जब BJP फायरब्रांड नेता विनय कटियार ने SP नेता मुलायम सिंह यादव के छुए पांव…
लखनऊ। सियासत में भले ही विचारधारा के आधार पर एक-दूसरे के खिलाफ सियासी जंग लड़ी जाती हो लेकिन ऐसा भी होता है कि जब धुर विरोधी दलों के नेता मिलते हैं तो राजनीतिक शिष्टाचार का पूरी तरह से पालन किया जाता है. इसकी बानगी बुधवार को बजट सत्र के दौरान संसद परिसर के बाहर देखने को उस वक्त मिली जब सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव संसद से बाहर निकल रहे थे तो उस वक्त बीजेपी के कद्दावर नेता विनय कटियार भी वहां उपस्थित थे. बस फिर क्या था, शिष्टाचार दिखाते हुए विनय कटियार ने मुलायम सिंह यादव के पैर छुए. मुलायम सिंह यादव ने उनको आशीर्वाद भी दिया. दोनों नेताओं ने एक दूसरे की कुशल-क्षेम पूछी. उस वक्त मुलायम सिंह के साथ सपा नेता और सांसद धर्मेंद्र यादव भी वहां उपस्थित थे. हालांकि ये अलग बात है कि यूपी की सियासत में ये दोनों दिग्गज नेता अलग-अलग राजनीतिक विचाराधारा की नुमाइंदगी करते हैं. उल्लेखनीय है कि विनय कटियार बीजेपी के राज्यसभा सदस्य के रूप में रिटायर हो रहे हैं.
राज्यसभा सदस्यों की विदाई
उल्लेखनीय है कि बुधवार को राज्यसभा ने सेवानिवृत्त हो रहे अपने करीब 60 सदस्यों को विदाई दी और इस मौके पर सभापति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सदन के नेता अरूण जेटली तथा विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने उनके योगदान की सराहना की तथा उनके बेहतर भविष्य की कामना की. इस दौरान कई सदस्यों ने सदन में अक्सर होने वाले हंगामे पर अफसोस जताया. जिन सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उनमें उपसभापति पी जे कुरियन, सदन के नेता अरूण जेटली, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के अलावा मनोनीत सदस्य रेखा तथा सचिन तेंदुलकर भी शामिल हैं. हालांकि जेटली और प्रसाद सहित कई सदस्य उच्च सदन के लिए पुन:निर्वाचित हुए हैं.
उच्च सदन में 16 दिनों से जारी गतिरोध के बाद आज सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चली तथा सदन ने अवकाशग्रहण कर रहे सदस्यों को विदाई दी. सभापति नायडू ने विदा हो रहे सदस्यों के योगदान की चर्चा की और कहा कि चर्चाओं में उनके भाग लेने से चर्चा का स्तर ऊंचा हुआ. उन्होंने उपसभापति पी जे कुरियन और पूर्व उपसभापति रहमान खान का खास तौर पर जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में कोई सेवानिवृत्त नहीं होता.
उन्होंने सदन में व्यवधान पर अफसोस जताया और सुचारू कार्यवाही पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि यहां तमाम क्षेत्र के विशेषज्ञ यहां होते हैं. उनके अनुभव से लाभ उठाया जाना चाहिए. उन्होंने सदन में महिला सदस्यों की संख्या कम होने का भी जिक्र किया और राजनीतिक दलों से आह्वान किया कि उन्हें महिलाओं के पर्याप्त प्रतिनिधित्व पर गौर करना चाहिए.
उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि राजनेता कभी सेवानिवृत्त नहीं होते और वे यहां से अवकाशग्रहण करने के बाद कोई और महत्वपूर्ण कार्य में लगे रहेंगे. कुरियन ने भी सदन में हंगामा पर अफसोस जताया और कहा कि वह 1980 के दशक में संसद सदस्य बने थे. उसके बाद से संसद की कार्यवाही के स्तर में गिरावट आयी है. उस समय विरोध जताने के लिए सदस्य सदन से बाहर (वाकआउट) चले जाते थे लेकिन अब वे आसन के समीप आ जाते हैं.
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी उनके योगदान की चर्चा की और यह यह जुदाई का नहीं विदाई का क्षण है और वह भी इस सदन से विदाई हो रही है. उन्होंने कहा कि ऐसे सदस्यों से भी मुलाकातें होती रहेंगी. जारी
पीएम नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा के सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को उनके आगे के जीवन के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सदन में हंगामे के कारण वे तीन तलाक पर रोक विधेयक जैसे ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण फैसलों पर निर्णय की प्रक्रिया में हिस्सा लेने से वंचित रह गए. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि कुछ साथी इस अनुभव को लेकर समाज सेवा में अपनी भूमिका को और मजबूत करेंगे. उन्होंने कहा कि अवकाशग्रहण कर रहे महानुभावों में से हर एक का अपना योगदान रहा है और हर किसी ने राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रयास किया है. राष्ट्र उनके योगदान को कभी भूल नहीं सकता. उन्होंने सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को उत्तम सेवा के लिए बधाई और उनके भविष्य के जीवन के लिए शुभकामनाएं दी. उच्च सदन के महत्व का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि यहां जो बात बतायी जाती है, उसका लोकतंत्र में एक विशेष महत्व है और जो नीति निर्धारण में खास भूमिका निभाता है.
उन्होंने अपने संबोधन में उपसभापति पी जे कुरियन, मनोनीत सदस्यों के पराशरन, दिलीप तिर्की तथा सचिन तेंदुलकर का खास तौर पर जिक्र किया और कहा कि आने वाले दिनों में हमें उनका साथ नहीं मिलेगा. कुरियन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा हमेशा याद किया जाएगा. मोदी ने कहा कि कुरियन ने संकट की घड़ी में भी सदन को ठीक से चलाया. उन्होंने कहा कि अधिकतर सदस्य राजनीतिक विचारधारा के लोग है. ऐसे में स्वाभाविक है कि उन बातों को प्रतिस्थापित करने का प्रयास करेंगे. लेकिन यह जरूरी नहीं है कि ग्रीन हाउस में जो होता हो, वह रेड हाउस में भी हो.
उन्होंने कहा कि कई सदस्यों ने सोचा होगा कि अपने आखिरी सत्र में वह कुछ विषय उठाएंगे. लेकिन हंगामे के कारण वह ऐसा नहीं कर पाए. उन्होंने कहा कि इस संबंध में हम सब की जिम्मेदारी बनती है. उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि उन्हें उत्तम चीजें छोड़कर जाने का अवसर मिलता लेकिन वह सौभाग्य से वंचित रह गए. उन्होंने कहा कि सदस्य तीन तलाक पर रोक जैसे विधेयक पर फैसले की प्रक्रिया से वंचित रह गए. इस बात की उन सदस्यों को कसक रहेगी क्योंकि ये फैसले ऐतिहासिक महत्व के हैं और इन्हें याद किया जाएगा.
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :
कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:
हमें ईमेल करें : [email protected]