जब सोमनाथ बाबू ने कहा, ‘अपनी ही पार्टी CPM के नेता प्रकाश करात की वजह से नहीं बन सका राष्‍ट्रपति’

नई दिल्ली। माकपा (सीपीएम) नेता सोमनाथ चटर्जी जब यूपीए-1 (2004-2009) के कार्यकाल में लोकसभा के स्‍पीकर थे तो उस दौरान उनकी अपनी पार्टी से रिश्‍ते सहज नहीं रह गए थे. दरअसल अमेरिका से परमाणु समझौते के मसले पर यूपीए को बाहर से समर्थन दे रहे माकपा ने समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया था. उसके बाद सीपीएम के तत्‍कालीन महासचिव प्रकाश करात ने उनसे कहा कि वह स्‍पीकर का पद छोड़ दें. लेकिन सोमनाथ चटर्जी ने कहा कि वह इस पद को ग्रहण करने के साथ ही दलगत राजनीति से ऊपर उठ चुके हैं. लिहाजा वह पद नहीं छोड़ेंगे. इस पर माकपा ने अपनी ही पार्टी के सबसे दिग्‍गज नेता सोमनाथ चटर्जी को 2008 में  दल से बाहर निकाल दिया.

उसके बाद माकपा और प्रकाश करात से संबंधों में आई खटास के मुद्दे पर पिछले साल 25 जुलाई को अपने जन्‍मदिन के मौके पर सोमनाथ चटर्जी ने पश्चिम बंगाल के अखबार ‘आज कल’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि वह देश के राष्ट्रपति बन सकते थे. लेकिन उस समय के सीपीएम महासचिव प्रकाश करात ने ऐसा होने नहीं दिया.

साल 2007 के राष्ट्रपति चुनाव का जिक्र करते हुए सोमनाथ चटर्जी ने कहा कि “मैं उस समय लोकसभा स्पीकर था, तब जेडीयू नेता शरद यादव मुझसे मिले, वो चाहते थे कि मैं राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्याशी बनूं. मुझे पता चला कि उन्हें कांग्रेस पार्टी की तरफ से भेजा गया है.” सोमनाथ चटर्जी ने कहा “उस समय कांग्रेस और जेडीयू के अलावा बीजू जनता दल, शिरोमणि अकाली दल और डीएमके ने भी मुझे समर्थन देने की बात कही थी, लेकिन मैंने शरद यादव को कहा कि आप पहले सीपीएम लीडरशिप से बात करें.”

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                                          सोमनाथ चटर्जी ने 2008 में भारत-यूएस न्यूक्लियर डील के चलते यूपीए-1 से सीपीएम के समर्थन वापस लेने की भी आलोचना की थी.(फोटो: यूट्यूब ग्रैब)

सोमनाथ चटर्जी ने इंटरव्यू में बताया कि “उस समय इस प्रस्ताव के लिए तात्कालीन सीपीएम महासचिव प्रकाश करात ने मना कर दिया. अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता, तो मैं राष्ट्रपति बन गया होता, क्योंकि बीजेपी ने किसी भी प्रत्याशी को राष्ट्रपति चुनाव में उतारने का ऐलान नहीं किया था.” लोकसभा के पूर्व स्पीकर ने कहा कि कुछ दिनों बाद प्रकाश करात मुझसे मिलने आए और बोले “सीपीएम ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए किसी भी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव नहीं दिया है.”

‘ज्योति बसु को प्रधानमंत्री बनाने में भी बाधा बने थे करात’
सोमनाथ चटर्जी ने कहा कि प्रकाश करात ने केवल मेरे राष्ट्रपति बनने में ही बाधा नहीं उत्पन्न की थी. उन्होंने वरिष्ठ सीपीएम नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व सीएम ज्योति बसु के प्रधानमंत्री बनने से भी रोका था. उन्होंने कहा कि दोनों मामलों की तुलना करें तो मेरा केस काफी छोटा है. सिर्फ इतना ही नहीं सोमनाथ चटर्जी ने 2008 में भारत-यूएस न्यूक्लियर डील के चलते यूपीए-1 से सीपीएम के समर्थन वापस लेने की भी आलोचना की थी.

10 बार लोकसभा सदस्‍य रहे सोमनाथ चटर्जी…
1. सोमनाथ चटर्जी का जन्‍म 25 जुलाई, 1929 में असम के तेजपुर में हुआ था. उनके एक लड़का और दो बेटियां हैं. वह परिवार समेत कोलकाता में रहे.

2. सोमनाथ चटर्जी की पढ़ाई-लिखाई कोलकाता में हुई. 1952 में उन्‍होंने बीए किया. 1957 में उन्‍होंने एमए किया. यह दोनों ही कानून की पढ़ाई थी. उन्‍होंने राजनीति में आने से पहले कलकत्‍ता हाईकोर्ट में वकालत भी की.

3. सोमनाथ चटर्जी 1968 से 2008 तक माकपा के सदस्‍य रहे. 1971 में वह पहली बार चुनाव लड़कर लोकसभा में बतौर सांसद बनकर पहुंचे. वह दस बार लोकसभा के सदस्‍य रहे. उन्‍होंने 1989 से 2004 तक लोकसभा में अपनी पार्टी का नेतृत्‍व किया.

4. सोमनाथ चटर्जी 2004 से 2009 के बीच लोकसभा के अध्यक्ष रहे. उनकी पार्टी माकपा ने संप्रग-1 सरकार से समर्थन वापस ले लिया. हालांकि उन्‍होंने लोकसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से उनके इनकार कर दिया था. इसके बाद 2008 में उन्हें माकपा से निष्कासित कर दिया गया.

5. माकपा से निष्‍कासित किए जाने की घटना को उन्‍होंने अपनी जिंदगी का सबसे बुरा दिन बताया था. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य में लोकसभा स्‍पीकरों को अपने दलों से इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि वह उस कार्यालय में सेवा कर सकें ताकि वह गैर-पक्षपातपूर्ण छवि बनाए रखने में कामयाब हो सके.

 

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