तीन तलाक पर फैसले से पहले शायरा बानो ने बयां किया था यह दर्द

नई दिल्ली। शायरा बानो की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक पर अगले छह महीने तक के लिए रोक लगा दी है. संसद जब तक इस पर कानून नहीं लाती तब तक ट्रिपल तलाक पर रोक रहेगी. कोर्ट ने केंद्र सरकार को संसद में इसे लेकर कानून बनाने के लिए कहा है. तीन तलाक पर सुनवाई के दौरान 18 मई को शायरा बानो की ओर से बयां किया गया दर्द अब भी बड़ा सवाल बना हुआ है. शायरा बानो की ओर से दलील दी गई थी कि तीन तलाक ना तो इस्लाम का हिस्सा है और ना ही आस्था का. उन्‍होंने कहा कि मेरी आस्था ये है कि तीन तलाक मेरे और ईश्वर के बीच में पाप है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी कहता है कि ये बुरा है, पाप है और अवांछनीय है. ये इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है.

शायरा बानो ने आगे कहा था, ‘सलमान खुर्शीद साहब कहते हैं कि यह पाप है. महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी मानता है कि तीन तलाक बुरा है. केंद्र सरकार भी कह रही है कि ये महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, लेकिन सरकार कानून लेकर नहीं आएगी. ऐसे में याचिकाकर्ता कहां जा सकती है जबकि उसके अधिकारों का हनन हो रहा हो क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ही नागरिकों के मानवाधिकारों का संरक्षक है तो कोर्ट को ही इस मामले में इंसाफ देना चाहिए.

शायरा बानो ने कहा था, ‘कोई कहता है कि संसद जाओ और कानून बनाने की मांग करो, लेकिन कानून बनेगा भी तो वह आगे के लिए होगा. उससे मेरे बच्चे वापस नहीं आएंगे, मुझे इंसाफ कैसे मिलेगा?’

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी शायरा की ओर से उठाया गया यह फैसला अब भी कायम है. कोर्ट ने भी एक बार में कहे गए ‘तीन तलाक’ पर रोक लगा दी है. साथ संसद को कानून बनाने को कहा है.

 

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