तीन तलाक़: SC में सलमान खुर्शीद बोले- औरत को मिले तलाक देने का हक, निकाह में ही रखी जाए शर्त

नई दिल्ली।  तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन भी सुनवाई जारी है.  कोर्ट के मित्र वकील सलमान खुर्शीद ने कहा है कि खुदा की नजर में तलाक गलत है. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो गलत है वो कानून कैसे हो सकता है?

सुनवाई के पहले दिन जजों ने कहा था कि वो ये देखना चाहेंगे कि तीन तलाक इस्लाम का मौलिक हिस्सा है या नहीं. कोर्ट ने ये भी कहा कि वो मुस्लिम मर्दों को मिली चार शादी की इजाज़त पर फ़िलहाल सुनवाई नहीं करेगा.

LIVE UPDATES-

  • जेठमलानी की दलीलें खत्म. वरिष्ठ वकील नित्या रामकृष्णन बोल रही हैं
  • फोरम फॉर अवेयरनेस ऑन नेशनल सिक्युरिटी की तरफ से राम जेठमलानी बोल रहे हैं. रामजेठ मलानी ने कहा कि इस्लाम में ज्ञान को महत्व है. इसे अल्लाह पसंद करते हैं. तीन तलाक महिलाओं के बराबरी के अधिकार के खिलाफ है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-कौन से गैर इस्लामिक देश जिन्होंने 3 तलाक को बैन किया? खुर्शीद ने कहा-श्रीलंका और कई अफ़्रीकी देशों ने ऐसा किया. खुर्शीद की दलीलें खत्म
  • खुर्शीद की सलाह- निकाह में मेहर के साथ तलाक ए तफवीज़ (औरत को भी तलाक देने का हक) की शर्त रखी जाए. ये भी कहा जाए कि तलाक ए बिद्दत नहीं दिया जा सकेगा 
  • सलमान खुर्शीद ने कहा, तीन तलाक लगभग 1000 साल से है. भारत में राजनीतिक वजहों से किसी ने इसे बदलने की कोशिश नहीं की. एक साथ 3 तलाक बोलने को 1 तलाक का ही दर्जा मिलना चाहिए
  • वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश के मुसलमानों में 80 फीसदी सुन्नी हैं और सुन्नियों में 90 फीसदी हनफ़ी हैं. हनफ़ियों में तलाक ए बिद्दत को मान्यता है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि तीन तलाक धर्म का ज़रूरी हिस्सा है या परंपराओं से इसकी शुरुआत हुई है. भारत के बाहर इसकी क्या स्थिति है? इस सवाल के जवाब में खुर्शीद ने कहा है कि ये भारत में बाहर से आया है. आज ये सिर्फ भारत में ही है.

देश की सबसे बड़ी अदालत में तीन तलाक पर सबसे बड़ी सुनवाई चल रही है. पहले दो दिन कोर्ट सिर्फ तीन तलाक का समर्थन करने वालों का पक्ष सुनेगा. सोमवार को एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी विस्तार से केंद्र का पक्ष रखेंगे.

कोर्ट ने सुनवाई के लिए कुल छह दिन का वक़्त देने की बात कही है. कोर्ट ने कहा, ‘’दो दिन तीन तलाक विरोधी बोलें, दो दिन समर्थक. इसके बाद एक-एकदिन एक-दूसरे की बात का जवाब दें. कोर्ट ने कहा कि अगर सुनवाई इसी रफ्तार से होती है तो अगले हफ्ते पूरी हो सकती है.

तीन तलाक के खिलाफ शायरा बानो सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी

तीन तलाक के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने वाली 35 साल की शायरा बानो के लिए ये सुनवाई बहुत राहत लेकर आई है. शायरा बानो का कहना है, ‘’मुस्लिम औरतों पर अत्याचार होता है. तीन तलाक से जीवन नर्क हो जाता है. उसके लिए कोई भी कानून नहीं है तो मैं चाहती हूं कि ये कुप्रथा मुस्लिम समाज में बंद हो जाए.’’

शायरा बानो का निकाह 2002 में हुआ था लेकिन पति ने शुरूआत से ही उन पर जुल्म करना शुरू कर दिया. मारपीट के अलावा जबरदस्ती उनका अबॉर्शन करवाया औऱ कुछ समय बाद घर से भी निकाल दिया. इसके बाद 10 अक्टूबर 2015 को शायरा के पास रजिस्ट्री से तीन तलाक का फरमान भेज दिया.

शायरा ने हिम्मत दिखाई और पहली बार कोई मुस्लिम महिला तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. कल जब इस मुद्दे पर सुनवाई शुरू हुई तो कोर्ट के गलियारे में कई लोग शायरा बानो की हिम्मत की दाद देते दिखे.

बहुविवाह पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं होगी

इस मसले पर दो जजों की बेंच ने 2015 में संज्ञान लिया था. उस बेंच ने तलाक ए बिद्दत, हलाला और मर्दों को एक साथ 4 पत्नी रखने की इजाज़त पर सुनवाई को ज़रूरी बताया था. लेकिन कल संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस जोसफ ने कहा- “हम सिर्फ तीन तलाक पर सुनवाई करेंगे. हलाला इससे जुड़ा है, इसलिए ज़रूरत पड़ने पर इस पर भी सुनवाई होगी. बहुविवाह पर सुनवाई नहीं होगी.”

पांच जजों की संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा कि अगर ये प्रावधान इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है तो ये धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में आएगा. यानी कोर्ट ने साफ कर दिया कि महिलाओं के हक के साथ-साथ धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को भी अहमियत दी जाएगी.

किसने क्या कहा ?

बहस की शुरूआत शायरा बानो के वकील अमित सिंह चड्ढा ने की. उन्होंने कहा, “धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की भी सीमाएं हैं. कोर्ट को समानता और सम्मान से जीवन बिताने के अधिकार को ज़्यादा अहमियत देनी चाहिए.” उन्होंने कहा, “तीन तलाक धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. अनिवार्य हिस्सा उसे माना जाता है जिसके हटने से धर्म का स्वरूप ही बदल जाए. पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान जैसे मुस्लिम देश भी इसे बंद कर चुके हैं.”

इसके जवाब में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, “हर देश में संसद ने कानून बना कर ऐसा किया है. भारत में कोर्ट इस पर सुनवाई कर रही है. मसला संसद के पास जाना चाहिए” जमीयत उलेमा ए हिन्द के वकील राजू रामचंद्रन समेत कुछ और वकीलों ने भी कहा कि “मौजूदा सरकार तीन तलाक खत्म करने की वकालत कर रही है. वो संसद में कानून क्यों नहीं लाती? अदालत के जरिए ये काम क्यों हो रहा है?”

इस पर कपिल सिब्बल ने फिर से अपनी मांग दोहराई. सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा, “सरकार को संसद में कानून लाने से कौन रोक रहा है?” चीफ जस्टिस ने हंसते हुए कहा, “शायद आप.” केंद्र के वकील तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार लैंगिक समानता और महिलाओं के गरिमापूर्ण जीवन के पक्ष में है. सरकार का मानना है कि तीन तलाक से इनका हनन होता है.

 

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