जामिया के पोस्टर गैंग का दोगलापन !!!

प्रखर श्रीवास्तव

इन दोनों लड़कियों की जेहादी मानसिकता तो इनके सोशल मीडिया एकाउंटस के ज़रिए सारी दुनिया के सामने आ ही चुकी है… और शाहीन अब्दुल्ला भी पूरी तरह से उसी लाइन पर है…शाहीन का फेसबुक एकाउंट भी जेहादी विचारों से भरा हुआ है… 14 दिसंबर की रात करीब ढाई बजे शाहीन अपने फेसबुक पर लिखते हैं कि – “If India is turning into Zionist state. Jamia has began our Intifada. Insha Allah. Inquilab.” … मतलब शाहीन के मुताबिक भारत जायोनिस्ट राज्य बन रहा है और इसीलिए जामिया में इंतिफादा शुरु हो चुका है… “जायोनिस्ट” एक लंबी विचारधारा है इस पर बाद में बात करेंगे, पहले “इंतिफादा” का मतलब समझ लीजिए… अरबी भाषा में इंतिफादा का मतलब होता है किसी से “छुटकारा पाना”… और इसीलिेए इज़रायल से छुटकारा पाने के लिए जो फिलिस्तीनी लोग इजरायली सुरक्षाकर्मियों पर पत्थर फेंकने वाला आंदोलन करते हैं उसे इंतिफादा कहा जाता है… मतलब साफ है कि रविवार और सोमवार की रात ही शाहीन ने मान लिया था कि जामिया से पुलिस पर पत्थर फेंके जा रहे हैं…

खैर अब आते हैं भारत को “जायोनिस्ट स्टेट” कहने के बयान पर… दरअसल दुनियाभर में सताए गए यहूदियों को एक जगह बसाने या कहें कि उनके लिए एक राष्ट्र की मांग के लिए जो आंदोलन शुरु हुआ उसे जायोनिस्ट आंदोलन कहा गया… इसका एक बहुत लंबा इतिहास है कम में इतना समझ लीजिए कि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान दुनियाभर के सताए यहूदी फिलिस्तीन की उस धरती पर पहुंचने लगे जिसे वो अपने पूर्वजों की धरती मानते थे… 1948 में यहूदियों का जायोनिस्ट आंदोलन सफल हुआ और इस तरह इजरायल की स्थापना हुई… इजरायल से नाराज़ हुए 7 मुस्लिम अरब मुल्कों ने तत्काल उस पर हमला बोल दिया जिसे पहला अरब-इज्रायल युद्ध कहा जाता है… अरब के मुसलमानों के समर्थन ने पाकिस्तान सरकार ने भी अपने लड़ाकू योद्धा वहां भेजे थे… लेकिन “अफसोस” सारे अरब के मुसलमान मिलकर भी नये नवेले छोटे से देश इज्राइयल का बाल भी बांका नहीं कर पाए और अपनी आबरू और फिलिस्तीन को लुटाकर बिल में जाकर छुप गए… यही वजह है कि दुनियाभर के मुसलमानों को इज़रायल और यहूदियों के नाम से मिर्ची लगती है… इनके अरब वाले “अब्बा” अब तक इज़रायल से 6 युद्ध हार चुके हैं… अभी अक्टूबर की ही बात है जब इजराइल को लेकर दिल्ली के इसी जामिया में करीब 10 दिन तक तोड़फोड़ हुई थी, जिसके बारे में मैंने तब लिखा भी था।

