तीन तलाक के बाद अब रोहिंग्या पर फंसी कांग्रेस, केंद्र सरकार पर दागे सवाल

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी चुनावी हारों में हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण को बड़ी वजह मानती है और इससे जुड़े मुद्दों पर चाहे-अनचाहे उलझन में पड़ जाती है. तीन तलाक़ का मुद्दा ठंडा हुआ था कि, अब रोहिंग्या मुसलमानों का मसला सामने आया है, इसको लेकर कांग्रेस खुलकर अपनी राय नहीं दे पा रही. कोई चारा नहीं मिल रहा तो वो सरकार पर दोहरी राय रखकर राजनीति करने का आरोप लगा रही है.

आखिर, रोहिंग्या मुसलमानों के मसले पर सरकार ने कड़ा हलफनामा दाखिल करते हुए साफ कर दिया कि, वह इनको देश की सुरक्षा के लिए खतरा मानती है और उनको देश से बाहर करना ही होगा. उधर, इस मुद्दे पर कांग्रेस अपनी सीधी राय नहीं बना पा रही. वह ना अल्पसंख्यकों को नाराज़ करना चाहती है और ना ही बहुसंख्यक समाज के सामने विलेन बनना चाहती है. इसलिए इस मुद्दे पर वह सरकार को कटघरे में खड़ा कर पीछा छुड़ाना चाहती है.

सुप्रीम कोर्ट में सरकार के रुख पर जब ‘आजतक’ ने कांग्रेस प्रवक्ता से उनकी राय मांगी, तो टॉम वडक्कन ने कहा कि, सरकार की अपनी कोई साफ नीति नहीं है. एक तरफ मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए जहाज से रोहिंग्या मुसलमानों के लिए राहत सामग्री टैक्स पेयर्स के पैसे से भेज रही है. वहीं, दूसरी तरफ हिंदुत्व की राजनीति के तहत रोहिंग्या मुसलमानों को देशविरोधी गतिविधियों में शामिल बताकर देश से बाहर करने का हलफनामा दे रही है. कुल मिलाकर गंभीर मसले पर सरकार सिर्फ राजनीति कर रही है.

कांग्रेस का कहना है कि आखिर यह कैसे हो सकता है कि, एक तरफ आप मानवीयता के आधार पर रोहिंग्या मुस्मिमों को मदद भेजें और दूसरी तरफ उनको देशविरोधी गतिविधियों में शामिल बताएं. सरकार किसी एक नीति पर आगे नहीं बढ़ रही है. वडक्कन ने कहा कि रोहिंग्या अगर देशविरोधी गतिविधियों में शामिल हैं तो सिर्फ उनको बाहर ही नहीं किया जाए बल्कि उनको राहत सामग्री भी नहीं दी जाए.

दरअसल, तीन तलाक़ के मुद्दे पर भी कोर्ट का फैसला आने तक कांग्रेस असमंजस में थी. कोर्ट का फैसला आने के बाद जनभावना के मद्देनजर उसने स्वागत किया, जबकि बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर एक बार में तीन तलाक का विरोध किया था. वहीं, कांग्रेस यही कहती रही कि, मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय हो और अदालत फैसला करे. हालांकि, कांग्रेस इसका जवाब नहीं दे पाई क़ि, शाह बानो केस में तत्कालीन केंद्र सरकार ने अदालत के फैसले को संसद के जरिए पलट दिया था. उसके उलट इस बार जनता की भावना को देखते हुए अदालत का फैसला आते ही स्वागत करने को मजबूर दिखी, तो वहीं बीजेपी ने इस मुद्दे पर सियासी बढ़त बनाने की हरसंभव कोशिशों में जुट गई.

ऐसे में अब एक बार में तीन तलाक़ के मुद्दे के बाद अब रोहिंग्या मुसलमानों का मसला भी कांग्रेस की बेचैनी बढ़ा रहा है. पार्टी बिना सीधी लाइन लिए बीजेपी सरकार की दोहरी नीति पर सवाल खड़ा करके बच निकलना चाहती है, लेकिन यह ऐसे मुद्दे हैं जो शायद कांग्रेस का पीछा आसानी से छोड़ने वाले नहीं हैं.

 

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