जन्‍मदिन पर यूपी की सड़कों पर दिखी शिवपाल यादव की ‘ताकत’, भाई-भतीजा गायब

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव के जन्‍मदिन के मौके पर उनके समर्थकों ने उत्‍तर प्रदेश की सड़कों पर अपनी ताकत दिखाई। पूरे लखनऊ में उनके समर्थकों ने ढेरों पोस्‍टर लगाए थे। जिसमें समाजवादी पार्टी की अंदरूनी कलह खुलकर सामने आई। जहां इन पोस्‍टरों में एक ओर शिवपाल यादव छाए हुए थे वहीं दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव पूरी तरह नदारद दिखे। इन पोस्‍टरों में किसी दूसरे बड़े नेता का नाम तक नहीं लिया गया था। वहीं सोमवार को शिवपाल यादव अपने जन्‍मदिन पर अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद लेने भी पहुंचे। हालांकि उनकी बातों से लग रहा था कि समाजवादी पार्टी और परिवार का झगड़ा अब शांत हो चुका है। इस मौके पर शिवपाल यादव ने कहा कि परिवार के एक होने में ही सभी की भलाई है। उन्‍होंने किसी और दल के साथ जाने और अपनी पार्टी बनाए जाने की खबरों का भी खंडन किया।

यानी जहां मुलायम सिंह यादव से मुलाकात के बाद शिवपाल यादव परिवार में एकता की पैरवी करते दिखे वहीं दूसरी ओर इसके उलट सड़कों पर लगे पोस्‍टर कुछ और ही बयां कर रहे थे। शिवपाल को बधाई देने वाले जितने भी पोस्‍टर लखनऊ और प्रदेश की दूसरी सड़कों पर लगे हुए थे उसमें एक भी पोस्‍टर में ना तो मुलायम सिंह यादव थे और ना ही अखिलेश यादव। इन नेताओं की फोटो तो दूर शिवपाल समर्थकों ने इनका नाम तक पोस्‍टर में लिखना मुनासिब नहीं समझा। समर्थकों की तनातनी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसी भी पोस्‍टर में समाजवादी पार्टी का भी जिक्र नहीं किया गया था। यानी शिवपाल को बधाई संदेश देने वाले इन पोस्‍टरों में समाजवाद भी पूरी तरह गायब था। प्रदेश का पोस्‍टर वार ये बताने के लिए काफी है कि ना तो समाजवादी पार्टी में सबकुछ ठीक हुआ है और ना ही मुलायम परिवार में।

दरअसल, समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव का झगड़ा उस वक्‍त शुरु हुआ था जब अखिलेश यादव उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री हुआ करते थे। विधानसभा चुनाव आते-आते परिवार का ये झगड़ा अपने पूरे शबाब पर था। अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष के पद से हटाते हुए पार्टी और पद पर कब्‍जा कर लिया था। उस वक्‍त मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव एक थे। उत्‍तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी पर इस रार का काफी असर देखने को मिला था। मुलायम और शिवपाल ने चुनाव से दूरी बना ली थी। क्‍योंकि टिकट बंटवारे में भी सिर्फ अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव की ही चली थी। इसके बाद शिवपाल यादव ने प्रदेश में समाजवादी पार्टी की करारी हार का ठीकरा अखिलेश यादव के सिर ही फोड़ा था। लेकिन, विवाद फिर भी शांत नहीं हुआ था।

बीच में तो शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी छोड़कर अपनी नई पार्टी के गठन का एलान तक कर चुके थे। हालांकि उन्‍होंने अब तक अपनी पार्टी नहीं बनाई है। अब वो कहते हैं कि परिवार के एक होने में ही सबकी भलाई है। लेकिन, शिवपाल के समर्थक शायद नहीं चाहते हैं कि वो अब इस मामले में यू टर्न लें। क्‍योंकि उनके समर्थक शिवपाल यादव की ताकत अखिलेश यादव के सामने दिखाना चाहते हैं। तभी तो शायद मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के नदारदगी वाले पोस्‍टर अखिलेश यादव के घर के पास भी लगवाए गए। ताकि वो भी देख लें कि शिवपाल के समर्थक क्‍या चाहते हैं। बहरहाल, पार्टी में अंदरखाने क्‍या चल रहा है कह पाना मुश्किल है। लेकिन, इतना जरुर है कि समाजवादी पार्टी का ये भूचाल काफी दिनों से थमा है। काई नया विवाद और नई बयानबाजी नहीं हो रही है। लेकिन, इसका ये कतई मतलब नहीं है कि पार्टी और परिवार में सबकुछ ठीकठाक है।

 

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