खैर अब फिर आते हैं मुद्दे पर पर… शाहीन जैसी मानसिकता वालों से पूछना चाहिए कि नागरिकता कानून में संशोधन से भारत जायोनिस्ट स्टेट कैसे बन रहा है ??? क्या हम दुनियाभर के हिंदुओं को यहां बुला रहे हैं ??? क्या इन हिंदुओं को मुसलमानों के घर जमीन छीन कर बसा दिया जाएगा ??? नये कानून में सिर्फ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के केवल प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को जल्दी नागरिकता देने की बात है… लेकिन शाहीन जैसे जाहिलों को ये सब कहां समझ में आता है…
अगर दुनिया के इतिहास को समझा जाए तो वैसे भी जायोनिस्ट आंदोलन कोई पाप नहीं था… और ये बात मैं नहीं कह रहा… जायोनिस्ट आंदोलन का समर्थन उस महानायक ने किया था जिसे इंसानी दुनिया के आजतक के इतिहास का सबसे महानतम आंदोलनकारी माना जाता है… और उसका नाम था “डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग (जूनियर)”… चाहे इस देश के “इस्लामिया वाले जामिया” हो या “जेएनयू वाले वामिया”… मार्टिन लूथर से बड़ा नागरिक अधिकारों का आंदोलन चलाने वाला न कोई पैदा हुआ है और न होगा… ये वो मार्टिन लूथर किंग हैं जिनके आंदोलन से मशहूर हुए अंग्रेजी गीत we shall overcome का हिंदी तर्जुमा “हम होंगे कामयाब एक दिन” ये सारे वामिये और जामिये ढफली बजाकर गाते हैं… लेकिन मार्टिन लूथर किंग ने जायोनिस्ट आंदोलन के लिए क्या कहा था ये इनको नहीं पता… महान मार्टिन लूथर किंग ने कहा था कि – “जो जायोनिस्ट आंदोलन का समर्थन नहीं करता, वो अंदर से Anti Semitic (यानि हिटलर की मानसिकता) नफरत से भरा हुआ है”… अगर मार्टिन लूथर में आस्था रखते हो तो जान जाओ कौन हिटलर है और कौन नहीं !!!

तो जान लीजिए शाहीन अब्दुल्ला जैसे लोग आंदोलनकारी नहीं होते बल्कि कट्टर जेहादी मानसिकता के झंडाबरदार होते हैं… सिर्फ अंग्रेज़ी वेबासाइट में पत्रकार और अंग्रेजी में पोस्ट लिखने से कोई लिबरल नहीं हो जाता… दरअसल शाहीन की फेसबुक के सारे पोस्ट (कमेंट बॉक्स में जाकर देखें) पढ़ने के बाद ये जाहिर हो जाता है कि उसे नागरिकता संशोधन बिल से कोई लेना देना नहीं था बल्कि उसकी असली खुंदक ये थी कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बाबरी मस्जिद के हक में नहीं आया, तभी वो अपनी एक पोस्ट में सुप्रीम कोर्ट के तीन गुंबदों में बाबरी मस्जिद का अक्स देखने लगता है… शाहीन अपनी पोस्ट में कश्मीर के लिए आंसू बहा रहा था क्योंकि वहां से 370 हटा दी गई, लेकिन उसे वो कश्मीरी पंडित कभी नहीं दिखे होंगे जो अपने ही घर में बेघर हो गये… शाहीन अपनी पोस्ट में औरतों के हिजाब पहनने का समर्थन करता है और दूसरी तरफ नागरिक अधिकारों की बात भी करता है… वो अपनी पोस्ट में रोहिंग्याओं के लिए रोता है, लेकिन उसे अफगानिस्तान के सिख नहीं दिखते… लेकिन सबसे हैरत तब होती है, जब वो जब अपनी एक पोस्ट में चीन के अल्पसंख्यक उइगर मुसलमानों के लिए छाती पीटता है… अरे भाई, चीन के मुसलमानों से इतना प्यार और पाकिस्तान के प्रताड़ित हिंदुओं से इतनी नफरत कि उन्हे इस देश का नागरिक भी नहीं बनने दोगे… मुझे समझ नहीं आता कि ये लोग इतना दोगलापन लाते कहां से हैं ???
ध्यान रखिए शाहीन अब्दुल्ला जैसे पोस्टर गैंग के सदस्यों की बातों में मत आइए… ये देश हम सबका है और हम सब यही पर मिलकर रहेंगे, यहां के किसी नागरिक को कोई नहीं निकाल सकता… अमन बनाए रखिए।
(वरिष्ठ पत्रकार प्रखर श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)

 

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