ने केस को रफा-दफा करने के लिए भाई बृजलाल को सौ करोड़ घूस ऑफर करने का आरोप लगाया है।

Chief Justice Mohit Shah made an offer of Rs 100 crore to my brother for a favourable judgment in the Sohrabuddin case: Late Judge Loya’s sister @niranjan_takle on the pressures and inducements Loya allegedly faced while hearing the Sohrabuddin case: http://www.caravanmagazine.in/vantage/loya-chief-justice-mohit-shah-offer-100-crore-favourable-judgment-sohrabuddin-case 

क्या है मामला

6 मई 2014  को दिल्ली में मोदी सरकार स्थापित हो चुकी थी और चार महीने बाद महाराष्ट्र में भी बीजेपी के हाथ सत्ता आ चुकी थी। पूरे देश में भगवा परचम लहरा रहा था लेकिन मुंबई की सीबीआई अदालत में सोहराबुद्दीन हत्याकांड के मामले में अब भी बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह के सर पर इन्साफ की तलवार लटक रही  थी। इसी बीच महीने भर के अंदर यानी 30 नवंबर 2014 को सोहराबुद्दीन हत्याकांड की सुनवाई कर रहे जज बृजगोपाल हरिकृष्ण लोया की संदिग्ध हालात  में मौत हो गयी।

जज लोया की मौत को सरकार से लेकर मीडिया ने दबा दिया। अगले 30 दिन बाद यानी 30 दिसंबर 2014 को जज लोया की जगह दूसरे जज एमबी गोसावी ने अमित शाह को सोहराबुद्दीन हत्याकांड के इस चर्चित कांड से बरी कर दिया।

जज लोया के परिवार ने अब इस समूचे घटनाक्रम पर गंभीर सवाल उठाए हैं। परिवार का कहना है कि  जज की मौत के पीछे गहरी साज़िश है। उनके कपड़ों पर खून के छींटे थे, लेकिन गुनाहों के ये दाग हमेशा के लिए मिटा दिए गए और पूरे परिवार को अंधेरे में रखा गया।

48 वर्षीय जज बृजगोपाल की संदिग्ध मौत के तीन साल बाद उनके परिवार ने डरते-डरते जुबान खोली है। जस्टिस लोया सीबीआई अदालत में सोहराबुद्दीन शेख, पत्नी कौसर के फर्जी मुठभेड़ में हत्या के ट्रायल की सुनवाई कर रहे थे।  इस हत्याकांड के केंद्र में गुजरात के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अमित शाह थे।

परिवार का कहना है-संदेहास्पद परिस्थितियों में जस्टिस लोया का शव नागपुर के सरकारी गेस्टहाउस में मिला था। इस मामले को तत्कालीन भाजपा सरकार ने हार्टफेलियर का रूप दिया। लेकिन कई अनसुलझे सवाल इस मौत पर आज भी जवाब मांग रहे हैं। जस्टिस लोया सुनवाई के जिस निर्णायक मोड़ पर थे, निर्णय देने वाले थे, उसकी हम हकीकत में बाद में बताएंगे। पहले जानते हैं कि उनके परिवार ने इस संदिग्ध मौत पर कौन-कौन से सवाल उठाए हैं।

 

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