तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का निधन

j-jayalaithaaचेन्नै। तमिलनाडु की सीएम जे जयललिता का सोमवार देर रात को निधन हो गया। रविवार को उनकी हृदयगति रुक गई थी, जिसके बाद से विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक बड़ी टीम उनके इलाज में जुटी हुई थी। हर संभव कोशिश के बावजूद डॉक्टर उनकी जान नहीं बचा पाए। सोमवार रात 11.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। अपोलो अस्पताल ने प्रेस रिलीज जारी कर उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि की। ‘अम्मा’ के निधन के बाद तमिलनाडु में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है।

उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि से कुछ देर पहले ही अपोलो अस्पताल के बाहर हलचल तेज हो गई थी। AIADMK के नेताओं, पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों का अस्पताल से बाहर निकलने का सिलसिला शुरू हो गया था। अस्पताल के बाहर सुरक्षा को काफी बढ़ा दिया गया था। साथ ही जयललिता के आवास के बाहर भी सुरक्षा में इजाफा किया गया था। इन तमाम गतिविधियों को दुखद खबर का संकेत माना जा रहा था। रात 12 बजे के बाद अपोलो अस्पताल ने प्रेस रिलीज जारी कर जयललिता के निधन की जानकारी दी।

इसके पहले अपोलो अस्पताल ने रविवार को बयान जारी कर जया को कार्डिएक अरेस्ट होने की जानकारी दी थी। जयललिता को ECMO और दूसरे लाइफ सपॉर्ट सिस्टम्स पर रखा गया था। डॉक्टर लगातार उनके स्वास्थ्य पर नजर रखे हुए थे। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद जयललिता को बचाया नहीं जा सका। जयललिता को दिल का दौरा पड़ने के बाद उनकी सलामती के लिए पूरे देश से दुआओं का दौर जारी था। बता दें कि जया को बुखार और डिहाइड्रेशन की शिकायत के बाद 22 सितंबर को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।तमिलनाडु की राजनीति में ‘अम्मा’ के नाम से मशहूर जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1948 को एक रूढ़िवादी तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जन्म के समय जयललिता को उनकी दादी का नाम कोमलावल्ली दिया गया था। छह बार तमिलनाडु की सीएम रहीं जयललिता को शुरुआती लोकप्रियता एक नेता के तौर पर नहीं बल्कि ऐक्ट्रेस के तौर पर मिली थी। जयललिता ने चेन्नै में क्लासिकल म्यूजिक, वेस्टर्न क्लासिकल पियानो और कई तरह के क्लासिकल डांस की ट्रेनिंग ली थी। तमिल सिनेमा में नाम कमा चुकीं जयललिता का राजनीतिक करियर 1982 में शुरू हुआ। दक्षिण भारत की राजनीति के आइकॉन और AIADMK के संस्थापक मरुदुर गोपालन रामचंद्रन (MGR) 1982 में इस खूबसूरत हिरोइन को राज्य की राजनीति में लेकर आए थे।

1987 में एमजीआर की मृत्यु ने तमिलनाडु की राजनीति के साथ-साथ AIADMK के भीतर भी भूचाल ला दिया। पार्टी जयललिता और एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन के बीच दो हिस्सों में टूट गई। वर्चस्व की यह लड़ाई इतनी भयानक हुई कि जयललिता को उनके राजनीतिक अभिभावक एमजीआर के अंतिम संस्कार में शामिल भी नहीं होने दिया गया।

AIADMK में कई उतार-चढ़ाव के बाद भी जयललिता तमिलनाडु की राजनीति में कद्दावर नेता बनकर उभरीं। जयललिता 1991 में पहली बार कांग्रेस की मदद से तमिलनाडु की सबसे कम उम्र की सीएम बनीं। इसके बाद जयललिता ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2016 के विधानसभा चुनावों में जयललिता ने सत्ता परिवर्तन की परिपाटी को ध्वस्त कर दिया था और जयललिता के नेतृत्व में AIADMK ने कांग्रेस और डीएमके के गठबंधन को धूल चटा 134 सीटें जीतने में सफलता पाई थी। जीत के बाद जयललिता छठी बार राज्य की सीएम बनी थीं।


(अपोलो अस्पताल की प्रेस रिलीज)

 

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