ट्रिपल तलाक : कब होश में आएगा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड? खुद को समझता है ‘शहंशाह’

लखनऊ। ट्रिपल तलाक के खिलाफ केंद्र सरकार का बिल लोकसभा से पास हो चुका है। अब इस बिल को राज्‍यसभा भेजा जाएगा। राज्‍यसभा से पास होते ही ट्रिपल तलाक के खिलाफ देश में कानून बन जाएगा और इस तरह के मामले में दोषी पाए जाने वाले शौहर को जेल की सजा तक भुगतनी पड़ सकती है। ट्रिपल तलाक का बिल पास होने के बाद जहां एक ओर मुस्लिम महिलाओं में खुशी की लहर है। वहीं दूसरी ओर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ अब भी इसके विरोध में हैं। ट्रिपल तलाक बिल पर आपत्ति जताते हुए पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है वो इसके खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। साथ ही बोर्ड का कहना है कि वो लोकतांत्रिक तरीके से इस विधेयक में ‘संशोधन, सुधार और हटाने’ के लिए कदम उठाएगा।

दरसअल, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को इस कड़े कानून के प्रावधानों पर आपत्ति है। उसे इस बात की तकलीफ है कि ट्रिपल तलाक देने वाले शख्‍स को जेल क्‍यों भेजा जाएगा। क्‍यों उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। इतना ही नहीं उसे तो इस बात पर भी दिक्‍कत है कि ट्रिपल तलाक बिल में तीन तलाक को आपराधिक क्‍यों बताया गया है। अब जरा सोचिए कि अगर बिल में इस तरह के कोई प्रावधान ही नहीं रहेंगे तो इस बिल का क्‍या मतलब होगा। केंद्र की मोदी सरकार नहीं चाहती थी कि वो ट्रिपल तलाक के खिलाफ बिल को कमजोर बनाए। वो चाहती है कि बिल ऐसा बने जिससे मिसाल पेश हो सके। इसी वजह से इसमें कड़ी सजा का प्रावधान है। जहां एक ओर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसका विरोध कर रहा है वहीं दूसरी ओर शिया वक्‍फ बोर्ड ने विधेयक का स्‍वागत किया है।

शिया वक्फ बोर्ड का कहना है कि ट्रिपल तलाक विधेयक में कड़ी सजा का प्रावधान होना ही चाहिए। ताकि ऐसा करने वालों को सबक मिल सके। केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित विधेयक में ट्रिपल तलाक का दोषी पाए जाने वाले पुरुष को तीन साल की कैद की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। जबकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसे पंगु कानून बनवाना चाहता है। उसका कहना है कि वो इसके लिए सरकार पर लोकतांत्रिक तरीके से दवाब भी बनाएगा। ताकि विधेयक में सुधार और संशोधन किया जा सके। हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ये भी साफ कर दिया है कि फिलहाल उनकी ओर से इस विधेयक के खिलाफ अदालत नहीं जाया जाएगा।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि विधेयक तैयार करने से पहले केंद्र सरकार को हमें पहले विश्‍वास में लेना चाहिए था। लेकिन, सरकार ने ऐसा नहीं किया। हालांकि इस विधेयक के खिलाफ अदालत में जाने को लेकर बोर्ड के सदस्‍यों में एक राय नहीं है। कुछ सदस्‍यों का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएंगे। जबकि कुछ कहते हैं वो सुप्रीम कोर्ट में इस बिल को चुनौती जरूर देंगे। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने ये संकेत दिए कि बोर्ड विधेयक के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक और गैर कानूनी बताने के बाद ही केंद्र सरकार ने इसके खिलाफ कानून बनाने की तैयारी की थी। अदालत ने ही सरकार को इस पर कानून बनाने को कहा था।

 

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