जोरदार हमले की तैयारी: आर्मी, नेवी और एयर फोर्स मिलकर करेंगे काम

नई दिल्ली। किसी संघर्ष की स्थिति से ज्यादा प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए भारतीय सैन्य बलों ने एक साझा नीति या \’जॉइंट डॉक्टरिन\’ बनाया है। इसके तहत, आर्मी, नेवी और एयर फोर्स मिलकर काम करेंगे। इसका मकसद आने वाले वक्त में किसी पारंपरिक सैन्य हमले से लेकर हर किस्म की जंग के लिए खुद को बेहतर ढंग से तैयार करना है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि यह ‘जॉइंट डॉक्टरिन’ करीब 80 पन्नों का है। इसे औपचारिक तौर पर अगले हफ्ते रिलीज किया जाएगा। इसमें एकीकृत तरीके से ‘सैन्य ताकत के इस्तेमाल’ की जरूरत बताई गई है। बताया गया है कि इससे सेनाओं की सैन्य क्षमताएं तो बढ़ेंगी ही, साथ ही सीमित बजट होने के बावजूद संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल की वजह से ज्यादा मारक सैन्य जवाब दिया जा सकेगा। सूत्रों के मुताबिक, इस दस्तावेज में मिलकर योजना बनाने और उसके क्रियान्वयन का विस्तारपूर्वक खाका खींचा गया है।

इसमें जमीन, हवा, समुद्र और साइबर स्पेस में जंग लड़ने की एकीकृत मशीनरी बनाने की जरूरत पर जोर दिया गया है। यह दस्तावेज ऐसे वक्त में सामने आए हैं, जब काफी वक्त से तीनों सेनाओं के चीफ या चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद पर नियुक्ति और यूनिफाइड मिलिटरी कमांड बनाने की मांग उठ रही है। 1999 में कारगिल में हुई जंग के बाद से ही इस तरह के आइडिया पर विचार किया जा रहा है।

संयोग की बात है कि इस साल जनवरी में देहरादून में हुए कंबाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में इस विषय पर चर्चा भी हुई थी। इस बैठक में खुद पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे। माना जाता है कि अंतरिक्ष, साइबर स्पेस और स्पेशल ऑपरेशंस को लेकर एक जाइंट आर्मी ऑर्गनाइजेशन बनाने की बहुप्रतीक्षित योजना राजनीतिक और अफसरशाही स्तर पर उदासीनता की वजह से ठंडे बस्ते में है। व्यापक तरीके से संचालित होने वाले कमांड की स्थापना के प्रस्ताव पर महज खानापूरी करते हुए साइबर डिफेंसी एजेंसी, डिफेंस स्पेस एजेंसी और स्पेशल ऑपरेशंस डायरेक्टरेट की स्थापना कर दी गई।

जहां तक चीन का सवाल है, पड़ोसी मुल्क ने बेहद महंगा मिलिटरी स्पेस प्रोग्राम चला रखा है। चीन के पास स्पेशल साइबर वॉरफेयर यूनिट्स हैं। इसके अलावा, चीन ने पिछले साल अपने 23 साल पैदल सैनिकों की सेना को फिर से व्यवस्थित करते हुए उसे पांच थिअटर कमांड में बांट दिया। ऐसा करने का मकसद ज्यादा बेहतर ढंग से सैनिकों पर नियंत्रण और प्रभावशाली ढंग से ऑपरेशंस को अंजाम देना है।

वहीं, भारत की ओर से जल्द सामने आने वाले इस दस्तावेज को Joint Doctrine of the Indian Armed Forces – 2017 नाम दिया गया है। माना जा रहा है कि सैन्य तालमेल में कमी को दूर करने की दिशा में यह पॉजिटिव कदम होगा। इसे तीनों सेना के मुख्यालयों से सलाह-मशविरा करने के बाद इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टाफ ने तैयार किया है।

 

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