जब राजीव गांधी से गृह मंत्री मिलने आए, लेकिन PM ने कैबिनेट सेक्रेट्री से बैठे रहने को कहा

नई दिल्‍ली। कई सेवानिवृत्‍त नौकरशाहों के सेवाकाल के अनुभवों के संकलन के तौर पर आई किताब ‘मेमोरी क्लाउड्स’ में कई रोचक किस्‍सों को साझा किया गया है. इसी कड़ी में एक किस्सा पूर्व कैबिनेट सचिव बीजी देशमुख से भी जुड़ा है. कैबिनेट सचिव की हैसियत से देशमुख ने जब नई दिल्ली के 7, रेस कोर्स रोड में हुई अपनी पहली कैबिनेट बैठक में हिस्सा लिया तो उस वक्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री के पद पर थे.

बीजी देशमुख ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया, ‘‘मैं उनके (प्रधानमंत्री) बाईं तरफ बैठा हुआ था कि तभी गृह मंत्री बूटा सिंह आए और मैं अपनी कुर्सी से उठने लगा ताकि वह बैठ सकें. लेकिन, राजीव गांधी ने तुरंत मुझसे कहा कि आप बैठे रहिए.’’ उन्होंने आगे बताया, ‘‘राजीव ने मुझसे कहा कि कैबिनेट सचिव हमेशा प्रधानमंत्री के बगल में बैठता है.’’ इस वाकये से देशमुख काफी सहज हो गए.

बाद में एक अन्य कैबिनेट बैठक में उन्होंने तत्कालीन नागरिक आपूर्ति मंत्री एचकेएल भगत की टिप्पणी से असहमति जताते हुए एक टिप्पणी कर दी. बकौल देशमुख, ‘‘भगत ने कहा कि खुले बाजार में एक खास कीमत पर प्रचुर मात्रा में चीनी उपलब्ध है. लेकिन मैंने कहा कि (दिल्ली में) एक दुकान के अलावा चीनी कहीं उपलब्ध नहीं है और कीमत भी भगत की ओर से बताई गई कीमत से कहीं ज्यादा है.’’

indira gandhi

आरके धवन ने किया था इंदिरा गांधी के फैसले का विरोध
कांग्रेस के दिवंगत नेता आरके धवन को यूं तो लोग पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेहद भरोसेमंद सहायक और आपातकाल के दौरान सरकारी फरमानों को लागू कराने वाले अगुआ के तौर पर जानते हैं, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब धवन इंदिरा के एक फैसले के विरोध में उतर आए थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जब अपने निजी सचिव (पीएस) के पद से रिटायर हुए एसके मिश्रा को भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) का प्रमुख बनाना चाहती थीं तो धवन ने इस कदम का विरोध किया था.

करीब 700 पन्नों की इस किताब के मुताबिक, धवन ने तत्कालीन पर्यटन मंत्री से कहा कि वह आईटीडीसी प्रमुख पद पर मिश्रा की नियुक्ति की फाइल दबाकर बैठ जाएं. उन्होंने मिश्रा के कैडर राज्य हरियाणा के मुख्यमंत्री बंसी लाल से भी कह दिया कि वह उन्हें विरमित (रिलीव) ही न करें. मिश्रा ने जब इस पूरे वाकये की जानकारी प्रधानमंत्री को दी तो उन्होंने उनसे कहा कि वह प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में संयुक्त सचिव के तौर पर अपनी सेवाएं दें. धवन के लिए यह संकेत पर्याप्त था. संयुक्त सचिव के तौर पर मिश्रा पीएमओ में धवन के वरिष्ठ अधिकारी हो जाते. इस शर्मिंदगी से बचने के लिए धवन ने आईटीडीसी के प्रमुख के तौर पर मिश्रा की नियुक्ति वाली फाइल तुरंत मंजूर करा दी.

‘मेमोरी क्लाउड्स’ में सेवानिवृत नौकरशाह शंकर सरन ने भी अपना अनुभव साझा करते हुए बताया है कि महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) का जन्म कैसे हुआ. सर्वश्रेष्ठ मीडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रकाशित ‘मेमोरी क्लाउड्स’ में देश के वरिष्ठ प्रशासनिक, पुलिस एवं राजस्व संबंधी पदों पर रह चुके कई नामचीन अधिकारियों के किस्से हैं. इस किताब में इन नौकरशाहों ने सरकारी सेवा के दौरान के अपने अच्छे-बुरे अनुभव साझा किए हैं.

 

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