जन्म के दो साल बाद बच्ची ने चखा दूध, ऑपरेशन कर बनाई गई आहार नली

लखनऊ। झासी निवासी बच्ची में आहार नली (ईसोफेगस) विकसित नहीं थी। ऐसे में डॉक्टरों ने खाने की थैली में ट्यूब डालकर उसे सीधे फीडिंग दी। वहीं, दो वर्ष बाद बच्ची में सुधार होने पर ऑपरेशन कर उसकी आहार नली बना दी। जन्म के दो साल बाद बच्ची को मुंह से दूध पीता देख परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। झासी के गाव किसान मंडी निवासी गुनगुन का जन्म 13 अप्रैल 2016 को हुआ था। मा के दूध पिलाते ही उसे खासी आने लगी। चम्मच से दूध देने पर बच्ची ने उल्टी कर दी। ऐसे में स्थानीय डॉक्टरों ने उसे केजीएमयू रेफर कर दिया। संस्थान के डॉ. जेडी रावत ने बच्ची के गले में ट्यूब डालकर एक्स-रे कराया। तब पता चला कि उसमें गले के नीचे से आहार नली विकसित ही नहीं है। वहीं बच्ची कम दिन की होने की वजह से मेजर ऑपरेशन संभव नहीं था। लिहाजा, उसके शरीर मेंट्यूब डालने का फैसला किया गया।

आहार नली बनाकर चार माह बाद जोड़ा

ट्यूब से फीडिंग पर रहकर बच्ची में कुछ सुधार हुआ। ऐसे में ऑपरेशन का फैसला लिया गया। सात मार्च 2018 को गुनगुन के पेट में खाने की थैली का हिस्सा ग्रेटर करवेचर रक्त वाहिका समेत निकालकर आहार नली बनाई गई। इसके बाद सीने के नीचे टनल बनाकर डायलेटर डाला गया। जगह बनने पर बनाई गई आहार नली को अंदर ही रख दिया। इसके बाद 26 जुलाई को गले के पास अर्धविकसित आहार नली से इसे जोड़ दिया गया। गुनगुन को शनिवार को पहली बार मुंह से दूध पिलाया गया। यह देखकर उसके परिजन काफी खुश हैं। निजी अस्पताल में चार लाख में होने वाली सर्जरी 35 हजार में हो गई। ऑपरेशन टीम में डॉ. सुधीर व डॉ. गुरमीत शामिल रहे। गले व पेट में पड़ी रही ट्यूब:

डॉ. रावत ने बताया कि गुनगुन के गले में मौजूद अर्ध विकसित आहार नली (सर्वाइकल इसोफेगस)के पास चीरा लगाया गया। इसमें ट्यूब डालकर बाहर कर दिया गया ताकि लार व अन्य गंदगी बाहर निकालती रहे। वहीं दूसरी ट्यूब पेट के पास चीरा लगाकर बाहर की गई। इसमें परिजन उसे डायरेक्ट दूध देते रहे। प्रोसीजर का यह पहला स्टेप 17 अप्रैल 2016 को हुआ था। इसके बाद परिजन ने बच्ची को 10 एमएल, 15 एमएल फिर 100 एमएल दूध देना शुरू किया।

 

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