जदयू के ‘निर्लज्ज’ बने मोदी के ‘सारथी’

bheem singh3तहलका एक्सप्रेस

पटना। बिहार चुनाव को जीतने की खातिर बीजेपी किस कद्र बेचैन है उसकी मिसाल ये हैं जेडीयू के नेता भीम सिंह को पार्टी में शामिल करना. ये वही भीम सिंह हैं जिन्होंने नीतीश सरकार में मंत्री रहते शहीदों का अपमान किया था और तब नरेंद्र मोदी ने बतौर पीएम उम्मीदवार उन्हें निर्लज्ज बताया था. अब भीम सिंह बीजेपी के माननीय हो चले हैं.

नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी की सरकार में मंत्री रह चुके भीम सिंह ने आज बीजेपी की सदस्यता ले ली. पटना में सुशील कुमार मोदी की मौजूदगी में भीम सिंह ने कमल का दामन थामा है.

लेकिन भीम सिंह को बीजेपी में शामिल करना पार्टी को महंगा पड़ रहा है, क्योंकि साल 2013 में भीम सिंह ने शहीदों का अपमान करते हुए कहा था कि सैनिक मरने के लिए होते हैं और तब मोदी ने उनकी जमकर लताड़ लगाई थी. मोदी ने हरियाणा के रेवाड़ी में कहा था, “निर्लज्जता की सीमा तो तब आ जाती है जो जनता के चुने हुए प्रतिनिधि मंत्री ये बयान देते हैं कि सेना में तो लोग मरने के लिए होते हैं.  इससे बुरा व्यवहार नहीं हो सकता. इससे बड़ा अपमान सेना के जवानों का नहीं हो सकता.”

कौन हैं भीम सिंह?

 नीतीश के खिलाफ लोगों ने मांझी के नेतृत्व में बगावत की थी उनमें भीम सिंह भी एक नेता थे. लेकिन मांझी के सीएम पद से हटने के बाद भीम सिंह राजनीति के पर्दे से गायब हो गए थे. ये वही भीम सिंह हैं जिन्होंने देश के सैनिकों के लिए अगस्त 2013 में विवादित बयान दिया था.

तब एक चैनल के रिपोर्टर से भीम सिंह ने कहा था कि सेना की नौकरी सैनिक शहीद होने के लिए ही करते हैं. बाद में भीम सिंह की काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी. तब भीम सिंह नीतीश के खास लोगों में शामिल थे. उस वक्त कश्मीर में पाकिस्तान की गोली से बिहार के पांच सैनिक शहीद हुए थे और नीतीश कुमार सहित उनके मंत्री पटना में शहीदों के शव पहुंचने पर एयरपोर्ट नहीं गये थे.

इस कदम को शहीदों का अपमान माना गया था. तब नीतीश दिल्ली में थे. बाद में उन्होंने अपने मंत्रियों को शहीदों के घर जाने को कहा था. भीम सिंह अति पिछड़ी जाति से आते हैं. गया जिले के रहने वाले भीम सिंह ने लालू-नीतीश के साथ पटना यूनिवर्सिटी से छात्र राजनीति की शुरुआत की थी. 1994 में जब नीतीश कुमार ने समता पार्टी का गठन किया था तब भीम सिंह पार्टी की युवा इकाई के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे.

विधान परिषद के सदस्य रह चुके भीम सिंह निष्ठा बदलने में भी माहिर रहे हैं. इससे पहले वो नीतीश से मतभेद की वजह से लालू की पार्टी में भी जा चुके हैं. नीतीश-मांझी विवाद में भीम सिंह ने मांझी का साथ दिया था. एक वक्त ऐसा भी था जब भीम सिंह को नीतीश कुमार का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जा रहा था. भीम सिंह का कद बढ़ाने के लिए नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा, भगवान सिंह कुशवाहा जैसे बड़े नेताओं का कद कम कर दिया था.

पिछले महीने जब चुनाव का एलान हो रहा था तब भीम सिंह महाराष्ट्र भ्रमण पर थे. मैंने उनसे पूछा था कि चुनाव छोड़कर कहां घूम रहे हैं तो भीम सिंह ने तब कहा था कि वो पर्यटन करने आए हैं. 7 अक्टूबर को उन्होंने पहले चरण के चुनाव से पहले फेसबुक पर पूछा था कि चुनाव में किस गठबंधन की स्थिति मजबूत है ? तब भीम सिंह ने खुद को जमीनी हकीकत की जानकारी से दूर बताते हुए फॉलोअर्स से ये सवाल पूछा था.

इस सवाल के पंद्रह दिन बाद भीम सिंह बीजेपी में शामिल हुए हैं. इस बीच दो चरणों का चुनाव भी हो चुका है. भीम सिंह के इस फैसले को राजनीति के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है. नीतीश सरकार में पंचायती राज मंत्री रहते हुए भीम सिंह ने कई कड़े और बड़े फैसले लिये थे. भीम सिंह के फैसलों का ही नतीजा है कि नीतीश कुमार बिहार में पंचायती राज की कामयाबी की दुहाई देते फिरते हैं.

भीम सिंह ने सरकारी बैठकों में महिला मुखिया और महिला पंचायत समिति सदस्य के पतियों को भाग लेने पर रोक लगा दी थी. पहले महिला जन प्रतिनिधि की जगह उनके पति सरकारी फोन रिसीव करते थे भीम सिंह ने इस पर भी रोक लगा दी थी.

 

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