जेल जाएंगे AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ? कोर्ट ने पुलिस को दिया ATR के लिए वक्त
नई दिल्ली। हमेशा से किसी ना किसी विवाद में रहने वाले AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एक नए झमेले में पड़ गए हैं। इस बार उनकी मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कोर्ट में एक याचिका दी गई है। जिस पर स्थानीय अदालत ने अहम निर्देश दिया है। इस मामले में स्थानीय अदालत ने ओवैसी के खिलाफ एटीआर यानी एक्शन टेकन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए पुलिस को वक्त दिया है। पुलिस ने ही ओवैसी के खिलाफ एटीआर दाखिल करने के लिए कोर्ट ने थोडी और मोहलत की मांग की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस के इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया। लेकिन, माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
दरअसल, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ देशद्रोह और देश के विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता पैदा करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मनीष मरकान ने दिल्ली पुलिस को एक्शन टेकन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए वक्त दे दिया। इस मामले की अब अगली सुनवाई पांच मार्च को होगी। पांच मार्च तक पुलिस को भी कोर्ट के समक्ष एटीआर दाखिल करनी होगी। यानी दिल्ली पुलिस को पांच मार्च तक ये बताना होगा कि उसने इस मामले में ओवैसी के खिलाफ क्या कार्रवाई की। क्योंकि उनके खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है ऐसे में पुलिस इस केस में हीलाहवाली भी नहीं कर सकती है।
दरसअल, नार्थ-ईस्ट दिल्ली के करावल नगर पुलिस थाने की पुलिस ने अक्तूबर महीने में कोर्ट में एक अर्जी दायर कर कहा था कि इस केस को देख रहे उप निरीक्षका का तबादला हो गया। जिसके बाद ये केस किसी अन्य अधिकारी के सुपुर्द किया गया। इन हालात में दिल्ली पुलिस ने इस केस में कोर्ट से आगे की जांच के लिए और वक्त की मांग की थी। दरसअल AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ स्वराज जनता पार्टी के बृजेश चंद शुक्ला की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर कोर्ट ने पुलिस से इस मामले में एक्शन टेकन रिपोर्ट की मांग की थी। जिसमें ये पूछा जाता है कि पुलिस ने इस केस में क्या किया गया। बृजेश चंद शुक्ला ने आरोप लगाया था कि उन पर केस वापस लेने का भी दवाब बनाया जा रहा है।
बृजेश चंद शुक्ला ने AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ जो शिकायत दर्ज कराई थी उसमें सबूत के तौर पर उनके आपत्तिजनक बयान की रिकॉर्डिंग और अन्य जरुरी दस्तावेज भी सौंपे थे। क्योंकि इससे पहले पुलिस ने कहा था कि शिकायतकर्ता ने 13 मार्च को दिए ओवैसी के बयान की रिकॉर्डिंग मुहैया नहीं कराई है। बृजेश चंद शुक्ला ने अपनी याचिका में IPC की धारा 124 ए यानी देशद्रोह और 153 ए जिसमें धर्म, नस्ल आदि के आधार पर देश के अलग-अलग समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का मामला बनता है, के तहत कार्रवाई की मांग की थी। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर ये भी आरोप लगाए थे कि उनकी भारत के प्रति निष्ठा नहीं दिखती। जो देशद्रोह के तहत आता है।
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